पेंटिंग 2012 : कलाकृतियों की रिकॉर्ड बिक्री

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दुनिया के बेहतरीन कलाकारों की अनमोल कलाकृतियां और कुछ अन्य दुर्लभ चीजें इस वर्ष रिकॉर्ड कीमत में बिकीं। दरअसल इनके चाहने वालों ने इन कलाकृतियों की कीमत नहीं लगाई, बल्कि इनके प्रति अपनी चाहत और इन्हें अपने पास रखने की हसरत की कीमत लगाते हुए इन्हें करोड़ों रुपए में खरीदा।

सैफ्रनआर्ट द्वारा जून में आयोजित नीलामी में एसएच राजा की 1985 में बनायी गई पेंटिंग और वी एस गैतोंडे की कलाकृतियों को लेकर सबसे ज्यादा आकर्षण रहा और सबसे अधिक मूल्य में बिकी।

राजा की पेंटिंग ‘एनकाउंटर’ 3.15 करोड़ रुपए में बिकी जबकि नीलामी की न्यूनतम तय राशि दो से ढाई लाख रुपए के आस पास थी। इसी तरह राजा की एक अन्य कलाकृति ‘जर्मीनेशन’ 1.82 करोड़ रुपए में, गैतोंडे की एक पेटिंग 2.85 करोड़, सुबोध गुप्ता की एक पेंटिंग 1.17 करोड़ रुपए और एमएफ हुसैन की एक कलाकृति 1.02 करोड़ रुपए में बिकी।

प्रगतिशील भारतीय कलाकार दिवंगत तैयब मेहता की पेन्टिंग मार्च में न्यूयॉर्क में नीलामी के दौरान 17.60 लाख डॉलर में बिकी। राजस्थान के उदयपुर के महाराणा और देवगढ़ के रावतों से संबंधित 18 शताब्दी के कलाकार बगता का एक अलिखित चित्र फरवरी में बोनहैम्स में हुई नीलामी में अनुमान से छह गुना अधिक यानि 302500 डॉलर में नीलाम हुआ।
यह चित्र वर्ष 1808 का है और इसका आकार 16 गुणा 22 इंच है। इस चित्र में रावत गोकल दास को अपनी पत्नियों के साथ होली खेलते दिखाया गया है। इस चित्र को एक कलेक्टर की ओर से भेजा गया था जिसने इसे दो दशक पहले मात्र 125 डॉलर में खरीदा था।

भारत के आधुनिक कलाकारों में से एक जहांगीर सबावाला की एक शानदार तस्वीर सात जून को आधुनिक और समकालीन दक्षिण एशिया कला की बोनहम्स वार्षिक नीलामी में रिकॉर्ड दो लाख 53 हजार 650 पाउंड में बिकी।

सबावाला की तस्वीर ‘वेस्पर्स वन’ की अनुमानित कीमत एक लाख से डेढ़ लाख पाउंड के बीच आंकी गई थी यह तस्वीर नए कीर्तिमान के साथ बिकी।

सबसे कीमती चीजों की सूचि में सचिन का बल्ला कितने का...


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भारत के महान बल्लेबाज सचिन तेंडुलकर के हस्ताक्षर वाले बल्ले को अपनी ‘सबसे कीमती चीज’ मानने वाले ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने रवांडा में क्रिकेट स्टेडियम के लिए पैसा जुटाने के इरादे से इसे दान दे दिया था।

स्टेडियम परियोजना के लिए धन जुटाने के मकसद से लार्डस में मई में हुई नीलामी में यह बल्ला 3400 पाउंड (लगभग तीन लाख रुपए) में बिका। अक्टूबर में न्यूजीलैंड में हीरे जड़ा एक सैंडल पांच लाख अमेरिकी डॉलर में बिका। यह दुनिया में अब तक के सबसे महंगे सैंडलों में से है। ऑकलैंड की फुटवियर डिजाइनर कैथरीन विल्सन और ज्वेलरी डिजाइनर सारा हचिंग ने मिलकर इस महंगे सैंडल को तैयार किया था।

जनवरी में एलेक्जेंडर ग्राहम बेल द्वारा वर्ष 1878 में अपने माता-पिता को लिखे गए एक पत्र को नीलामी में 92,000 अमेरिकी डॉलर से अधिक की धनराशि मिली। इस पत्र में स्कॉटलैंड में जन्मे बेल ने अपने माता-पिता को निर्देश दिए हैं कि किस तरह टेलीफोन को बिजली के झटकों से दूर रखा जाए।

टेलीफोन पर पेटेंट हासिल करने के दो साल के बाद बेल ने यह चिट्ठी लिखी थी। बेल ने सबसे पहले अपने सहयोगी थॉमस को फोन किया था।

वाटरलू की लड़ाई में मिली हार के बाद फ्रांसीसी शासक नेपोलियन बोनापार्ट द्वारा अंग्रेजी में लिखे गए एक पत्र की जून में चार लाख डॉलर में नीलामी की गई। सेंट हेलेना द्वीप पर निर्वासित जीवन बिताने के दौरान नैपोलियन ने अंग्रेजी सीखने का प्रयास किया था और यहीं रहते वक्त उसने 1816 में यह पत्र लिखा था।

एक पृष्ठ के पत्र पर नौ मार्च, 1816 की तिथि दी गई है।

डलास में हत्या के बाद अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जॉन एफ केनेडी के शव को जिस वाहन में रखकर एयर फोर्स वन विमान तक पहुंचाया गया था उसे जनवरी में एक लाख 60 हजार डॉलर में नीलाम किया गया।

कार की बिक्री बेरेट जैक्सन नीलामी कंपनी के वार्षिक स्कॉटडेल कलेक्टर कार ऑक्शन में हुई। चेतन सेठ नाम के एक भारतीय ने मार्च में एक नीलामी के दौरान क्यूबाई सिगार ब्रांड एच. उपमैन से 60,000 यूरो (करीब 39 लाख रुपए) में सिगारदान (केस) खरीदा।

विश्व सिनेमा पर अमिट छाप छोड़ने वाली एलिजाबेथ टेलर के सोने के तारों से बने पोंचू ने मार्च के आखिर में लंदन में हुई नीलामी में 37 हजार पाउंड (तकरीबन तीन लाख रुपए) बटोरे। उन्होंने यह पोंचू फिल्म ‘क्लियोपेट्रा’ में पहना था।

इस लिबास को कुछ इस तरह तराशा गया था कि यह फिनिक्स के पंख की तरह दिखती थी। इस पोंचू की बदौलत 1963 में दुनिया भर में धूम मचाने वाली फिल्म को सर्वश्रेष्ठ कॉस्ट्यूम डिजाइन के लिए ऑस्कर से नवाजा गया था।

टाइटेनिक जहाज के एक मेनू की अप्रैल माह में 60 लाख 76 हजार रुपए की बोली लगाई गई। इसी मेनू के जरिए प्रथम श्रेणी के यात्रियों के बीच लजीज भोजन परोसा जाता था।

अटलांटिक महासागर में जहाज डूबने की घटना के सौ साल पूरे होने से पहले विल्टशाइर में जहाज की कुछ वस्तुओं की बोली लगाई गई, जिसमें यह मेनू भी था।

मेनू पर 14 अप्रैल, 1912 की तारीख दर्ज है। इसी दिन यह जहाज एक बड़े हिमखंड से टकरा गया था जिसमें 1522 लोग काल के गाल में समा गए थे।

महात्मा गांधी द्वारा 1992 में रवींद्रनाथ टैगोर के सबसे बड़े भाई द्विजेंद्रनाथ को लिखे पत्रों को 12 दिसंबर को लंदन में सोथबी की एक नीलामी में एक अज्ञात शख्स ने इसकी अनुमानित कीमत से सात गुना अधिक राशि देकर खरीदा।

इसी नीलामी में एक निजी संग्रहकर्ता ने भारतीय संविधान की एक दुर्लभ प्रति प्रस्तावित कीमत से करीब आठ गुना मूल्य में खरीद ली। इस संविधान की प्रति पर प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद के अंग्रेजी और देवनागरी में हस्ताक्षर हैं। जवाहरलाल नेहरू के भी इस पर दस्तखत हैं। (भाषा)

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