साल 2015 में दुनिया में छा गईं ये दबंग महिलाएं

साल 2015 में कुछ महिलाओं ने वैश्विक स्तर पर अपने अदम्य साहस का परिचय दिया और साबित कर दिया कि यदि महिलाएं ठान लें तो वे कुछ भी कर सकती हैं। जिक्र करते हैं 2015 विश्व स्तर पर अपना लोहा मनवाने वाली महिलाओं का।
 

 
सलमा ने सऊदी अरब की पहली निर्वाचित महिला प्रतिनिधि बनकर रचा इतिहास : 
 
सलमा बिंत हिजब अल-ओतीबी ने मक्का में मदरका की नगर निगम परिषद् का चुनाव जीत कर अत्यंत रूढ़िवादी सऊदीअरब की पहली निर्वाचित महिला प्रतिनिधि बनने का इतिहास रचा है। सलमा के इस कारनामे से स्‍थानीय महिलाओं को आगे बढ़ने की प्रेरणा मिली और पूरी दुनिया में यह संदेश गया कि महिलाएं अपनी स्थिति बेहतर करने के लिए आगे आ रही हैं। 
 
साल 2015 में ही सऊदी अरब में पहली बार महिलाओं को मताधिकार इस्तेमाल करने और जनप्रतिनिधि बनने का अधिकार मिला। नगर पालिका परिषद् की सीटों पर लड़ रहे कुल 6440 उम्मीदवारों में से 900 से ज्यादा महिलाएं थीं। इस मुकाम तक पहुंचने के लिए महिलाओं को कई अड़चनें पार करनी पड़ी। सऊदी अरब के तमाम कड़े कानूनों के बीच महिलाओं ने साल 2015 में हुए चुनावों में अपनी सक्रियता दिखाई और सफलता पाई।

एंजेला मर्केल, विरोध के बीच मदद का साहसिक कदम
जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल यूं तो सालों से अपने दूरगामी निर्णयों के लिए चर्चा का केंद्र रही हैं, लेकिन इस साल उन्होंने जर्मनी में शरणार्थियों को आने देने के उनके फैसले का विरोध हुआ। इसके बावजूद वे पीछे नहीं हटीं। 


मर्केल ने विश्वास जताया कि यूरोप की सबसे बडी अर्थव्यवस्था में रिकॉर्ड स्तर पर शरणार्थियों के आने से देश बदल जाएगा। वे इसी के लिए काम कर रही हैं। मर्केल के फैसले के बाद सीरिया से आए सैकडों परिवारों का जर्मन लोगों द्वारा उपहार और अभिवादन के साथ स्वागत किया। इसे यूरोप में बहुत असाधारण माना गया।

आंग सान सू ची के साहस की जीत 
सालों से नजरबंद आंग सान सू ची ने म्यांमार में साल 2015 में लोकतंत्र की वापसी करवाई और इस साल नवंबर में हुए चुनावों में अपनी पार्टी को भारी बहुमत दिलवाया। म्यांमार की विपक्षी नेता आंग सान सू ची की नेशनल लीग पार्टी ने देश के प्रमुख शहर यंगून के ऐतिहासिक चुनाव में जीत दर्ज की। सू ची ने म्यांमार को सैन्य शासन से मुक्त करवाया। 
 
 
सू को चुनाव के पहले और चुनाव के दौरान कई परेशानियों का सामना करना पड़ा। सैनिक सरकार के द्वारा उन्हें 1989 से 2010 तक छोटी-छोटी अवधि की रिहाई के साथ घर पर नजरबंद रखा गया। ये गिरफ्तारियां भी लोकतं‍त्र के प्रति उनके समर्थन के जोश और जुनून को कम नहीं कर सकीं।

नेपाल ने चुनी पहली महिला राष्ट्रपति
इस साल अक्टूबर में नेपाल की संसद ने 54 वर्षीय साम्यवादी नेता बिद्या देवी भंडारी को नया राष्ट्रपति चुना। इस तरह नेपाल को बिद्या देवी भंडारी के रूप में पहली महिला राष्ट्रपति मिली। भंडारी देश के सबसे ऊंचे पद पर पहुंचने वाली नेपाल की पहली महिला हैं। 
 
बिद्या देवी भंडारी नेपाल के फ़ायरब्रांड साम्यवादी नेता मदन भंडारी की पत्नी हैं। मदन भंडारी की 1993 में एक मोटर दुर्घटना में मौत हो गई थी। पति की मौत के बाद हुए चुनाव में पूर्व प्रधानमंत्री कृष्ण प्रसाद भट्टाराई को हराकर भंडारी चर्चा में आई थीं।

पहली महिला संसद अध्यक्ष : साल साल 2015 में नेपाली सांसदों ने नया संविधान लागू होने और नई सरकार के गठन के बाद पहली बार किसी महिला को ओंसारी घारती के रूप में अध्यक्ष निर्वाचित किया। 
 
 
नेपाल का संविधान बदलने के बाद महिलाओं का बड़े पदों पर पहली बार आना परिवर्तन की लहर मानी जा रही है। घारती को सर्वसम्मति से पद के लिए निर्वाचित किया गया। घारती का सत्तारूढ़ गठबंधन- सीपीएन-यूएमएल, यूसीपीएन-माओवादी, राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी-नेपाल, मधेसी जनअधिकार फोरम-डेमोक्रेटिक और कुछ अन्य दलों ने किया। 

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