भविष्य एकदम अनिश्‍चित नहीं है, हमारा ज्ञान अनिश्‍चित है : ओशो

भविष्य एकदम अनिश्‍चित नहीं है। हमारा ज्ञान अनिश्‍चित है। हमारा अज्ञान भारी है। भविष्‍य में हमें कुछ दिखाई नहीं पड़ता। हम अंधे हैं। भविष्‍य का हमें कुछ भी दिखाई नहीं पड़ता। नहीं दिखाई पड़ता है इसलिए हम कहते हैं कि निश्‍चित नहीं है लेकिन भविष्‍य में दिखाई पड़ने लगे… और ज्‍योतिष भविष्‍य में देखने की प्रक्रिया है।
 
तो ज्‍योतिष सिर्फ इतनी ही बात नहीं है कि ग्रह-नक्षत्र क्‍या कहते हैं। उनकी गणना क्‍या कहती है। यह तो सिर्फ ज्‍योतिष का एक डायमेंशन है, एक आयाम है। फिर भविष्‍य को जानने के और आयाम भी हैं। मनुष्‍य के हाथ पर खींची हुई रेखाएं हैं, मनुष्‍य के माथे पर खींची हुई रेखाएं हैं, मनुष्‍य के पैर पर खींची हुई रेखाएं हैं, पर ये भी बहुत ऊपरी हैं। मनुष्‍य के शरीर में छिपे हुए चक्र हैं। उन सब चक्रों का अलग-अलग संवेदन है। उन सब चक्रों की प्रति पल अलग-अलग गति है। फ्रिक्‍वेंसी है। उनकी जांच है। मनुष्‍य के पास छिपा हुआ, अतीत का पूरा संस्‍कार बीज है।
 
रान हुब्‍बार्ड ने एक नया शब्‍द, एक नई खोज पश्‍चिम में शुरू की है- पूरब के लिए तो बहुत पुरानी है। वह खोज है- टाइम ट्रैक। हुब्‍बार्ड का ख्‍याल है कि प्रत्‍येक व्‍यक्‍ति जहां भी जिया है इस पृथ्वी पर या कहीं और किसी ग्रह पर- आदमी की तरह या जानवर की तरह या पौधे की तरह या पत्‍थर की तरह। आदमी जहां भी जिया है अनंत यात्रा में- उस… पूरा का पूरा टाइम ट्रैक, समय की पूरी की पूरी धारा उसके भीतर अभी भी संरक्षित है। वह धारा खोली जा सकती है और उस धारा में आदमी को पुन: प्रवाहित किया जा सकता है।
 
हुब्‍बार्ड की खोजों में यह खोज बड़ी कीमत की है। इस टाइम ट्रैक पर हुब्‍बार्ड ने कहा है कि आदमी के भीतर इनग्रेन्‍स है। एक तो हमारे पास स्‍मृति है जिससे हम याद रखते हैं कि कल यह हुआ, परसों क्‍या हुआ? वह कामचलाऊ स्‍मृति है। वह रोज बेकार हो जाती है। वह असली नहीं है। वह स्‍थायी भी नहीं है। यह हमारी कामचलाऊ स्‍मृति है जिससे हम रोज काम करते हैं, इसे रोज फेंक देते हैं। और उससे गहरी एक स्मृति है, जो कामचलाऊ नहीं है। जो हमारे जीवन के समस्‍त अनुभवों का सार है, अनंत जीवन पथों पर लिए गए अनुभवों का सार इकट्ठा है।
 
उसे हुब्‍बार्ड ने इनग्रेन्‍स कहा है। वह हमारे भीतर इनग्रेन्‍स हो गई है। वह भीतर गहरे में दबी हुई पड़ी है। पूरी की पूरी। जैसे कि एक टेप बंद आपके खीसे में पड़ा हो। उसे खोला जा सकता है। और जब उसे खोला जाता है तो महावीर उसको कहते जाति-स्‍मरण, हुब्‍बार्ड कहता है, टाइम ट्रैक- पीछे लौटना समय में। जब उसे खोला जाता है तो ऐसा नहीं होता कि आपको अनुभव हो कि आप रिमेम्‍बर कर रहे हैं। ऐसा नहीं होता है कि आप याद कर रहे हैं- ‘यू री-लीव’। जब वह खुलती है, जब टाइम ट्रैक खुलता है तो आपको ऐसा अनुभव नहीं होता है कि मुझे याद आ रहा है। न आप पुन: जीते हैं।
 
समझ लें, अगर टाइम ट्रैक आपका खोला जाए, जो कि खोलना बहुत कठिन नहीं है और ज्‍योतिष उसके बिना अधूरा है। ज्‍योतिष की बहुत गहनतम जो पकड़ है वह तो आपके अतीत के खोलने की है, क्‍योंकि आपके अतीत का अगर पूरा पता चल जाए तो आपका पूरा भविष्‍य पता चलता है, क्‍योंकि आपका भविष्‍य आपके अतीत से जन्मेगा। आपके भविष्‍य को आपके अतीत को जाने बिना नहीं जाना जा सकता है, क्‍योंकि आपका अतीत आपके भविष्‍य का बेटा होने वाला है। उसी से पैदा होगा। तो पहले तो आपके अतीत की पूरी स्‍मृति-रेखा को खोलना पड़े… अगर आपकी स्‍मृति रेखा को खोल दिया जाए… जिसकी प्रक्रियाएं हैं और विधियां हैं।
 
आप अगर समझ लें कि आपको याद आ रहा है कि आप 6 वर्ष के बच्‍चे हैं और आपके पिता ने चांटा मारा है तो आपको ऐसा याद नहीं आएगा कि आपको याद आ रहा है कि आप 6 वर्ष के बच्‍चे हैं और पिता चांटा मार रहे हैं। ‘यू विल री-लीव इट’। आप इसको पुन: जिएंगे और जब आप इसको जी रहे होंगे, अगर उस वक्‍त मैं आपसे पूछूं कि तुम्‍हारा नाम क्‍या है। तो आप कहेंगे बबलू, आप नहीं कहेंगे पुरुषोत्तम दास। 6 वर्ष का बच्‍चा उत्‍तर देगा। आप री-लीव कर रहे हैं उस वक्‍त, आप स्‍मरण नहीं कर रहे हैं। पुरुषोत्‍तमदास स्‍मरण नहीं कर रहे हैं कि जब मैं 6 वर्ष का था… न पुरुषोत्तमदास 6 वर्ष के हो गए। वे कहेंगे बबलू उस वक्‍त वह जो-जो जवाब देंगे वह 6 वर्ष का बच्‍चा बोलेगा।
 
अगर आपको पिछले जन्‍म में ले जाया गया है और आप याद कर रहे हैं कि आप एक सिंह है तो अगर उस वक्‍त आपको छेड़ दिया जाए तो आप बिलकुल गर्जना कर पड़ेंगे। आप आदमी की तरह नहीं बोलेंगे। हो सकता है आप नाखून-पंजों से हमला बोल दें। अगर आप याद कर रहे हैं कि आप एक पत्‍थर की तरह हैं और आपसे कुछ पूछा जाए तो आप बिलकुल मौन रह जाएंगे, आप बोल नहीं सकते। आप पत्‍थर की तरह ही रह जाएंगे।
 
हुब्‍बार्ड ने हजारों लोगों की सहायता की है। जैसे एक आदमी है, जो ठीक से नहीं बोल पाता। हुब्‍बार्ड का कहना है कि वह बचपन की किसी स्मृति पर अटक गया है। उसके आगे नहीं बढ़ पाया है। तो वह उसके टाइम ट्रैक पर उसको वापस ले जाएगा। उसके इनग्रेन्‍स को तोड़ेगा और जब 6 वर्ष का हो जाएगा जहां रुक गई थी, जहां से वह आगे नहीं बढ़ा, फिर जहां वह वापस पहुंच जाएगा… टूट जाएगी धारा। वह आदमी वापस लौट आएगा। तब वह 30 साल का हो जाएगा। वह जो बीच में फासला था 24 साल का वह उसको पार कर देगा। और हैरानी की बात है कि हजारों दवाइयां उस आदमी को बोलने में समर्थ नहीं बना पाई थीं लेकिन यह टाइम ट्रैक पर लौटकर जाना और पुन: वापस लौट आना… वह आदमी बोलने में समर्थ हो जाएगा।
 
आपको बहुत दफा जो बीमारियां आती हैं, वे केवल टाइम ट्रैक की वजह से आती हैं। बहुत- सी बीमारियां हैं, जैसे दमा। दमा के मरीज की तारीख भी तय रहती है। हर साल ठीक तारीख पर उसका दमा लौट आता है और इसलिए दमा के लिए कोई चिकित्‍सा नहीं हो पाती, क्‍योंकि बीमारी नहीं है, टाइम ट्रैक की बीमारी है, कहीं स्‍ट्रक हो गई, कहीं मेमोरी अटक गई है और जब फिर वहीं आदमी उस समय को स्मरण कर लेता है- 12 तारीख, बरसा का दिन… उसको 12 तारीख आई, बरसा का दिन आया- वह तैयारी कर रहा है, वह घबरा रहा है कि अब होने वाला है।
 
आप हैरान होंगे कि इस बार उसको जो दमा होगा- ‘ही इज री-ली विंग’- वह दमा नहीं है। वह सिर्फ पिछले साल की 12 तारीख को री लीव कर रहा है। मगर अब उसका आप इलाज करेंगे। आप उसको झंझट में डाल रहे हैं। उसका इलाज करने से कोई मतलब नहीं है, क्‍योंकि वह 1 साल पहले वाला आदमी अब है ही नहीं जिसका इलाज किया जा सके। आप दवाइयां बेकार खा रहे हैं, क्‍योंकि दवाएं उस आदमी में जा रही हैं। जो अभी है और बीमार वह आदमी है, जो 1 साल पहले था।
 
इन दोनों के बीच कोई तारतम्‍य नहीं है, कोई संबंध नहीं है। आपकी हर दवा की असफलता, उसके दमा को मजबूत कर जाएगी और कह जाएगी कि कुछ नहीं होने वाला है। वह अगले साल की तैयारी फिर कर रहा है। 100 में से 70 बीमारियां टाइम ट्रैक पर आधारित हैं। घटित हो रही हैं, पकड़ी गई हैं, जो पीछे लौटकर ले जाती हैं। हम लोट-लोटकर जी लेते हैं। 
 
-ओशो
साभार ज्योतिष : अद्वैत का विज्ञान

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