Shani vakri :142 दिनों तक शनि रहेंगे वक्री, 5 राशियों पर होगा सबसे ज्यादा असर

24 जनवरी 2020 को शनि ने धनु से मकर राशि में प्रवेश किया था।  तब से लेकर 10 मई 2020 तक यह सीढ़ी चाल अर्थात मार्गी चाल से चल रहे थे ।
 
 11 मई, 2020 को शनि अपनी मार्गी चाल को छोड़ कर वक्री हो गए हैं। 142 दिनों तक यानि 29 सितंबर तक वे इसी अवस्था में रहेंगे तत्पश्चात वे फिर से मार्गी हो जाएंगे।  
 
 शनि के वक्री होने के  बाद ही 13 मई को  शुक्र भी वृष राशि में वक्री होगा। 14 मई को शुभ ग्रह गुरु भी वक्री होंगे। इसके कुछ दिनों बाद बुध ग्रह भी वक्री हो जाएंगे । जबकि राहु-केतु तो हमेशा वक्री ही रहते हैं।
 
 इस प्रकार 9 में से 6 ग्रह वक्री अवस्था में रहेंगे। 6 ग्रहों के एक साथ व्रकी होना एक दुर्लभ संयोग है।
 
शनि की ये बदलती हुई चाल आम जनमानस की टेंशन बढ़ाने वाली साबित होगी। आमतौर पर शनि एक राशि में लगभग ढाई वर्षों तक रहते हैं।  पूरे बारह राशियों का चक्र पूरा करने में उन्हें 30 वर्ष लगता है ।
 
जब शनि  वक्री होते हैं तो वे अपना अशुभ प्रभाव सबसे पहले उन राशियों पर डालते हैं जिन पर साढ़ेसाती या ढैय्या चल रही होती है। यदि आपकी जन्मकुंडली में शनि अशुभ भाव में हैं तो आप पर दुखों का कहर टूटने वाला है। अगर शनि शुभ भाव में हैं तो कोई भी आपका अमंगल नहीं कर सकता।
 
शास्त्रोक्त गणनाओं के अनुसार जब शनि वक्री अवस्था में आते हैं तो बहुत दुख देते हैं। जिन राशियों पर शनि की नज़र होती है, उनको बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। 
 
वर्तमान समय में धनु, मकर और कुंभ राशियों पर शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव है। मिथुन और तुला पर शनि की ढैय्या चल रही है। जब शनि वक्री होंगे तो इन 5 राशियों पर सबसे अधिक असर होगा। अन्य 7 राशियों के जातकों को घबराने की आवश्यकता नहीं है। 
 
वैश्विक महामारी का अत्यधिक प्रभाव भी इन्हीं राशि के लोगों पर होने वाला है।
 
अतः सितंबर-अक्टूबर 20 तक आपको इतनी क्षति पहुंच सकती है कि आप कम से कम 12 से 18 माह तक व्यथित हो सकते हैं।
 
अगर आप निरंतर शुभ कर्म करते हैं तो किसी भी परिस्थिति में घबराने की जरुरत नहीं है।
 
आचार्य राजेश कुमार
( Divyansh Jyotish Kendra)

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