जप संख्या- 16,000 (16 हजार)।
(कलियुग में 4 गुना जाप एवं दशांश हवन का विधान है।)
दान सामग्री- श्वेत वस्त्र, श्रृंगार की वस्तुएं, हीरा, स्फटिक, चांदी, चावल, शकर, इत्र, श्वेत चंदन, घी, श्वेत पुष्प, दूध-दही।
* 5 शुक्रवार खीर बनाकर किसी मंदिर में दान करें।
* पत्थर पर श्वेत चंदन का लेप कर बहते जल में प्रवाहित करें।
* शुक्रवार को घर अथवा मंदिर में तुलसी का पौधा रोपित करें।
* 7 शुक्रवार को चींटियों को आटा व शकर मिश्रित कर डालें।
* सवत्सा श्वेत गाय का दान करें।
* शुक्र यंत्र को चांदी के पत्र पर उत्कीर्ण करवाकर चमेली के नीचे गहराई में दबा दें।