मेष-प्रेम संबंध
मेष राशि का पांचवां स्थान प्रेम संबंध का सूचक है। यह स्थान सिंह राशि का है। इससे प्रकट होता है कि मेष राशि वाला व्यक्ति प्रेम पिपासु होता है परन्तु उसकी मनोनुकूल तृप्ति नहीं हो पाती। वह व्यक्ति प्रेमी-स्वभाव का होता है, किन्तु उन्हीं लोगों से प्रेम करता है, जो उससे प्रेम करते हों। लोगों को पहचानने की इसमें अद्भुत क्षमता होती है। वह स्वार्थी लोगों को शीघ्र पहचान लेता है तथा उनसे दूर भाग जाता है। स्वार्थ से उसे घृणा होती है। मेष राशि वाला व्यक्ति साहसी, उत्साही एवं महत्वाकांक्षाओं वाला होने के कारण प्रेम के अभाव में कर्कश एवं रूखे स्वभाव का बन जाता है। उसे प्रेम का क्षणिक आनंद ही प्राप्त होता है। इस कारण उसके मन में अत्यंत दुःख होता है। मेष राशि वालों को जैसा वह चाहते हैं, वैसा प्रेम नहीं हो पाता है। वे मन ही मन घुटते रहते हैं। विपरीत लिंग से संबंध मेष राशि वाला व्यक्ति उन लोगों की ओर अधिक आकर्षित होता है, जो उससे सदैव ही कुछ न कुछ आशा लगाए रहते हैं। भ्रमवश मेष राशि वाला व्यक्ति ऐसे लोगों को अपना भक्त समझने लगता है, पर अंत में वह धोखा खाता है। विपरीत लिंग को आकर्षित बनाए रखने के लिए मेष राशि वाला व्यक्ति कला, साहित्य अथवा राजनीति की प्रवीणता का सहारा लेता है। इसकी स्वतंत्र प्रकृति, अक्खड़ता की सीमा तक चली जाती है तथा वह सैद्धांतिक बातों पर भी ध्यान नहीं देता है। कुछ व्यक्ति क्रोधी, उदार तथा कामुक स्वभाव के होते हैं, पर विपरीत योनि से चौकन्ने, भयभीत रहते हैं। यदि सहज विश्वास हो जाए तो घनिष्ठता भी खूब प्रगाढ़ हो जाती है। मेष राशि वाला व्यक्ति सिंह के विपरीत लिंग को अपनी ओर से अतिशीघ्र आकर्षित कर लेता है। मेष राशि के व्यक्ति की दूसरे मेष राशि वाले पुरुष या स्त्री से खूब पटती है। मेष राशि वाले पुरुष का मेष राशि वाली स्त्री के साथ संपर्क नित्य नया होता है। रोमांटिक प्रकृति के अनुकूल व्यवहार करता है। मेष राशि की स्त्री स्वाभिमानी होती है। उसे झुकाने का प्रयत्न व्यर्थ जाता है। उसके साथ निरंतर संपर्क रखने से वह हतोत्साहित हो जाती है तथा वह अधिक समय तक आकर्षक नहीं रह सकती है।।

राशि फलादेश