अनिल त्रिवेदी (एडवोकेट)

लेखक वरिष्ठ अभिभाषक हैं
Mahatma Gandhi Death Anniversary: बिड़ला भवन दिल्ली में 30 जनवरी 1948 की शाम संध्याकालीन प्रार्थना पर निकले साकार गांधी अपने अंतिम शब्द 'हे राम' के साथ...
Ayodhya Ram Temple: भारतीय लोक मानस लोक महासागर की तरह गहराई लिए हुए है। लोक मानस की गहराई और विविधता अनोखी पर सहजता लिए होती है। हम अगर यह कहे कि भारतीय...
solution to life challenges: आठ अरब जनसंख्या वाली इस विशाल दुनिया में कोई भी मनुष्य अकेला क्यों महसूस करने लगता है? इतनी बड़ी दुनिया में जहां हर कहीं लोग...
हिंसा और नफ़रत मानव समाज के स्थाई भाव नहीं हैं। जैसे प्राकृतिक आग सदैव प्रज्‍ज्‍वलित नहीं रहती वैसे ही सांप्रदायिक और जातीय हिंसक घटनाएं भी तात्कालिक रूप...
भारत में आजादी और लोकतंत्र आए पचहत्तर साल हो गए। फिर भी भारत के नागरिकों और राजनीतिक दलों के मानस में लोकतंत्र और नागरिकत्व के प्रति प्रायः उदासीनता का...
Freedom of Press: पत्रकारिता अपने जन्म से ही लोकजागृति और लोकचेतना की वाहक रही है। स्थापित राजनीतिक, धार्मिक, सामाजिक, आर्थिक, आपराधिक माफिया, प्रशासनिक...
हालात अपने आप नहीं बदलते हैं। हालात बदलने के लिए खयालात में बदलाव बहुत जरूरी है। दुनिया के सारे बदलाव अपने आप नहीं आते हैं। जैसे जैसे खयालात बदलते गए हालत...
जीवन को शांति और समाधान देने वाले बुनियादी साधन ही मनुष्य समाज की सबसे बड़ी चुनौती या समस्या बन जाए तो आज का मनुष्य क्या करें? यह आज के काल का यक्षप्रश्न...
असंख्य ग्रह नक्षत्रों व तारामंडल को लेकर हमारे मन में कभी यह विचार नहीं आता की यह आकाशगंगा किसकी है? धरती को लेकर भी मेरे-तेरे का भाव भी हमारे मन में नहीं...
भारतीय दर्शन में विचार-विमर्श द्वारा समस्या समाधान की लंबी और मजबूत विरासत रही हैं। जिसे आगे बढ़ाकर समाधान खोजने के बजाय समाज के तथाकथित आगेवान चिंतन के...
लोकतांत्रिक व्यवस्था और समाज सांविधानिक प्रक्रियाओं के साथ ही नागरिकों की तेजस्विता के अभाव में प्रभावी रूप से नहीं चल सकता। लोकतंत्र में सबसे बड़ी कमजोरी...
ईको सिस्टम और ईगो सिस्टम दोनों ही इस धरती पर जीवन की गुणवत्ता को गहरे से प्रभावित करते हैं। हवा, पानी, प्रकाश, मिट्टी और अनंत रूप-स्वरूप की वनस्पतियों...
भारतीय समाज के रूप-स्वरूप और सोच-व्यवहार में पिछले 100-150 सालों में जमीन-आसमान का अंतर आया है। जैसे समाज बदला वैसे अखबार भी बदला। आजादी आए 75 साल हो गए...
भारत सनातन सभ्यता को समझने वाला देश है। भारतीय समाज में इन दिनों ऐसी हलचलों का हल्ला-गुल्ला जरूरत से ज्यादा चल रहा है जिससे आभास होता है कि भारत में तेजी...
लोकतंत्र अकेली सहमति का तंत्र नहीं है। हर बात में सबको सहमत होना ही होगा। यह राजशाही, सामंतशाही या तानाशाही की जीवनी शक्ति तो हो सकती है, पर लोकतंत्र में...
इन दिनों मन में उठा एक सहज और बुनियादी सवाल यह हैं कि भारत में सबसे ताकतवर शक्ति कौन सी हैं? प्रायः इसका उत्तर शाय़द एकदम यही आएगा कि सत्तारूढ़ जमात और...
अध्यात्म की अनुभूति का सनातन प्रवाह हम सबके जीवन के आनन्द में समाया हुआ है। पर जब हम सब, संकीर्ण लोभ लालचवश, सनातन सभ्यता के मूल आध्यात्मिक आनन्द को त्यागकर,...
सनातन समय से दुनियाभर में हिन्दू दर्शन, जिज्ञासा, जीवनी शक्ति और अध्यात्म की तलाश का विचार या मानवीय जीवन पद्धति ही रहा है। आज भी समूची दुनिया में उसी...
शांति-अशांति, विचार और विचारधारा ये सब मनुष्य के मन में सनातन काल से चलने वाली हलचलें हैं। जैसे प्रकाश में प्राकृतिक प्रवाह के रूप में गति और विस्तार सनातन...
जीवन गतिहीन निस्तेज जड़ता न होकर नित नए प्रवाह की तरह निरंतर गतिशील तेजस्विता का पर्याय है। किसी सरकार का आना-जाना बनना-बिगड़ना महज एक घटना है। प्राय:...