डॉ. कृष्णगोपाल मिश्र

परिणामतः भारतवर्ष अपने सामाजिक-राजनीतिक तंत्र से दूर होता चला गया, अपनी परम्पराओं नीतियों-रीतियों को भुलाता चला गया तथापि निरन्तर संघर्ष करता हुआ ‘स्व-तंत्र'...
‘द कश्मीर फाइल्स’ पर तंज कसते हुए सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव कहते हैं कि ‘लखीमपुर फाइल्स भी बना लेते’। सपा नेता का यह बयान उनकी यादव-मुस्लिम वोट बैंक वाली...
ब्रिटिश दासता का शिकार रहे विश्व के अनेक देशों ने उसके उपनिवेशवाद से मुक्ति पाने पर उसके द्वारा स्थापित लोकतांत्रिक व्यवस्था के स्वरूप को अपनी परिस्थितियों...
व्यक्तित्व-विहीन सामान्य जन तो सृष्टि के अन्य जीवों के समान ही जीवन से मृत्यु तक की महत्वहीन यात्रा करता रहता है। इस कारण व्यक्ति के लिए व्यक्तित्व का...
भाषा व्यक्ति-व्यक्ति के मध्य अथवा दो समूहों के मध्य केवल संपर्क का ही माध्यम नहीं होती। वह संपर्क से आगे बढ़कर उनके मध्य स्नेह का सूत्र भी सुदृढ़ करती है,
भारतवर्ष की सनातन सांस्कृतिक परंपरा में ‘शिक्षा’ स्वयं में बहुअर्थगर्भित शब्द है। यहां शिक्षा का अभिप्राय साक्षरता अथवा शैक्षणिक प्रमाणपत्रों की उपलब्धता...
युवाशक्ति को उचित दिशा दिए बिना हम सशक्त, समृद्ध और सुरक्षित भारत का निर्माण नहीं कर सकते और शिक्षा का विकास रथ युगीन अपेक्षाओं के अनुरूप उचित पथ पर अग्रसर...