निर्मला भुरा‍ड़‍िया

पिता! एक निश्‍चिंतता का नाम है पिता। पिता छत है, पिता आकाश है। पिता वह सुरक्षा कवच भी है, जो अपनी छाती पर तूफान झेलकर संतान की रक्षा करता है। पिता के होते...
पिता छत है, पिता आकाश है। पिता वह सुरक्षा कवच भी है, जो अपनी छाती पर तूफान झेलकर संतान की रक्षा करता है।
आज जिन्हें मंगलमूर्ति कहते हुए लोग पूजा कर रहे थे, कल उनकी दुर्दशा। बाद में नालों में बहती टूटी-फूटी मूर्तियां और जलस्रोतों के किनारे कहीं सूंड, कहीं कान,...
उनमें मनुष्य का दिल और नैतिकता की भावना का तो सवाल ही कहां है। मगर हमारा समाज भी अजीब है, ऐसी घटनाएं होने पर अक्सर हैवानियत की निंदा करने के स्थान पर लड़कियों...
बारिश के दिन थे। बरामदे में बैठी दादी अपने नन्हे पोते से बात कर रही थी। बस ऐसी ही मासूम बातें जैसे कि बारिश संग धूप निकल आए तो चिड़िया की शादी होगी। इतने...
कई पूजाओं में तो पूजा के संग मूर्तिकला को भी महत्व दिया गया है। मिट्टी के बने गोगादेव हों या मां पार्वती, पुरानी स्त्रियों के लिए स्वयं ही मिट्टी की मूरत...
एक इतालवी फिल्म है 'लाइफ इज ब्यूटीफुल'। फिल्म एक पिता के महान त्याग और बलिदान की कहानी है। नाजी यातना शिविर में एक पिता अपने बच्चे के भोले मन को लगातार...
स्वप्न विश्लेषक मधु टंडन ने एक अद्भुत किताब लिखी है, ड्रीम्स एंड बियॉन्ड। यह पुस्तक सपनों की बायलॉजी, दुनियाभर की हर संस्कृति में मिलने वाला स्वप्नों का...
क्या हमारे खाने का संबंध हमारे मन के शांत रहने या व्यग्र रहने से है? तो जवाब है- हां है। भारतीय परंपरा में सदा से ये बात मानी जाती रही है कि हम जो खाते...
नामों का भी एक जमाना होता है। किसी एक समय में एक तरह के नाम चलते हैं, जमाना बदलने के साथ ही नामों के चलन में भी फर्क आ जाता है। कम से कम हमारे हिन्दुस्तान...
भारतीय रसोई रस और रसायनों से भरपूर है। जी हां रसायन, आप भारत के किसी रसोईघर में प्रवेश कीजिए तो आपको वह किसी लैबोरेटरी से कम नहीं लगेगा। तरह-तरह की बरनियों,...
एक कॉलोनी की एक गर्भवती स्त्री एक दूसरी स्त्री के पैर छूने आई। जिसके पैर छूने आई थी उसने पूछा- मेरे ही पैर क्यों छूना है, तो गर्भवती स्त्री ने बताया- क्योंकि...
कभी-कभी ऐसे रिश्ते भी बनते हैं जिनका संबंध न खून से होता है, न दुनियादारी से। ये रिश्ते मुंहबोले हों या अनकहे इनमें अलग ही सौंधापन होता है। ये मन ही नहीं,...
भारतीय माँ-बाप और शिक्षक यहाँ तक कि भारतीय स्कूल- कॉलेजों के प्रबंधक भी पाठ्येतर गतिविधियों को बहुत कम महत्व देते हैं। हमारे यहाँ शिक्षा का मतलब सिर्फ...
ब्रितानी लेखिका व पत्रकार ऐंजेला हथ ने स्वयं के बारे में एक दिलचस्प बात बताई है। वे कहती हैं कि वे दिनों और महीनों को रंग में महसूस करती हैं। जैसे बुधवार...
इस दौड़ती दुनिया में लोगों ने अपने बच्चों को भी सिर्फ और सिर्फ भौतिक सुख-सौंदर्य की ओर भागने में लगा दिया है। ऐसे में किसी भी प्रकार की कमी और असुंदरता...

अच्छा पाठक बनना भी एक कला

रविवार, 22 जनवरी 2012
जयपुर। 'अच्छा लेखक बनने की पहली शर्त है अच्छा पाठक बनना। लेखन की कला के साथ ही पढ़ने की कला भी विकसित की जानी चाहिए ताकि हम और बुद्धिमत्ता व संपूर्णता के...
जयपुर। साहित्य का कुंभ उत्सव। जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में आकर यही प्रतीत होता है। साहित्य और किताबों की दुनिया को अक्सर गुमसुम, हासिए पर पड़े देखा है, मगर...
सुहानी धूप के दिनों में एक पुराने मोहल्ले की एक पुरानी दादी मां याद आती हैं। यह धूप घड़ी पढ़ने वाली दादी मां थीं। धूप सामने वाले खंभे पर कहां चढ़ी है, दीवार...
मूर्तियों पर रसायनयुक्त रंग चढ़ने लगे और देवों की मूर्तियां दैत्याकार बनने लगीं! फिर हर साल नई मूर्ति का चलन! इसके चलते मूर्ति विसर्जन एक पर्यावरण विरोधी...