प्रीति दुबे

शिक्षिका (दिल्ली पब्लिक स्कूल, इंदौर)
Poem about Mother in Hindi माँ तुझसे ही अस्तित्व मेरा तुझसे ही ख़ुशियाँ मेरी तुझसे ही व्यक्तित्व मेरा तुझ से ये “प्रीति “तेरी ख़ुद गीले में सोकर...
वसंत ऋतु में वातावरण में भी ग़ज़ब का संतुलन होता है- न ही अत्यधिक सर्दी न अतिशय गर्मी :वातावरण सुखद, रमणीय और कमनीय भी।जहाँ वसंत ऋतु में हर तरफ़ सौंदर्य...
मान मिला सम्मान मिला धन्य हुआ नारी जीवन जब...... आँचल रूपी सुखद सरोवर पुत्री रत्न सम कमल खिला मन की आशाओं को उड़ने विकसित विहसित आकाश मिला प्रीति...
शीतल निर्मल कोमल संगीत की देवी लता मंगेशकर जी जिनके नाम में ही सुर और ताल का अद्भुत समन्वय था ‘लता ‘उलट कर देखें तो “ताल” .... वे थीं साक्षात सरस्वती...
नीलाभ व्योम ,पुलकित है रोम , धरिणी लावण्य हुई सुंदरा। स्वर्णिमपर्णा, प्रकृति है मोद , मन-मनोहारी हुई वसुंधरा। फूटा विहान दृग खोल वृंद, आलोकित पीली...
क़तरा-क़तरा लहू बहा है आज़ादी को पाने में फिर;लगे वर्ष २ , ११ माह ,१८ दिवस विधी बनाने में कर उपयोग अधिकारों का कर्तव्यों को निभाएँगे देश प्रेम में नतमस्तक...
नीले घन को चीरकर, झाँक रहा देखो दिनकर। दोनों बाहों को फैलाकर , जीवन पाता मैं प्रबल-प्रखर, रश्मिकर ही तो है सुखकर, पोषित करता सब पूरित कर। जीवों...
मैं पतंग सी सजन तुम संग, उड़ चली इक डोर में बंध।। तिल से कोमल गुड़ से मीठे , मृदु रिश्ते की मिठास भीगे। थाम कर मज़बूत मांजा , हो चली तेरे पीछे...
हे राम !! तुम्हे आना होगा ..जग पर बरसी यह विकट आपदा तुमको ही तो मिटाना होगा .....
राम तुम्हें अब आना होगा, मैं शबरी बन जाऊंगी, ध्यान तुम्हारा नित मैं धरूंगी रघुपति राघव गाऊंगी
हुई पूर्ण प्रतीक्षा जन-जन की 'लाल' का स्वप्न साकार अवध में प्रकट भए श्री राम निभाने रघुवर-रघुकुल रीत