जम्मू कश्मीर को स्वायत्तता पर भाजपा की चेतावनी

शुक्रवार, 19 फ़रवरी 2010 (15:51 IST)
भाजपा ने शुक्रवार को केन्द्र को चेतावनी दी कि जम्मू कश्मीर में स्वायत्तता के नाम पर अगर 1953 से पहले की स्थिति लाने का कोई प्रयास भी किया गया तो उसे ऐसे राजनीतिक संघर्ष का सामना करना पड़ेगा जैसा देश में आज तक नहीं हुआ होगा।

पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने यहाँ 17 फरवरी से शुरू हुए भाजपा के तीन दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन के समापन के तौर पर अपने‘मार्गदर्शन’संबोधन में यह चेतावनी दी।

उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर के बारे में सरकार की नीयत को लेकर भाजपा प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को संसद के बजट सत्र में कठघरे में खड़ा करके उनसे इस बारे में स्पष्टीकरण माँगेगी।

आडवाणी ने कहा कि जम्मू कश्मीर में स्वायत्तता देने के नाम पर देश के साथ एक‘बड़ा धोखा' किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर में 1953 से पहले की स्थिति का मतलब होगा,‘एक देश,दो विधान,दो निशान और दो प्रधान’लेकिन भाजपा इस स्थिति को किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं करेगी।

अधिवेशन में भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी ने भी यह ऐलान किया कि वह सरकार के इन प्रयासों के विरुद्ध 24 फरवरी को जम्मू कश्मीर जाएँगे और वहाँ एक बड़े आंदोलन की शुरूआत करेंगे।


गडकरी ने सीधा आरोप लगाया कि अमेरिका के दबाव में संप्रग सरकार और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जम्मू कश्मीर के संबंध में जिस दिशा में जा रहे हैं , वह देश की सुरक्षा के लिए बहुत ही चिंता की बात है। उन्होंने घोषणा की कि 24 फरवरी को वह सरकार की इन कोशिशों के खिलाफ जम्मू कश्मीर जाकर एक बड़ा आंदोलन शुरू करेंगे।

उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर को लेकर यह सरकार यदि भविष्य में कोई भी बड़ी भूल या गलत निर्णय करती है तो उसके इस‘राष्ट्र विरोधी कृत्य’के खिलाफ भाजपा देशभर में एक बड़ा आंदोलन छेड़ेगी।

आडवाणी ने कहा कि कहाँ तो एक ओर सरकार मुंबई आतंकवादी हमले के बाद यह रट लगाती आ रही थी कि जब तक पाकिस्तान इस हमले के षड़यंत्रकारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करता और आतंकी ढाँचे को समाप्त नहीं करता, वह उसके साथ वार्ता नहीं करेगी और कहाँ अचानक उसने पाकिस्तान से विदेश सचिव स्तरीय वार्ता शुरू करने की घोषणा तक कर दी।

उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर को स्वायत्तता देने और पाकिस्तान से वार्ता शुरू करने के लिए सरकार ने जो अचानक कदम उठाया है उस पर हम हैरान हैं। उन्होंने कहा‘यह सरकार ऐसा कैसे कर सकती है। हम सोच भी नहीं सकते।’ (भाषा)

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