शाहरुख खान- आधी हकीकत : आधा फसाना

पूरा सच और पूरा झूठ, दोनों खतरनाक होते हैं। एक अभिनेता अपनी जिंदगी में आधी हकीकत और आधे अफसानों से खेलता है। सपनों की खूबसूरती का यही सच है। कलाकार की ईमानदारी उसके अनसुलझे व्यक्तित्व की तहों में दबी रहती है। शायद ही कोई सितारा सार्वजनिक जीवन के मंच पर वैसा नजर आया हो, जैसा वह है। रजतपट हर सितारे को एक इमेज देता है, जो उसकी वास्तविक पहचान को लार्जर देन लाइफ बनाती है।
 
सुपर स्टार शाहरुख खान ईमानदारी और खालिस सच के आईने पर खुद को किस तरह देखते हैं, उनके ही शब्दों में -
'ईमानदारी एक सापेक्ष विचार हर कोई अपनी तरह से इसे ‍परिभाषित करता है। सौ प्रतिशत ईमानदारी मुमकिन नहीं, सिवाए आत्मीय संबंधों के। मैंने गौरी के साथ अपने रिश्ते में कभी झूठ की मिलावट नहीं होने दी। अगर मुझे उसकी कोई बात पसंद नहीं, तो मैं उसे देर-अबेर बता देता हूँ। फिर चाहे वह मेरी राय माने या नहीं।
 
सफेद झूठ मैं नहीं बोल सकता। इसलिए नहीं कि मैं साधु-संत हूँ बल्कि इसलिए कि मुझे यह ठीक नहीं लगता। प्यार में झूठ के लिए कोई जगह नहीं होती। लोग जब संबंध में ईमानदारी की बात करते हैं, ज्यादार उनका आशय नियंत्रण से होता है। जैसे कि वे कहेंगे हमें यह पसंद नहीं, वह पसंद नहीं। मुझे लंबे बालों वाली लड़कियाँ अच्छी लगती हैं। 
 
मगर गौरी को छोटे बाल पसंद हैं। मैंने सिर्फ एक बार उससे पूछा - तुमने अपने बाल क्यों कटवाए? उसने कहा - वह ऐसा ही चाहती थी। बात वहीं खत्म हो गई। आज मैं छोटे बालों की तारीफ में सौ कारण गिना सकता हूँ। यह झूठ नहीं, समझौता है। 
 
अगर गौरी दिन को रात कहे, तो यह उसकी मर्जी। मैं इस बात पर उससे झगड़ना तो नहीं चाहूँगा। मुझे वे लोग पसंद नहीं, जो अड़ियल होते हैं। उन्हें हठधर्मिता ईमानदारी लगती है। मैं इससे सहमत नहीं। आप तभी मौलिक होते हैं, जब परिवर्तन के लिए तैयार हों। मानव होने का अर्थ ही समन्वय है। कठोर होना बचपना लगता है। आपमें अहंकार हावी है। सचाई यह है कि सिर्फ छोटा बच्चा ही सौ प्रतिशत मौलिक होता है। वयस्क होने पर हममें परिवर्तन आते हैं। कुछ भी स्थायी नहीं है। आप नैतिक, प्रणय या आचारगत स्तर पर अड़ियल मानदंड नहीं अपना सकते। यहाँ तक कि प्रेम की आपकी व्याख्या भी बदलती रहती है। आपका व्यक्तित्व  भी बदल जाता है। आप जो आज हैं, दस साल बाद नहीं होंगे। 
 
लोग कहते हैं - शाहरुख पूरी तरह घरेलू इंसान है। अपनी पत्नी और बच्चों को बहुत प्यार करता है। हो सकता है कल मैं बदल जाऊँ। ऐसा होगा नहीं, पर यह मुममिन है। बेवफाई को मैं झूठ का सबसे बुरा रूप मानता हूँ। यह सच है कि आदमी एक से अधिक स्त्रियों से प्यार कर सकता है। पर यही बात स्त्री पर भी लागू होती है। इसका अर्थ यह नहीं कि वह ईमानदार नहीं है। प्यार का अभिनय न करें, यदि विवाहित जीवन लंबा चाहते हैं।
 
निजी तौर पर मेरा मानना है कि प्यार आपको नियंत्रित करता है। आप अपनी स्वतंत्रता को लेकर हठधर्मी न रहें। मेरी नजर में सौ प्रतिशत ईमानदारी का अर्थ यही है।

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