आतंकवाद का जवाब पाक पर हमला

मंगलवार, 6 जनवरी 2009 (20:39 IST)
मुंबई में हुए आतंकवादी हमलों से क्षुब्ध योगाचार्य बाबा रामदेव का मानना है कि भारत को पाकिस्तान पर तुरंत हमला कर वहाँ स्थित आतंकवादियों के प्रशिक्षण शिविरों को ध्वस्त कर देना चाहिए। वे कहते हैं कि फिलहाल सरकार समय की बर्बादी कर रही है, जिससे देश को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। वेबदुनिया से बातचीत के दौरान बाबा रामदेव ने आतंकवाद से जुड़े सवालों पर खुलकर चर्चा की। प्रस्तुत हैं बातचीत के मुख्‍य अंश :-

मुंबई के आंतकी हमलों पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है?
मैं तो कहता हूँ कि पाकिस्तान में जो आतंकवादी प्रशिक्षण शिविर हैं, उन्हें नष्ट कर देना चाहिए। हम अभी सिर्फ आतंकी शिविरों की गिनती कर रहे हैं और अमेरिका के माध्यम से समस्या सुलझाने का प्रयत्न कर रहे हैं। जो अमेरिका करोड़ों डॉलर खर्च कर अल कायदा सरगना ओसामा बिन लादेन को नहीं पकड़ पाया, वो हमारी कैसे मदद कर सकता है?

सीधी-सी बात तो यह है कि हमारी सरकार इतनी असंवेदनशील हो गई है कि जो गोलियाँ शहीदों के सीने और माथे पर लगीं, यदि यही गोलियाँ किसी राजनेता के सीने में लगी होती तो अब तक पाकिस्तान स्थित आतंकी अड्डों पर हमला हो चुका होता। चूँकि देश का आम आदमी मरता है, सैनिक मरते हैं, इ‍सलिए हमारी सरकार का इस मुद्‍दे को गंभीरता से नहीं लेती। इसके लिए अब हमें सख्त निर्णय लेना होगा। अगर दोबारा कोई आतंकवादी हमला होता है तो इसका मतलब यह निकाला जा सकता है कि हम पर हमले होते रहें। यदि भविष्य में आतंकवादी हमलों की पुनरावृत्ति होती है तो सरकार को देशवासियों को नियंत्रण में करना मुश्किल हो जाएगा।

क्या आपको लगता है कि केंद्र सरकार इस मुद्दे पर नाकाम साबित हुई है?
प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह की छवि काफी अच्छी है, परंतु उन्होंने अब भी आक्रामक रुख नहीं अपनाया तो जनता उन्हें कभी माफ नहीं कर पाएगी। आतंकवादी लगातार हमें निशाना बनाए जा रहे हैं, ऐसे में पाकिस्तान से मदद की अपेक्षा करना बेवकूफी है। बांग्लादेश और पाकिस्तान की ओर से घुसपैठ बढ़ती ही जा रही है, जिसकी वजह से कभी भी भारत में गृहयुद्ध जैसे हालात उत्पन्न हो सकते हैं।

पाकिस्तान के खिलाफ कोई भी कदम उठाने के पूर्व अमेरिका की राय लेना किस हद उचित है?
अमेरिका की सलाह से हर कार्य को अंजाम देना भी आतंकवाद जितना ही घातक है। हमें अपनी सोच-समझ से भी आगे बढ़ना सीखना चाहिए।

क्या आप राजनीति में आना चाहें‍गे?
मैं राजनीति में तो नहीं आऊँगा, परंतु यह जरूर कहूँगा कि इसमें अच्छे लोगों की आवश्यकता है।

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