कोविड-19 के उपचार के लिए फेविपिरवीर दवा लॉन्च करने के लिए तैयार सिप्ला: सीएसआईआर

शनिवार, 25 जुलाई 2020 (12:42 IST)
उमाशंकर मिश्र,

नई दिल्ली, बड़े पैमाने पर एंटी-वायरल दवा फेविपिरवीर के लागत-प्रभावी उत्पादन के लिए वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) द्वारा विकसित इसकी किफायती तकनीक को दवा कंपनी सिप्ला को सौंपा गया है।

कोविड-19 के उपचार के लिए फेविपिरवीर दवा को लॉन्च करने के लिए सिप्ला ने तैयारियां पूरी कर ली हैं। सीएसआईआर द्वारा जारी एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि जल्दी ही यह दवा लॉन्च की जा सकती है।

कोविड-19 के उपचार के लिए नई दवाओं की खोज के साथ-साथ शोधकर्ता दूसरी बीमारियों में उपयोग होने वाली दवाओं का चिकित्सीय परीक्षण भी इसके मरीजों पर कर रहे हैं। ऐसी ही एक दवा फेविपिरवीर को कोविड-19 के खिलाफ किए गए चिकित्सीय परीक्षणों में प्रभावी पाया गया है। फेविपिरवीर को कोविड-19 से हल्के एवं मध्यम रूप से बीमार रोगियों के उपचार में विशेष रूप से असरदार पाया गया है। जापान की कंपनी फ्यूजी द्वारा खोजी गई यह दवा पेटेंट प्रतिबंधों से मुक्त है।

सीएसआईआर की हैदराबाद स्थित घटक प्रयोगशाला इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल टेक्नोलॉजी (आईआईसीटी) के शोधकर्ताओं ने फेविपिरवीर के उत्पादन की लागत-प्रभावी प्रक्रिया विकसित की है। व्यापक स्तर पर उत्पादन के लिए सिप्ला को यह तकनीक सौंपे जाने से पहले आईआईसीटी के शोधकर्ताओं ने स्थानीय स्तर पर उपलब्ध रसायनों के उपयोग से इस दवा के सक्रिय औषध घटकों (एपीआई) का संश्लेषण किया है।

सिप्ला ने अपनी विनिर्माण इकाई में इस प्रक्रिया को विस्तारित किया है और भारत में उत्पाद लॉन्च करने की अनुमति के लिए ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) से संपर्क किया गया है।

इस बारे में अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए आईआईसीटी के निदेशक डॉ एस. चंद्रशेखर ने कहा है कि ‘सीएसआईआर-आईआईसीटी द्वारा पेश की गई यह तकनीक बेहद प्रभावी है, जिससे इसकी लागत में कमी आई है। इस तकनीक की मदद से सिप्ला बेहद कम समय में बड़े पैमाने पर उत्पादन कर सकती है’

सीएसआईआर के महानिदेशक डॉ शेखर सी. मांडे ने कहा है कि “कोविड-19 से लड़ने के लिए सीएसआईआर त्वरित समाधान एवं उत्पाद विकसित कर रहा है और सिप्ला के साथ यह साझेदारी दर्शाती है कि सीएसआईआर किस तरह दूसरी बीमारियों में उपयोग होने वाली दवाओं का नये सिरे से उपयोग करने के लिए प्रतिबद्ध है।” (इंडिया साइंस वायर)

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