COVID-19 : पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट का अनुमान, भारत में कोरोना से मरने वालों की संख्या रहेगी 8000 से कम, इन राज्यों में घटेगा वायरस का प्रकोप

मंगलवार, 26 मई 2020 (18:16 IST)
बेंगलुरु। प्रमुख जनस्वास्थ्य विशेषज्ञ का कहना है कि भारत में कोविड-19 (COVID-19) से जान गंवाने वालों की संख्या 8000 से कम ही रहेगी। साथ ही उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि केरल, पंजाब और हरियाणा में कोरोना वायरस के मामले बढ़ने का समय अब निकल चुका है।
 
भारतीय जनस्वास्थ्य संस्थान (हैदराबाद) के निदेशक प्रोफेसर जीवीएस मूर्ति ने कहा कि कोविड-19 से निपटने के लिए भारत को एक इकाई के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए, क्योंकि राज्यों और जिलों में जनसंख्या अलग-अलग है, भिन्न स्वास्थ्य प्रणाली है और साक्षरता का स्तर भी अलग-अलग है। उन्होंने कहा कि इसलिए जरूरी है कि बढ़ते मामलों के बारे में राज्य और जिला स्तर पर बात की जाए।
 
प्रोफेसर मूर्ति ने कहा कि प्रति 10 लाख की आबादी पर जहां 25 अप्रैल तक भारत में 17.6 मामले थे, वहीं 25 मई तक यह प्रति 10 लाख पर बढ़कर 99.9 हो गए। महाराष्ट्र में 25 अप्रैल को प्रति 10 लाख आबादी पर 61.9 मामले थे जो कि 25 मई तक बढ़कर प्रति 10  लाख पर 383 हो गए।
 
उन्होंने कहा कि तमिलनाडु की बात करें तो 25 अप्रैल को प्रति 10 लाख लोगों पर 23.4 मामले थे, जो 25 मई को बढ़कर 199.3 हो गए। गुजरात में 25 अप्रैल को प्रति 10  लाख लोगों पर 48.1 मामले थे जो 25 मई तक बढ़कर 219 हो गए। दिल्ली की बात करें तो यहां मामले बहुत तेजी से बढ़े और 25 अप्रैल को जहां प्रति 10 लाख लोगों पर 140 मामले थे, वे 25 मई को 690 हो गए।
 
प्रोफेसर ने पीटीआई को कहा कि प्रतीत होता है कि महाराष्ट्र, तमिलनाडु, गुजरात और दिल्ली में मामले अब तेजी से बढ़ने की ओर हैं वहीं केरल, पंजाब और हरियाणा में लगता है कि मामले बढ़ने का समय चला गया है।
 
उन्होंने कहा कि देश के 70 प्रतिशत मामले महाराष्ट्र, तमिलनाडु, गुजरात, दिल्ली, राजस्थान और मध्यप्रदेश से हैं। इन राज्यों में मामले बढ़ने पर ही देश में मामले बढ़ेंगे। मौजूदा स्थिति को देखते हुए लगता है कि ऐसा जून की शुरुआत से जुलाई मध्य तक हो सकता है।
 
देश में कोविड-19 से जान गंवाने वालों की संख्या पर प्रोफेसर ने कहा कि अगर मानक दिशा-निर्देशों का पूरी तरह पालन किया गया और अस्पताल में सुविधाएं पर्याप्त रहीं तो कोविड-19 से 7500-8000 से कम ही लोगों की जान जाएगी। इसका मतलब है कि प्रति दस लाख लोगों पर चार या पांच लोगों की ही जान जाएगी। (भाषा)

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