आत्मघाती जाल में फंसा निर्लज्ज पाकिस्तान

दुनिया के देशों ने कभी अलग तो कभी साथ मिलकर कुछ देशों के शैतान शासकों को सबक सिखाने के लिए अनेक अहिंसात्मक तरीकों का प्रयोग किया। उनमें से एक था आर्थिक और सामरिक प्रतिबंध, किंतु अंतिम नतीजा सिफर ही रहा। हाल के उदाहरणों को लें तो एक उत्तरी कोरिया है जिसके विरुद्ध संसार के लगभग सभी  देश लामबंद हो गए थे किन्तु वहां के तानाशाह ने भले ही अपनी जनता के हितों को दांव पर लगा दिया, पर झुका नहीं।


दूसरा उदाहरण ईरान का है जिस पर भी प्रतिबंधों के लिए लगभग सभी देश एकमत हो गए थे और दशकों तक उस पर प्रतिबंध जारी भी रखे किंतु वह अपनी नीतियों से अलग नहीं हुआ और मध्यपूर्व के देशों में उग्रवादियों को सहयोग और समर्थन देता रहा।

ऐसे और भी कई देश हैं (जैसे लीबिया, सीरिया, सूडान, कांगो, यमन इत्यादि) जहां महाशक्तियों के द्वारा लगाए गए आर्थिक और सामरिक प्रतिबंध्‍ इनके शासकों को झुका नहीं सके। आधुनिक विश्व में हर देश के हित दूसरे देश के साथ कहीं न कहीं बंधे होते हैं।
 
 
उदाहरण के लिए भारत, तेल के लिए ईरान पर निर्भर था, अतः वह अमेरिका के दबाव के बावजूद भी ईरान के विरुद्ध खुलकर सामने नहीं आ सका था। उसी तरह चीन पिछले दरवाजे से उत्तरी कोरिया से सहयोग करता रहा और उसको घुटने पर नहीं आने दिया और अब पाकिस्तान की बात करें। भारत उसको विश्व में अलग-थलग करने के प्रयास में कुछ घाव जरूर दे सकता है किंतु जब तक चीन और तुर्की जैसे देश जो हर हाल में उसके साथ खड़े हैं उसको घुटनों पर नहीं लाया जा सकता।
 
 
इस तरह हमने देखा कि किसी भी देश को अलग-थलग करके या उस पर प्रतिबंध लगाकर कुछ हासिल नहीं होता। ऐसे देशों के शासक जनता में अमूनन राष्ट्र भक्ति की भावनाओं को भड़काकर उसे प्रतिबंध लगाने वाले देशों के विरुद्ध खड़ा कर देते हैं। जनता अपने शासक के विरुद्ध नहीं होती वरन प्रतिबंध लगाने वाले देशों को ही अपना दुश्मन मान लेती है।

भारत ने भरसक कोशिश की कि पाकिस्तान को दुनिया से अलग-थलग किया जाए और उसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर शर्मसार और बेनकाब किया जाए। अलग-थलग करने में तो कुछ हद तक सफलता भी मिली किंतु शर्मिंदा तो उसे ही किया जा सकता है जिन्हें शर्म आती हो। बेनक़ाब भी उसे किया जा सकता है जो नक़ाब में हो, नंगों को कोई कैसे बेनक़ाब कर सकता है।

परदा केवल पर्दानशीं का ही उठाया जा सकता है। बेइज्जत उन्हें किया जा सकता है जिन्हें इज्जत से रहने का सलीक़ा आता हो। भारत और अमेरिका दशकों से पाकिस्तान को कितनी ही बार बेनक़ाब कर चुके हैं किंतु उस झूठे को कोई फर्क नहीं पड़ता। लातों के भूत बातों से नहीं मानते। अंततः भारत को सर्जिकल स्ट्राइक नंबर एक और सर्जिकल स्ट्राइक नंबर 2 करने जैसे साहसी निर्णय लेने पड़े।
 
 
भारत की संवेदनशीलता और पाकिस्तान की हठधर्मिता का उदाहरण इस सप्ताह भी हम सबने देखा। हमारे एक पायलट के सीमापार पकड़े जाने से पूरे देश की धड़कनें रुक गईं। सारा राष्ट्र अपने वीर सपूत की प्राणरक्षा के लिए दुआएं मांगने लगा, किंतु जरा सोचिए उस निर्दय देश के बारे में जो अपने देश के बेटों को फियादीन बनाकर भारत में घुसेड़ता है। ये हमारी सेना के हाथों कुत्तों की मौत मारे जाते हैं किंतु उनके शव को वापस लेने वाला भी कोई नहीं होता। यदि वे जिंदा पकड़े जाते हैं तो वह देश उन्हें अपना नागरिक ही मानने से इंकार कर देता है।

यही विरोधाभासी आचरण भारत और पाकिस्तान को अलग करता है। हमारा देश अपने नागरिकों और सैनिकों के पीछे हर स्तर पर खड़ा होता है, वहीं पाकिस्तान धार्मिक उन्माद में अपने नागरिकों को फियादीन बनाता है और उन्हें जैसे देश निकाला ही दे देता है। इसीलिए भारत के हर कार्य में आत्मभावना दिखाई देती है वहीं पाकिस्तान आत्माविहीन लगता है। एकदम निर्दय, भावनाहीन, कृतघ्न तथा निर्लज्ज।

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