Saphala Ekadashi 2021 : सफला एकादशी का व्रत रखने के 3 फायदे, जानिए पारण का समय

माह में 2 एकादशियां होती हैं अर्थात आपको माह में बस 2 बार और वर्ष के 365 दिनों में मात्र 24 बार ही नियमपूर्वक एकादशी व्रत रखना है। हालांकि प्रत्येक तीसरे वर्ष अधिकमास होने से 2 एकादशियां जुड़कर ये कुल 26 होती हैं। पौष में सफला एवं पुत्रदा एकादशी आती है। सफला एकादशी के देवता श्रीनारायण हैं। 9 जनवरी 2021 को है सफला एकादशी।
 
पौष मास कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को सफला एकादशी भी कहा जाता है।
 
सफला एकादशी व्रत रखने के 2 फायदे 
1. जैसा की नाम से ही विदित है कि सफला एकादशी सफल करने वाली होती है। यदि आपको जीवन के हर कार्य में सफल होना है तो इस एकादशी के दिन विधिवत रूप से शास्त्र सम्मत व्रत रखना चाहिए।
 
2. यह भी कहा जाता है कि सफला एकादशी व्रत रखने से अश्वमेध यज्ञ का फल प्राप्त होता है।
 
3. इस दिन नियमपूर्वक व्रत रखने तथा श्री हरि की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। श्रीहरि के साथ ही देवी लक्ष्मी भी प्रसन्न हो जाती है और धन समृद्धि बढ़ती है।
 
4. इसका व्रत रखने से लंबी आयु तथा अच्छे स्वास्थ्य की भी प्राप्ति होती है।
 
5. पुराणों के अनुसार जो व्यक्ति एकादशी करता रहता है, वह जीवन में कभी भी संकटों से नहीं घिरता और उसके जीवन में धन और समृद्धि बनी रहती है।
 
सफला एकादशी पर करें इन मंत्रों का 108 बार जाप
1. ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
2. ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीवासुदेवाय नमः 
3. ॐ नमो नारायणाय 

सफला एकादशी तिथि प्रारंभ, समाप्ति और पारण
 
सफला एकादशी तिथि का स्थानीय पंचांग के अनुसार 8 जनवरी रात 09:40 पर प्रारंभ होगा अत: तभी से उपवास प्रारंभ करना होगा। फिर इसका पारण अगले दिन अर्थान 9 जनवरी 2021 को शाम 07:17 के बाद समाप्ति होगी। इसके बाद ही पारण कर सकते हैं अर्थात दूसरे दिन। पारण समय: 10 जनवरी को सुबह 7 बजकर 15 मिनट से 9 बजकर 21 मिनट तक।
 
-इस एकादशी व्रत के करने के 26 फायदे हैं- व्यक्ति निरोगी रहता है, राक्षस, भूत-पिशाच आदि योनि से छुटकारा मिलता है, पापों का नाश होता है, संकटों से मुक्ति मिलती है, सर्वकार्य सिद्ध होते हैं, सौभाग्य प्राप्त होता है, मोक्ष मिलता है, विवाह बाधा समाप्त होती है, धन और समृद्धि आती है, शांति मिलती है, मोह-माया और बंधनों से मुक्ति मिलती है, हर प्रकार के मनोरथ पूर्ण होते हैं, खुशियां मिलती हैं, सिद्धि प्राप्त होती है, उपद्रव शांत होते हैं, दरिद्रता दूर होती है, खोया हुआ सबकुछ फिर से प्राप्त हो जाता है, पितरों को अधोगति से मुक्ति मिलती है, भाग्य जाग्रत होता है, ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है, पुत्र प्राप्ति होती है, शत्रुओं का नाश होता है, सभी रोगों का नाश होता है, कीर्ति और प्रसिद्धि प्राप्त होती है, वाजपेय और अश्‍वमेध यज्ञ का फल मिलता है और हर कार्य में सफलता मिलती है।

वेबदुनिया पर पढ़ें