बढ़ा हुआ पेट नहीं हो रहा किसी और तरीके से कम, कार्बनडाय ऑक्साइड के इंजेक्शन ले सकते हैं

वैसे तो शरीर का कहीं से भी बढ़ा हुआ होना भद्दा लगता है लेकिन हर कोई इस बात पर हामी भरेगा कि पेट या तोंद सबसे ज़िद्दी होती है। अगर आप भी उनमें से हैं जिन पर डाइटिंग, डाइट बदलना और जमकर एक्ससाइज़ करना भी बेअसर हो गया है तो आप कार्बनडाय ऑक्साइड थेरेपी के लिए मन बना सकते हैं। आप अपने बढ़े हुए पेट में कार्बनडाय ऑक्साइड पहुंचाने के इस उपाय पर विचार कर सकते हैं। 
 
ऐसा सामने आया है कि कॉर्बनडाय ऑक्साइड गैस के कुछ डोज़ आपके बढ़ी हुई तोंद की समस्या से छुटाकारा दिलाने का बढ़िया उपाय साबित हो सकते हैं। कॉर्बोक्सीथेरेपी के नाम से जानी जाने वाली इस प्रक्रिया में शरीर में कॉर्बनडाय ऑक्साइड के इंजेक्शन लगाए जाते हैं। एक प्रक्रिया पर किए गए एक शोध में सामने आया कि इस प्रक्रिया से पेट कम तो हुआ लेकिन यह लंबे समय तक कम नहीं बना रहा। 
 
इस तरह कॉर्बोक्सीथेरेपी वज़न कम करने की एक बेहद प्रभावी और नवीन तकनीक कही जा सकती है। इस प्रभावी तकनीक को और सुधारकर अधिक प्रभावी बनाने की जरूरत है ताकि इसका असर लंबे समय तक रहे। 
 
क्या है कॉर्बोक्सीथेरेपी? 
 
कॉर्बोक्सीथेरेपी स्ट्रेच मार्क्स, आंखों के नीचे काले घेरों और वज़न के लिए है। इसे पलकों, गर्दन, चेहरे, बांहों, पेट और टांगों पर इलाज के लिए अपनाया जा सकता है। इसके तहत शरीर में इजेंक्शन के माध्यम से कॉर्बनडाय ऑक्साइड (जो शरीर में प्राकृतिकतौर पर भी बनती है) पहुंचाई जाती है।  

सुरक्षित और लगने वाला वक्त? 
 
कॉर्बोक्सीथेरेपी को यूएस फूड एंड ड्रग एडमीनिस्ट्रेशन (एफडीए) ने मान्यता नहीं दी है। इसके लंबे समय तक टिकनेवाले साइड इफेक्ट नहीं हैं। यह 15 से 30 मिनिट में हो जाने वाली प्रक्रिया है। इसके तुरंत बाद मरीज़ अपने दैनिक काम कर सकता है। तैरने और नहाने की इजाज़त 24 घंटों के बाद दी जाती है। वज़न कम करने के लिए इस प्रक्रिया को फिलहाल अच्छा माना जा रहा है। 

 
 
कॉर्बोक्सीथेरेपी की प्रक्रिया 
 
इस प्रक्रिया के तहत डॉक्टर कॉर्बनडाय ऑक्साइड गैस को सुई की मदद से त्वचा के नीचे इंजेक्ट कर देते हैं। यह प्रक्रिया लगभग दर्दरहित है। कुछ डॉक्टर सुन्न करने वाली क्रीम का इस्तेमाल त्वचा पर करते हैं। कुछ मरीजों ने इस प्रक्रिया के हो जाने के बाद अजीब एहसास की शिकायत की है। 
 
क्यों यह तरीका प्रभावी है?
 
त्वचा के ढीले होने में, आंखों के नीचे काले घेरे होने में और स्ट्रेच मार्क्स के पीछे उस जगह खून का प्रवाह कम होना जिम्मेदार माने जाते हैं। शरीर के सेल्स कॉर्बनडाय ऑक्साइड को कचरे के तौर पर छोडते हैं। लाल रक्त कण श्वास के माध्यम से ली गई ऑक्सीजन को तो टिश्यू तक लेकर जाते हैं। इस प्रक्रिया में कॉर्बनडाय ऑक्साइड को फेंफडें शरीर से बाहर निकाल देते हैं। डॉक्टरों द्वारा इंजेक्शन से शरीर के भीतर पहुंचाई गई यह प्रक्रिया खून के प्रवाह को बढ़ाती है। इससे लाल रक्तकण उस जगह जल्दी से पहुंचते हैं। इससे त्वचा ठीक होती है और खूबसूरत दिखने लगती है। इसके अलावा कॉर्बनडाय ऑक्साइड शरीर में पहुंचकर फैट सेल्स को भी मारती है, जिससे ज़िद्दी मोटापा घट जाता है।

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