दक्षिण भारत में कुछ इस तरह मनाते हैं होली

होली, धुलेंडी और रंगपंचमी यह उत्सव दुनियाभर में विभिन्न नाम और रूप में मनाया जाता है। भारत के प्रत्येक राज्य में होली को अलग-अलग नाम से पुकारा जाता है और इसे मनाने के तरीके भी अलग-अलग हैं। आओ जानते हैं कि किस राज्य शहर में कैसे मनाते हैं होली।
 
 
महाराष्ट्र गोवा : महाराष्ट्र में होली को 'फाल्गुन पूर्णिमा' और 'रंग पंचमी' के नाम से जानते हैं। गोवा के मछुआरा समाज इसे शिमगो या शिमगा कहता है। गोवा की स्थानीय कोंकणी भाषा में शिमगो कहा जाता है। महाराष्ट्र में गोविंदा होली अर्थात मटकी-फोड़ होली खेली जाती है। इस दौरान रंगोत्सव भी चलता रहता है।

 
तमिलनाडु और कर्नाटक : तमिलनाडु में लोग होली को कामदेव के बलिदान के रूप में याद करते हैं। इसीलिए यहां पर होली को कमान पंडिगई, कामाविलास और कामा-दाहानाम कहते हैं। कर्नाटक में होली के पर्व को कामना हब्बा के रूप में मनाते हैं। आंध्र प्रदेश, तेलंगना में भी ऐसी ही होली होती है।

 
दक्षिण भारत के कई शहरों में होली नहीं मनाई जाती। मुन्नार, अंडमान निकोबार और महाबलीपुरम में भी रंगों वाली होली खेलने से लोग कतराते हैं। दक्षिण भारत में जिस प्रकार होली मनाई जाती है, उससे यह अच्छे स्वस्थ को प्रोत्साहित करती है। होलिका दहन के बाद इस क्षेत्र में लोग होलिका की बुझी आग की राख को माथे पर विभूति के तौर पर लगाते हैं और अच्छे स्वास्थ्य के लिए वे चंदन तथा हरी कोंपलों और आम के वृक्ष के बोर को मिलाकर उसका सेवन करते हैं। हालांकि चेन्नई और बेंगुलुरु जैसे दक्षिण भारत के कुछ स्थानों पर रंगों वाली होली भी मनाते हैं। तेलंगाना और आंध्रा में भी कुछ स्थानों पर रंगों वाली होली मनाई जाती है।

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