पेड़ बचाएं, कंडे जलाएं और होली मनाएं

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हरियाली है तो जीवन है। होली जलाने के लिए पेड़ न काटे जाएं। हर त्योहार मनाने के पीछे एक आशय होता है। होली पर नया अनाज आता है, जिसे सबसे पहले लोग परमपिता परमेश्वर को भोग लगाते हैं। इसे आग पर भूनकर प्रभु को समर्पित कर प्रसाद स्वरूप स्वयं खाते और खिलाते हैं।

हम सभी मानते हैं कि भारत कृषि और पशुधन देश है। यहां पशु भी बहुतायत में होने से गोबर भी होता है, इसलिए लोगों को लकड़ी की जगह कंडे की होली जलानी चाहिए।

* भारतीय संस्कृति में पेड़-पौधों को भी भगवान मानकर पूजा जाता है। भगवान श्रीकृष्ण ने भी कहा है वृक्षों में वह पीपल हैं। इसके अलावा आंवला नवमी पर आंवले की पूजा विधि-विधान से की जाती है। हमारे ऋषि-मुनि वृक्षों के महत्व, प्रकृति के संरक्षण में उनके योगदान और मानव स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव के प्रति सजग रहे हैं। लेकिन वर्तमान में लोग अपने स्वार्थवश पेड़ों की अंधाधुंध कटाई करने में जुटे हैं, जिससे प्रकृति में असंतुलन पैदा हो गया है।

* धार्मिक आस्थाओं के नाम पर होली जलाने के लिए जो अंधाधुंध लकड़ी का प्रयोग कर रहे हैं, उससे पेड़-पौधे तो नष्ट हो ही रहे हैं, वायुमंडल भी प्रदूषित हो रहा है। समय रहते हमें कर्मकांडों हेतु लकड़ी का विकल्प स्वीकार कर लेना चाहिए और लकड़ी के स्थान पर गोबर के कंडे का अधिकतम प्रयोग करना चाहिए।

* होलिका दहन का मतलब लकड़ियां जलाकर शकुन पूरा करने से नहीं है, वरन अपने अंदर की बुराइयों को जड़ से मिटाने का है। परंपरा के नाम पर हरे-भरे पेड़ों को काटना मूर्खता है, क्योंकि पेड़ हमारे जीवन का आधार हैं। इसके बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है, इसलिए लोग पेड़ों को काटें नहीं बल्कि होली के पर्व पर परिवार का हर सदस्य एक पौधा अवश्य लगाएं।

* वृक्ष हमारे मित्र होते हैं। इसके बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती, क्योंकि यह सभी जीव-जंतुओं को ऑक्सीजन के रूप में प्राणवायु देते हैं। इसके अलावा कार्बनडाइ ऑक्साइड और वातावरण को गर्म करने वाली नुकसानदायक गैसों को सोख लेते हैं। साथ ही धरती के कटाव को रोककर जल संरक्षण भी करते हैं, इसलिए लोग हरे-भरे पेड़ों की बलि न लें, बल्कि जीवन में एक पेड़ लगाकर पर्यावरण सुधारने में सहायक बनें।

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* वर्तमान समय में प्रदूषित वातावरण एक विकराल समस्या बन चुका है। ऐसे में हम अगर पेड़ काटकर होली जलाएंगे तो ये हमारी ही क्षति होगी। इसलिए सभी लोग एकजुट होकर न ही लकड़ी की होली जलाएं और ना ही किसी को हरे-भरे पेड़ काटकर होली जलाने दें।

* पेड़-पौधे जीवनोपयोगी होते हैं। इनके संरक्षण से ही हमारा जीवन सुरक्षित रहेगा। होली पर लोग पेड़ न काटें, बल्कि इस अवसर पर वृक्षारोपण का संकल्प लें, ताकि आने वाली पीढ़ी का भविष्य सुरक्षित रहे।

* लोग होली को प्रतीकात्मक रूप से जलाएं। इसके लिए लकड़ी की जगह कंडों का उपयोग करना चाहिए, क्योंकि पेड़ों से प्राण रक्षक वायु प्रवाहित होती है।

'न चेते आज यदि तो, एक दिन ऐसा आएगा।'
'घटा तपेगी, व्योम तपेगा, तिल तिल हर इंसान मरेगा॥'

ऐसे ही कुछ शब्द हरे-भरे पेड़ों की अंधाधुंध कटाई पर चिंता जाहिर करते हैं।

(प्रस्तुति- राजश्री)

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