इंदौर के पितृ पर्वत पर विराजे हनुमानजी, 3 मार्च को रिकॉर्ड 10 लाख लोग ग्रहण करेंगे महाप्रसादी

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

रविवार, 1 मार्च 2020 (18:59 IST)
इंदौर। इंदौर के पितृ पर्वत (पितरेश्वरधाम) पर दुनिया की सबसे बड़ी अष्ठधातु की हनुमानजी की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के बाद अब 3 मार्च को शहर का सबसे बड़ा आयोजन होने जा रहा है, जहां 10 लाख लोगों को प्रसादी का वितरण होगा। जिस तरह पूर्वजों की याद में लगाए गए वृक्षों के कारण गोम्मटगिरि के सामने का यह इलाका हराभरा हो गया है, वहीं सबसे बड़ी हनुमानजी की प्रतिमा के कारण यह शहर के प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में भी स्थापित होगा।

भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने 18 साल पहले प्रण लिया था कि जब तक पितृ पर्वत पर हनुमानजी की मूर्ति स्थापित नहीं हो जाती, तब तक वे अन्न ग्रहण नहीं करेंगे।

18 सालों से विजयवर्गीय सिर्फ राजगिरे के आटे की रोटी या पूड़ी व फल ही ग्रहण कर रहे थे। शुक्रवार हनुमानजी की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा संपन्न हुई और उसके बाद विजयवर्गीय ने अपने गुरु शरणानंद के हाथों अन्न ग्रहण किया।

पितरेश्वर हनुमानधाम में जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरि महाराज, परम पूज्य संत मोरारी बापू, महामंडलेश्वर गुरु शरणानंद, महामंडलेश्वर रघु मुनि, अखाड़ा परिषद के नरेंद्र गिरि ने प्राण प्रतिष्ठा के संस्कार पूर्ण करवाए। हनुमानजी की प्रतिमा का 108 औषधि कलश से स्नान करवाया गया। दोपहर में अभिजीत मुहूर्त में प्राण प्रतिष्ठा हुई।
हनुमानजी की मूर्ति के बारे में जानकारी : 72 फुट ऊंची और 72 फुट चौड़ी हनुमानजी की मूर्ति का वजन 90 टन है। इसकी लागत करीब 10 करोड़ रुपए आई है। अष्ठधातु की यह मूर्ति दुनिया की सबसे बड़ी हनुमानजी की मूर्ति है। हनुमानजी की गदा 21 टन वजनी और लंबाई 45 फुट है। मूर्ति पर लेजर लाइट जर्मनी से मंगवाई गई है, जो अंधेरा घिरने के बाद हनुमान चालीसा के पाठ के साथ अपनी आभा बिखेरती है। यह नजारा श्रद्धालुओं के बीच विशेष आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।

10 लाख लोग ग्रहण करेंगे महाप्रसादी : इंदौर एयरपोर्ट से देपालपुर जाने वाले रास्ते के निकट (गोम्मटगिरि के सामने) पिछले कई दिनों से मेला सा लगा हुआ है और रोजाना 10 हजार लोग प्रसादी ग्रहण कर रहे हैं। प्रसादी वितरण का पूरा जिम्मा विधायक रमेश मेंदोला की देखरेख में हो रहा है। पितरेश्वर हनुमानजी की प्राण प्रतिष्ठा के बाद इसका समापन 3 मार्च को महाप्रसादी के साथ संपन्न होगा। करीब 10 लाख लोगों में यह महाप्रसादी का वितरण होगा, जो विश्व रिकॉर्ड बन जाएगा।

400 ठेले और 50 ट्रेक्टर ट्रॉलियों से होगा वितरण : बड़ा गणपति से पितृ पर्वत तक के 7 किलोमीटर के रास्ते में रोड के एक हिस्से में ट्रैफिक जारी रहेगा, जबकि दूसरे में महाप्रसादी का वितरण होगा। यह वितरण 400 ठेले और 50 ट्रेक्टर ट्रॉलियों के जरिए किया जाएगा। 10 लाख लोगों के लिए एक तरह से नगर भोज होगा। प्रदेश के हलवाइयों के अलावा गुजरात और राजस्थान से भी हलवाई बुलवाए गए हैं।

10 हजार कार्यकर्ता परोसेंगे प्रसादी : 10 लाख लोगों को 10 हजार कार्यकर्ता, जिनमें महिलाएं भी शामिल हैं, वे प्रसादी का वितरण करेंगे। 1 हजार क्विंटल आटे और शुद्ध घी के 2 हजार डिब्बों से यह महाप्रसादी तैयार की जाएगी। प्रसादी तैयार करने के लिए 100 टंकी तेल, 5 क्विंटल बेसन, 5 क्विंटल आलू और 5 क्विंटल सब्जियों की व्यवस्था की जा रही है। प्रसादी में पूड़ी, सब्जी और नुक्ती परोसी जाएगी।

रविवार को गा‍ड़ियों की रेलमपेल : रविवार को सुबह से देर शाम तक गोम्मटगिरी से लेकर पितृ पर्वत के आगे भेरू बाबा के मंदिर तक सड़क के दोनों ओर गाड़ियों की रेलमपेल रही। लग रहा था कि पूरा शहर ही इस धर्म स्थल की ओर कूच कर गया है। पुलिस जवानों को यातायात संभालने में कड़ी मशक्कत का सामना करना पड़ा। यहां लोगों का यही कहना था कि आज जब यहां हजारों की संख्या में इतने श्रद्धालु पहुंचे हैं तो 3 मार्च को महाप्रसादी के वक्त कैसा आलम होगा? 

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