परछाई का गायब होना व ग्रहण की खगोलीय घटना

उज्जैन के समीप ग्राम डोंगला में 21 जून को गुरुवार दोपहर 12 बजे के बाद खगोलीय घटना हुई। सूर्य उत्तरायण से दक्षिणायन में गमन हुआ। इस दिन से रातें लंबी व दिन छोटे होने लगते हैं। ज्यादा जानकारी उज्जैन के यंत्र महल से प्राप्त की जा सकती है। सूर्य के कर्क राशि में प्रवेश करने के साथ ही कर्क रेखा ग्राम डोंगला से होकर गुजरती है।
 
ग्राम डोंगला में शून्य व कर्क रेखा का क्रॉस बिंदु पर प्लेटफॉर्म बनाकर उस स्थान को चिन्हित किया गया है। 21 जून को कर्क रेखा पर स्थित स्थानों पर सूर्य का प्रकाश कुछ पलों के लिए सीधे पड़ता है जिसके कारण परछाई का विलुप्त होना होता है।
 
खगोलीय घटना के अध्ययन हेतु खगोलशास्त्रियों और इस विषय में रुचि रखने वाले एकत्रित होते हैं। सूर्यग्रहण और चन्द्रग्रहण को खुली आंखों से नहीं देखना चाहिए। आने वाली 27 जुलाई को चन्द्रग्रहण का अध्ययन किया जाना चाहिए। इस वर्ष 31 जनवरी को लगा चन्द्रग्रहण एक दुर्लभ घटना इसलिए माना जाता है कि इस दिन चन्द्रमा 3 रंगों में यानी सूपर मून, ब्लू मून और ब्लड मून पृथ्वी के करीब आने पर उसका आकार काफी बड़ा दिखता है।
 
ब्लड मून के अंतर्गत पृथ्वी के वायुमंडल से गुजरती हुई रोशनी जब चांद पर पड़ती है तब चन्द्रमा हल्के तांबई रंग के समान दिखाई पड़ता है। ब्लू मून पूरे आकार में निकलता है। ब्लू मून इस बार 2 बार निकला। पृथ्वी की छाया चन्द्रमा पर गिरती है, उसे चन्द्रग्रहण कहते हैं। इस तरह का दुर्लभ संयोग वर्षों बाद घटित होता है। ग्रहण के दौरान अक्सर पूर्व से बनाए गए खाद्य पदार्थों को खाने से परहेज किया जाता रहा है। इसके पीछे वैज्ञानिक कारण भी हैं तथा नदियों में स्नान की परंपरा सूतक काल के बाद की जाती है। 
 
ग्रहण का प्रभाव ज्योतिष गणना में भी शामिल किया जाता है। चन्द्रमा की 3 रंगों की दुर्लभ खगोलीय घटना देखने के लिए और उसके बारे में समझने के लिए विद्यार्थियों और खगोलशास्त्र में रुचि रखने वालों के लिए ये संयोग बेहद उपयोगी रहा था। देखा जाए तो सूर्य, चन्द्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र एवं शनि ग्रह ज्योतिष गणना में प्रमुख माने गए हैं, साथ ही राहू-केतु ग्रह, जिनका अपना अलग प्रभाव एवं कथाएं प्रचलित हैं, ये भी ज्योतिष गणना का आधार मजबूत करते हैं। नए ग्रह जीजा, शेरॉन और सेरेंश की पूर्व में खोज की गई थी।
 
वर्तमान में वैज्ञानिकों ने धरती के समान 7 नए ग्रहों का पता लगाया, जहां पर पानी और जीवन मिलने की संभावना जताई गई है। ये ग्रह 40 प्रकाशवर्ष की दूरी पर एक तारे की परिक्रमा करते हैं। इन 7 ग्रहों के नाम क्या रखे जाएं, ये मुद्दा अब चर्चा में है। अब तक सौरमंडल के बाहर 3,500 ग्रहों की खोज हुई है। नए 7 ग्रह सूर्य से आउटर ग्रह की श्रेणी में आते हैं। जो ग्रह सूर्य से इनर की श्रेणी में हैं, उनमें गुरुत्वाकर्षण शक्ति तथा प्रभाव ज्यादा होता है। जो आउटर की श्रेणी में हैं, उनमें प्रभाव कम होता है। भविष्य में कई नए ग्रह आउटर श्रेणी में हो सकते हैं। जिनकी खोज भविष्य में होगी एवं जिनका परिभ्रमण लाखों-करोड़ों साल में ब्रह्मांड में होता होगा?
 
सारांश वर्तमान में यह है कि माने गए 9 ग्रह अपना प्रभाव गुरुत्वाकर्षण के जरिए दिखाते आ रहे हैं जिसके आधार पर ज्योतिष गणना का भी महत्व है। सूर्य से दूरी भी नए ग्रहों के प्रभाव को प्रभावित करती होगी? इसलिए भविष्य की गणना के लिए ज्योतिष में नए ग्रह सम्मिलित नहीं किए जाते होंगे। ऐसी परिस्थिति नए 7 ग्रहों के साथ भी संभव बनेगी।
 
खगोल विज्ञानियों द्वारा ऑक्सीजन और मीथेन जैसी महत्वपूर्ण गैसों की खोज की गई एवं वहां पर इन नए ग्रहों पर बसने हेतु जीवन के आसार की अंतरिक्ष में संभावना बनेगी। ग्रहण, परछाई का विलुप्त होना आदि खगोलीय घटनाओं की जानकारी ज्ञानार्जन में वृद्धि के लिए जहां आवश्यक है, वहीं शोध के लिए हर बार एक नया आधार भी बनेगा।

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