तीन महीने में विश्व कप टीम में जगह बना गए शंकर

सोमवार, 15 अप्रैल 2019 (17:28 IST)
मुंबई। क्रिकेट में खिलाड़ी के प्रदर्शन के साथ साथ उसकी किस्मत का भी बड़ा योगदान होता है जिसका सबसे बड़ा उदाहरण है तमिलनाडु के ऑलराउंडर विजय शंकर जिन्होंने भारत के लिए पदार्पण करने के तीन महीने के अंदर ही विश्वकप टीम में जगह बना ली। 
 
28 वर्षीय शंकर ने पिछले साल 6 मार्च को कोलंबो में भारत के लिए अपना ट्वंटी-20 पदार्पण किया था, लेकिन उनका वनडे पदार्पण 2019 में 28 जनवरी को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मेलबोर्न में हुआ था। शंकर ने अब तक 9 वनडे में सिर्फ 2 विकेट लिए हैं और 165 रन बनाए हैं। इसके बावजूद चयनकर्ताओं ने उनकी ऑलराउंड क्षमता पर भरोसा करते हुए उन्हें विश्वकप टीम में जगह दी। 
 
तमिलनाडु के इस खिलाड़ी का लिस्ट ए में 67 मैचों में 45 विकेट और 1613 रन का आंकड़ा है जो बहुत प्रभावशाली नहीं कहा जा सकता है। लेकिन इसे उनकी किस्मत कहा जाए कि इस सामान्य प्रदर्शन के बावजूद वह पहली बार विश्वकप खेलने उतरेंगे। 
शंकर ने पिछले रणजी सत्र में कुछ अच्छी पारियां खेली थीं और 111, 82, 91 और 103 के स्कोर बनाते हुए कुल 577 रन बनाए थे। इस आईपीएल में शंकर सनराइजर्स हैदराबाद की टीम की ओर से खेल रहे हैं और उन्होंने अब तक नाबाद 40, 35, 9, 16, 5, 26 और 1 के स्कोर किए हैं। इस सत्र में वह अपनी टीम के लिए कोई विकेट हासिल नहीं कर सके हैं। 
 
शंकर के पिछले 9 वनडे मैचों को देखा जाए तो उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ घरेलू सीरीज के नागपुर में खेले गए दूसरे वनडे में 15 रन पर दो विकेट लिए। इसके अलावा वह अपने 8 वनडे में कोई भी विकेट हासिल नहीं कर पाए हैं। उन्होंने 9 मैचों में कुल 165 रन बनाए हैं और उनका सर्वाधिक स्कोर 46 रन है। 
 
विश्वकप टीम में जगह बनाने के लिए शंकर ने प्रबल दावेदार अंबाती रायुडू को पीछे छोड़ा जिनकी बल्लेबाजी काफी शानदार है और वह पिछले विश्वकप में भी भारतीय टीम का हिस्सा थे। रायुडू ने अपने करियर के 55 मैचों में 1694 रन बनाए हैं और उनके खाते में तीन विकेट भी हैं। 
 
आईपीएल में रायुडू ने 28, नाबाद 21, 21 और 57 रन जैसी पारियां खेली हैं। रायुडू का ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ घरेलू सीरीज के तीन मैचों में 13, 18 और 2 का प्रदर्शन रहा था जबकि इससे पहले न्यूजीलैंड दौरे में उन्होंने 47, नाबाद 40 और 90 रन जैसी शानदार पारियां खेली थीं। रायुडू का दुर्भाग्य कहा जा सकता है कि अपनी क्षमता दिखाने के बावजूद वह चयनकर्ताओं का भरोसा नहीं जीत सके।

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