लाल किताब की ये 10 बातें यदि मान लीं, तो देवता खुद करेंगे मदद

लाल किताब का ज्ञान एक रहस्यमयी ज्ञान है। लाल किताब में उपायों के अलावा आचार संहिता का भी उल्लेख मिलता है जिसे उसूल कह सकते हैं। दरअसल, लाल किताब के अनुसार यदि आपने अपने कर्म सही रखें तो आपको ज्योतिष के किसी उपाय या किसी भी तरह की पूजा-पाठ करने की जरूरत नहीं होगी। यह आचार संहिता कुंडली के भावों के अनुसार निर्मित होती है। अत: जानते हैं कि लाल किताब की आचार संहिता क्या कहती है? 
 
 
1.झूठ न बोलें
लाल किताब के अनुसार कुंडली का दूसरा खाना बोलने और तीसरा खाना बोलने की कला से संबंध रखता है। पहला आपके पास क्या है और दूसरा आप उससे क्या कर सकते हैं? इससे संबंध रखता है। यदि आप झूठ बोलते हैं तो दूसरे और तीसरे भाव अर्थात खाने में अपने आप ही गलत असर चला जाता है।
 
 
कहते हैं कि पहला मनसा, दूसरा वाचा और तीसरा कर्मणा। कुंडली में दूसरा भाव आपके ससुराल, धन और परिवार का है और तीसरा भाव आपके कर्म और पराक्रम का भी है। अत: यदि आप झूठ बोलते हैं तो आपका पराक्रम भी जाता रहेगा। कार्यालय और व्यवसाय दोनों ही नष्ट हो जाएंगे। वाणी बुध है और बुध को अपने कारणों से खराब करने का मतलब है कि व्यापार को खराब करना। बुध ही लोगों से संचार करने के काम आता है और इसके खराब होने का मतलब है कि जो भी लोग आकर सांसारिक या सामाजिक रूप से जुड़े थे, वे सब झूठ के कारण अलग हो गए। झूठ बोलने वाला कुतर्की भी होता है।
 
 
2.झूठी गवाही न दें
झूठी गवाही देने का अर्थ है कि आप भी उन लोगों के पाप के भागी हैं। जरूरी नहीं है कि आपको कोर्ट में ही गवाही देना पड़े। कई बार ऐसा होता है कि आप अपने किसी की मदद करने के लिए झूठी गवाही दे देते हैं, जैसे किसी ने फोन करने पर कहा कि मेरे घर से फोन आए तो कह देना कि मैं तेरे साथ था या रमेश अभी मिलेगा तो तू सुरेश के खिलाफ गवाही दे देना कि हां मैंने देखा था कि सुरेश ने ही तेरे खिलाफ षड्यंत्र रचा है। इस तरह की कई बातें जीवन में घटित हो सकती हैं।
 
 
कई लोग संपत्ति और अन्य मामलों में झूठी गवाही देते हैं। कुंडली का 9वां भाव कानून से संबंध रखता है, जो कि धर्मस्थान होने के साथ-साथ भाग्य का स्थान भी है। झूठ बोलने वाले का झूठ आज नहीं तो कल प्रकट होना ही है। हालांकि झूठ प्रकट होने से उतना नुकसान शायद नहीं हो जितना की खाना नंबर 9 के खराब होने से होगा।
 
 
3.मुंह से अपशब्द नहीं निकालें
बहुत से लोग हैं, जो कि हर समय कटु वचन तो बोलते ही रहते हैं साथ ही वे मुंह से गाली भी देते रहते हैं। कहते हैं कि शरीर से कटु वचन और गाली तभी निकलती है जबकि व्यक्ति का मा‍नसिक और शारीरिक बल क्षीण होता है। उसमें सोचने-समझने की शक्ति नहीं होती है।
 
इस प्रकार का भाषण करने वाले लोग खुद को, अपने घर को और उनके संपर्क में आने वाले लोगों को भी बर्बाद कर देते हैं। ऐसे लोगों से दूर रहें, क्योंकि ये आपके जीवन में भी जहर घोल सकते हैं। आप ऐसे लोगों की बातें सुनकर खुद को नकारात्मकता की ओर धकेल सकते हैं। ऐसे दुष्ट के कारण आप अपना मुंह खराब न करें। कहते हैं कि जुबान पर सरस्वती बैठती है। बार-बार एक ही बात दुहराने से वह बात सच हो जाती है इसलिए लाल किताब का कहना है कि किसी प्रकार से मुंह से अपशब्द नहीं कहना चाहिए।
 
 
4.निर्दयी न बनें
निर्दयता या क्रूरता करने से हृदय मर जाता है। किसी जीव व निर्दोष प्राणी के लिए भी मन में दया नहीं रहती है। क्रूर व्यक्ति और हिंसक पशु में कोई फर्क नहीं होता है। क्रूर व्यक्ति का मन खराब और खतरनाक होता है। किसी के लग्न, पंचम या नवम में मंगल या शनि का असर होता है, तो वह मंगल की जगह क्रूर और शनि से कुछ भी नहीं समझने वाला माना जाता है।
 
 
मंगल लग्न एवं 8वें भाव का मालिक और शनि 10वें एवं 11वें भाव का मालिक होता है। क्रूरता करने से शरीर, पिता और परिवार की शांति खत्म हो जाती है। कर्मभाव बेकार हो जाता है। हर प्रकार से जीवन का सुख खत्म हो जाता है। परिवार में प्रेम नहीं रहता है। रिश्ते औपचारिक ही रह जाते हैं। क्रूर व्यक्ति और भी क्रूर होता जाता है। वह शराब और मांस का भक्षण भी करने लगता है। उसके मन में जो आता है, वह करता है। क्रूरता करने वाले का एक दिन बुरा अंत होता है। उसके साथ उसके परिवार का भी अंत हो जाता है।
 
 
5.अनिश्‍वरवादी न बनें
लाल किताब के अनुसार ईश्‍वर पर विश्‍वास न रखने वाला अनीश्‍वरवादी और ईश्‍वरविरोधी होता है। ऐसा व्यक्ति भ्रमित और विरोधाभासी होता है, साथ ही वह किसी पर भी विश्‍वास नहीं रखने वाला भी होता है। ऐसे व्यक्ति को जीवन में कई प्रकार के दुखों का सामना करना होता है या जीवन के अंत में उसके समक्ष मात्र अंधकार होता है।
 
 
लाल किताब के अनुसार ईश्वर सर्वोच्च और सभी को देखने एवं सुनने वाला है। प्रत्येक व्यक्ति को यह सोचना चाहिए‍ कि वह अपनी मर्जी से इस संसार में नहीं आया है और न ही अपनी मर्जी से जाएगा। उसे यहां किसी न किसी काम के लिए भेजा गया है। यह सब कुछ प्रकृति प्रदत्त नहीं है, क्योंकि प्रकृति को भी संचालित करने वाला वही एक है।
 
 
6.देवी-देवताओं में रखें श्रद्धा
देवी या देवता ईश्‍वर के प्रतिनिधि हैं। पराशक्तियां, अलौकिक शक्तियां या अच्छी आत्माएं आपके प्रत्येक कर्म को देख रही हैं। आप सच बोल रहे हैं या झूठ? आप अच्छा कार्य कर रहे हैं या बुरा कार्य? इन सबको देखने और सुनने वाले हैं देवी और देवता। जब आप मंदिर जाते हैं तो काली, दुर्गा, भैरव, शिव, महाकाल, राम, कृष्‍ण आदि के समक्ष खड़े होकर कुछ मांगते हो या उनकी प्रार्थना पूजा करते हो तब यह नहीं सोचते हो कि ये सभी देवी और देवता मेरे अच्छे और बुरे कर्म को जानते हैं?
 
 
आपकी हर एक शारीरिक और मानसिक हरकत को देवी और देवता समझते हैं। उन्हें आपका यही जन्म नहीं बल्कि अगले और पिछले सभी जन्म दिखाई दे रहे हैं। अत: आप जब भी उनके समक्ष खड़े हों तो यह जरूर सोचें कि मेरे अलावा कोई और भी है, जो मेरे कर्मों को जानता है। अत: देवी और देवताओं में अपनी श्रद्धा को बढ़ाएं। खासकर कुलदेवी और कुलदेवता को जरूर पूजें। परिवार की मर्यादाओं के अनुसार अपने देवी-देवताओं की पूजा-पाठ में कभी भी आनाकानी न करें।
 
 
7.कभी भी ब्याज का धंधा ना करें
लाल किताब के अनुसार ब्याज का धंधा करने से शनि का प्रकोप प्रारंभ हो जाता है। यह जीवन के किसी भी मोड़ पर दंड देता है। कभी-कभी यह भयंकर परिणाम देने वाला होता है, तो कभी यह संचित कर्म का हिस्सा बन जाता है। हालांकि इसके पीछे एक तथ्य यह है कि ब्याज का धंधा करने वाले को बद् दुआ ज्यादा मिलती है। उसकी बुद्धि रुपयों को लेकर अलग ही तरह की निर्मित हो जाती है। वह अपने परिवार पर भी यदि किसी भी प्रकार का खर्च करना है तो अपने नुकसान के बारे में सोचता है।
 
 
8.शाकाहारी बने रहें
वैसे यदि कुंडली में मंगल की स्थिति ठीक नहीं है, तो मांस-मछली नहीं खाना चाहिए। कहते हैं कि खून खराब होने से मंगल खराब हो जाता है। मंगल के खराब होने से जीवन से पराक्रम, कार्य और शांति नष्ट हो जाती है। खून के खराब होने से और भी कई तरह की समस्याएं जन्मती हैं। बद मंगल अपराधी बनाता है और नेक मंगल सेनापति, राजनेता, पुलिस ऑफिसर या बेहतर खिलाड़ी।
 
 
यह भी कहा जाता है कि जो व्यक्ति जिस तरह का मांस खाता है, उसकी उसी तरह का चरित्र और प्रवृत्ति का विकास होता है। जो बच्चे मां का दूध कम पीते हैं और जानवरों का ज्यादा, उनकी कार्यशैली में जानवरों जैसा ही व्यवहार देखा जा सकता है। दरअसल, मांस-मच्छी खाने से व्यक्ति के शरीर और मस्तिष्क की प्रकृति बदल जाती है।
 

9.शराब न पिएं
जिस तरह से मांस खाने से मंगल खराब होता है, उसी तरह शराब पीने से शनि और राहु। राहु हमारे दिमाग की ताकत है, दिमाग नहीं। जैसे बादल में बिजली होती है, जो दिखाई नहीं देती लेकिन जब किसी पर गिरती है, तो जान ले लेती है। चमकी है तो अंधा कर सकती है। क्या शराब दिमाग पर शासन नहीं करती?
 
बुध ग्रह हमारी बुद्धि का कारण है, लेकिन जो ज्ञान हमारी बुद्धि के बावजूद पैदा होता है उसका कारण राहु है। जैसे मान लो कि अकस्मात हमारे दिमाग में कोई विचार आया या आइडिया आया तो उसका कारण राहु है। राहु हमारी कल्पना शक्ति है, तो बुध उसे साकार करने के लिए बुद्धि कौशल पैदा करता है। राहु चलता है गुरु के कारण। राहु का खराब होना अर्थात व्यक्ति बेईमान या धोखेबाज होगा। ऐसे व्यक्ति की तरक्की की शर्त नहीं। राहु का खराब होना अर्थात दिमाग की खराबियां होंगी, व्यर्थ के दुश्मन पैदा होंगे, सिर में चोट लग सकती है। व्यक्ति मद्यपान या संभोग में ज्यादा रत रह सकता है। कहते हैं कि शराब जिंदा आदमी को शैतान बना देती है, लेकिन हम कहना चाहेंगे कि वह राहु बना देती है। राहु खराब तो गुरु भी नष्ट समझो।
 
 
10.पराई स्त्री के साथ संबंध ना बनाएं
यह कार्य सबसे बुरा है। इससे शुक्र खराब हो जाता है। इससे लक्ष्मी रुष्ट हो जाती है। अंतत: धन, सुख और वैभव नष्ट हो जाता है। यदि आपकी शादी हो गई है और फिर भी किसी अन्य स्त्री के साथ रमण करते हैं तो यह धोखा देने के साथ पाप भी है। यह नियम किसी ऐसी स्त्री पर भी लागू होता है, जो कि पराए मर्द के साथ संबंधों में है। लाल किताब के अनुसार यह सबसे बुरा कर्म होता है जिसके परिणाम व्यक्ति को आज नहीं, तो कल भुगतना ही होते हैं।
 
 
इसके अलावा लाल किताब में और भी कई नियम बताए गए हैं, जैसे सलीके से कपड़े पहनना जरूरी है। कान और नाक को छिदवाना, नाक को हमेशा साफ रखना, दांतों को साफ रखना, कीकर की दातुन करना, संयुक्त परिवार में रहना, ससुराल से बैर न रखना रखना, कन्या, बहन और बेटी को प्रसन्न रखना और उन्हें मीठी चीजें देना, माता, भाभी और मौसी की सेवा करना।

विधवा की सहायता करना, पत्नी की देखभाल करना, मेहतर को रुपए देना, नि:संतान से रुपए नहीं लेना, छत में छेद न करना, कुत्ते को न सताना, कुत्ते को रोटी देना, दक्षिणामुखी मकान में न रहना, घर में कच्ची जगह रखना, अपंगों और अंधों को भोजन खिलाना, चिड़ियों, मुर्गियों और पक्षियों को दाना डालना, बंदरों को गुड़ खिलाना, गाय को रोटी खिलाना, मंदिर में झाडू लगाना, हनुमान चालीसा पढ़ना आदि कई नियम हैं जिनका पालन करने से व्यक्ति पर किसी भी प्रकार का संकट नहीं आता है और उसे दैवीय सहायता मिलती है।
 

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