शेयर बाजार में मचा हाहाकार, सेंसेक्स में 2100 से ज्यादा अंकों की गिरावट, 31% गिरे कच्चे तेल के दाम

सोमवार, 9 मार्च 2020 (12:35 IST)
नई दिल्ली। दुनियाभर के शेयर बाजारों में गिरावट जारी है। इस बीच कच्चे तेल की कीमतें भी गिर गई हैं। इससे पेट्रोल-डीजल के दामों में कटौती हो सकती है। येस बैंक और कोरोना वायरस के प्रभाव से देश के शेयर बाजार बाहर नहीं निकल पा रहे हैं।

कारोबारी सप्ताह के पहले दिन सेंसेक्स की शुरुआत ही अच्छी नहीं रही, लेकिन 1 बजे के लगभग तो सेंसेक्स 2184 अंक नीचे आ गया, जबकि निफ्टी में भी 580 अंकों की गिरावट देखने को मिली। यह गिरावट पिछले 5 सालों में सबसे बड़ी गिरावट मानी जा रही है। 

सोमवार को सत्र की शुरुआत में ही सेंसेक्स शुक्रवार के बंद 37576.62 की तुलना में 626.42 अंक घटकर 37 हजार से नीचे 36950.20 अंक पर खुला। सुबह करीब साढ़े 11 बजे के आसपास सेंसेक्स 1600 से ज्यादा अंकों की गिरावट के साथ 35,937.60 अंकों पर था। कच्चे तेल के दामों में 31 प्रतिशत की गिरावट आ गई है। 
 
कच्चे तेल के सबसे बड़े निर्यातक सऊदी अरब के कीमतों में कटौती की घोषणा और उत्पादन बढ़ाने के फैसले के बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमतों में भारी गिरावट देखी गई और लंदन का ब्रेंट क्रूड वायदा 28 फीसदी से ज्यादा लुढ़क गया। ब्रेंट की कीमत 12.70 डॉलर टूटकर 32.57 डॉलर प्रति बैरल पर आ गई।
 
कारोबार के दौरान सुबह एक समय यह 31.02 डॉलर प्रति बैरल तक उतर गया था, जो फरवरी 2016 के बाद का निचला स्तर है। अमेरिकी क्रूड वायदा भी 13.29 डॉलर यानी 32 फीसदी टूटकर 27.99 डॉलर प्रति बैरल रह गया। जनवरी 1991 के बाद की सबसे बड़ी एकदिनी गिरावट है जब खाड़ी युद्ध के कारण कच्चे तेल की कीमतें बेहद नीचे चली गई थीं।
 
सऊदी अरब ने किया कटौती का ऐलान : कच्चे तेल की उत्पादन को सीमित रखने को लेकर ओपेक तथा गैर-ओपेक देशों के बीच हुआ समझौता टूटने के बाद सऊदी अरब ने कीमतों में जबरदस्त कटौती की घोषणा की है।
 
ओपेक तथा गैर-ओपेक देशों की गत सप्ताहांत हुई बैठक में उत्पादन में कटौती पर सहमति नहीं बन पायी। इनके बीच हुआ पिछला समझौता इस महीने के अंत में समाप्त हो रहा है। रूस उत्पादन में कटौती के लिए तैयार नहीं है। ओपेक ने इसका प्रस्ताव किया था।
 
सऊदी अरब ने कहा है कि तीन साल पहले हुआ पिछला समझौता समाप्त होने के बाद अप्रैल में वह उत्पादन में एक करोड़ बैरल प्रतिदिन की बढ़ोतरी करेगा। इससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत भारी दवाब में आ गई।

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