नमन ओझा की रिद्धिमान से कोई प्रतिस्पर्धा नहीं

मंगलवार, 28 अक्टूबर 2014 (18:18 IST)
नई दिल्ली। बीती पांच प्रथम श्रेणी पारियों में दो दोहरे शतकों सहित चार शतक ठोंकने वाले नमन ओझा राष्ट्रीय चयन समिति के रडार पर निश्चित रूप से वापस आ गए हैं लेकिन वे भारतीय टीम में दूसरे विकेटकीपर का स्थान भरने के लिए रिद्धिमान साहा के साथ किसी तरह की प्रतिस्पर्धा से इंकार करते हैं।
मध्यप्रदेश के 31 वर्षीय क्रिकेटर ओझा ने कहा, मुझे नहीं लगता कि मेरी रिद्धिमान से कोई प्रतिस्पर्धा है। हम दोनों के कौशल पूरी तरह से अलग हैं। इसे इस तरह देखिए कि मैं किसी भी टीम के लिए पहले स्थान से सातवें स्थान तक कहीं भी विशेषज्ञ बल्लेबाज के तौर पर खेल सकता हूं लेकिन रिद्धिमान पहले विशेषज्ञ विकेटकीपर हैं। बीती पांच पारियों में 229 के औसत के साथ 687 रन बनाने वाले ओझा ने कहा कि वे इससे पहले अपने खेल को लेकर इतने विश्वास से भरे कभी नहीं थे।
 
ओझा ने कहा, प्रथम श्रेणी क्रिकेट में बल्लेबाज के तौर पर यह मेरा सर्वश्रेष्ठ दौर है। मैं सुरक्षित रूप से कह सकता हूं कि मैं वर्ष 2010 में जिम्बाब्वे में भारत के लिए पहली बार खेलने की तुलना में अब ज्यादा पूर्ण बल्लेबाज हूं। ओझा ने पांच पारियों में नाबाद 219, नाबाद 101, 110, 217 और 40 रन बनाए और उन्होंने ऑस्ट्रेलिया ए के खिलाफ अपने दोहरे शतक को सर्वश्रेष्ठ बताया।
 
ओझा ने कहा, मैंने ऑस्ट्रेलिया में जो पारी खेली वह विशेष थी। गेंदबाजी आक्रमण का स्तर भारत की तुलना में काफी ऊंचा था। दूसरी पारी में शतक भी बराबर रूप से विशेष था क्योंकि हम सौ रन से भी कम स्कोर पर पांच विकेट गंवा चुके थे और मैच हार सकते थे। मैंने मैच बचाने वाला शतक लगाया और यह संतोषप्रद था। ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजी आक्रमण में जेम्स फाकनर, मिशेल मार्श, माइसेस हेनरिक्स जैसे नाम शामिल थे। प्रवीण आमरे से निजी सलाह लेने के बाद रोबिन उथप्पा की तरह ओझा के खेल में भी बदलाव आया है।
 
उन्होंने कहा, उन्होंने तकनीक में कुछ बदलाव की सलाह दी और इससे मुझे काफी मदद मिली। वह मेरी ऑफिस टीम एयर इंडिया के कोच हैं। वे मुझे निजी रूप से जानते थे। मेरा मानना है कि जब मैं दिल्ली डेयरडेविल्स में था, तो मुझे टी20 प्रारूप में सातवें नंबर पर उस समय भेजा गया जब ज्यादा गेंद नहीं बची थीं। 
 
उन्होंने कहा, इसने मुझे निश्चित रूप से मानसिक रूप से प्रभावित किया। जब मैं सनराइजर्स में आया, मैंने ऊपरी क्रम में बल्लेबाजी की और काफी बेहतर महसूस किया। ओझा की विकेटकीपिंग तकनीक पर काफी बातें हुई हैं और उनका कहना है कि वे कभी आलोचना से चिंतित नहीं हुए।
 
उन्होंने कहा, मैं आलोचनाओं से परेशान नहीं होता। बीते दो-तीन सत्र में मेरी कीपिंग में काफी सुधार हुआ है। जब आप कीपिंग करते हैं तो मुश्किल कैच या स्टंपिंग होती हैं जिसे आप हासिल नहीं कर पाते हैं, लेकिन बीते दो-तीन वर्षों में यह काफी अच्छी रही है। (भाषा) 
 

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