टी20 विश्व कप में वेस्टइंडीज ने सारे गणित किए 'फेल'

क्रिकेट का मैच किस तरह करवट बदलता है और इसमें एक बार फिर अनिश्चितता अपनी पराकाष्ठा को स्पर्श करती नजर आती है, इस बात को टी20 विश्व कप के फाइनल और वो भी आखिरी ओवर में जो हैरतअंगेज कारनामा हुआ है, उसे देखकर आसानी से समझा जा सकता है। इस खेल की ब्यूटी भी तो यही है कि इसमें आखिरी ओवर और कभी-कभी तो आखिरी गेंद पर फैसले हुए हैं। ये सब रोमांच 2016 के टी20 विश्व कप ने देखा।
ईडन गार्डन पर कोलकाता के क्रिकेट प्रेमियों ने 'सुपर संडे' वेस्टइंडीज की जीत के साथ मनाया। यूं देखा जाए तो क्रिकेट को चाहने वाले भारतीयों के लिए विश्व कप तभी खत्म हो गया था, जब सेमीफाइनल में वेस्टइंडीज ने भारत को हरा दिया था, लेकिन 3 अप्रैल के दिन वेस्टइंडीज के दो सूरमा ऑलराउंडरों (मार्लोन सैम्युअल्स, कार्लोस ब्रैथवेट) ने अपने खेल से ये साबित कर डाला कि मैच कैसे जीता जाता है, ये आप हम वेस्टइंडियनों से सीख लो...
 
टी20 विश्व कप की शुरुआत से कोई भी इस 'ब्लैक ब्यूटी' टीम को खिताब का दावेदार नहीं मान रहा था। भारत को भी सटोरिए 2 रुपए 30 पैसे के भाव के साथ शीर्ष पर रखकर चैम्पियन बना रहे थे जबकि पांचवें नंबर पर वेस्टइंडीज को रखकर उसका भाव 17 रुपए रखा था। फाइनल में पहुंची दूसरी टीम इंग्लैंड जरूर 6 रुपए 50 पैसे के साथ चौथे नंबर पर थी। 
ये तो तय था कि इस विश्व कप में इंग्लैंड 'छुपा रुस्तम' साबित होगा, लेकिन किसी ने ख्वाब में भी नहीं सोचा था कि वेस्टइंडीज टी20 का खिताब ले उड़ेगा। मैदान के भीतर उसके खिलाड़ियों ने जुझारू प्रदर्शन किया और फिर मैदान के बाहर एक अलग ही अंदाज में जश्न मनाया...हर मैच में उसका प्रदर्शन और जीत के बाद जश्न का तरीका अनोखा था, जो आपको पैर थिरकने पर मजबूर कर दे...
 
एक तरह से टी20 विश्व कप से वेस्टइंडीज क्रिकेट का पुनर्जन्‍म हुआ है। विश्व कप में भाग लेने के पूर्व पैसों के लेनदेन को लेकर कंगाल वेस्टइंडीज क्रिकेट बोर्ड से खिलाड़ियों की पटरी नहीं बैठ रही थी और आशंका तो ये भी जाहिर की जा रही थी कि कहीं खिलाड़ी विश्व कप में भाग लेने से बहिष्कार ही न कर बैठें। 
लेकिन किसे पता था कि यह कैरेबियाई टीम भारत की धरती पर सारे गणित फेल करने के इरादे से आई है? इस टीम ने सटोरियों की तिजोरी खाली की तो अपने शानदार प्रदर्शन से खुद मालामाल हो गए। वेस्टइंडीज के खिलाड़ियों ने घरेलू राजनीति को परे रखकर अपने मुकाबले जीते। अंडर-19 में वह विश्व विजेता बना और कोलकाता में उसकी महिला और पुरुष दोनों टीमें चैम्पियन बनकर मैदान से बाहर आईं। 
 
क्रिकेट का खेल भी किसी खिलाड़ी को रातोरात सितारा बना देता है तो किसी सितारे को जमीन पर ला पटकता है। क्रिस गेल ने पहले मैच में तूफानी सैकड़ा जड़कर हरेक टीम के खेमे में खलबली मचा दी लेकिन उसके बाद उनका बल्ला किसी मैच में नहीं चला। श्रीलंका के खिलाफ फ्लैचर चले तो भारत के खिलाफ सिमंस ने 125 करोड़ लोगों का दिल तोड़ने में कोई नरमी नहीं दिखाई।
 
फाइनल में मार्लोन सैम्युअल्स (नाबाद 85) और कार्लोस ब्रैथवेट (10 गेंदों पर नाबाद 34) नायक बनकर ईडन गार्डन पर छा गए। ब्रैथवेट 2 महीने के बाद 28 साल के हो जाएंगे। 18 जुलाई 1988 में बारबडोस में जन्मे ब्रैथवेट ने केवल 2 टेस्ट और 7 वनडे खेले हैं लेकिन टी20 के फाइनल के आखिरी ओवर की लगातार 4 गेंदों पर चार छक्के उड़ाकर वे वेस्टइंडीज के लिए तो कम से कम 'अमर' हो ही गए हैं।
 
वेस्टइंडीज टीम की सबसे बड़ी खूबी यही रही है कि परिस्थितियां चाहें जैसी रहें, वे बहुत आक्रामक क्रिकेट खेलते हैं और उसके खिलाड़ी हर मैच को एंजॉय करते हैं। क्रिकेट के वर्तमान स्वरूप को देखते हुए हर टीम ऑलराउंडर को पसंद करती है। यदि गेंदबाजी में न चलें तो बल्लेबाजी में रन ठोंककर अपनी काबिलियत साबित करते हैं। ब्रैथवेट ने तो फाइनल मैच में तीन विकेट भी लिए और जीत में अहम किरदार भी निभाया। 
 
टीम इंडिया में ऑलराउंडर के रूप में कई सूरमां खिलाड़ी हैं। क्या वे अपने गिरेबां में झांककर देखेंगे कि उन्होंने बल्लेबाजी में कौनसा तीर मारा है? क्या वे वेस्टइंडीज के खिलाड़ियों से कुछ सीख नहीं सकते? बहरहाल, टीम इंडिया का यहां पोस्टमार्टम करने का न तो मन है और न ही प्रसंग, लिहाजा उन्हें अपने हाल पर छोड़ दीजिए...फिलहाल तो उस ब्लैक ब्यूटी को सलाम कीजिए, जिसने बेहतरीन प्रदर्शन से मसाला क्रिकेट में बादशाहत हासिल की है।
 
हां, आखिरी में टीम के हीरो रहे मार्लोन सैम्युअल्स ने जरूर एक ऐसी हरकत कर डाली है, जिसे भद्रजनों के खेल कहे जाने वाले क्रिकेट में कोई स्थान नहीं है। जीत के नशे में चूर सैम्युअल्स जब मैच के बाद मीडिया से मुखातिब हुए तब उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस की मेज पर ही पैर रख दिए। इस बदतमीजी के लिए सैम्युअल्स कतई माफी के हकदार नहीं हैं...

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