गोदावरी और कृष्णा का ऐतिहासिक मिलन

शुक्रवार, 18 सितम्बर 2015 (11:44 IST)
176 किलोमीटर की यात्रा कर गोदावरी आखिरकार कृष्णा नदी से मिल गई। यह भारत में नदियों को जोड़ने की ऐतिहासिक पहल है। यह परियोजना नदियों के प्रबंधन का मॉडल पेश करेगी।
भारत में नेशनल वॉटर ग्रिड बनाने की दिशा में पहला कदम आंध्र प्रदेश ने उठाया। पट्टीसीमा प्रोजेक्ट के तहत राज्य ने गोदावरी और कृष्णा नदी को जोड़ दिया। इसके बाद गोदावरी का पानी एक नहर में सफर करता हुआ 176 किलोमीटर दूर कृष्णा में जा मिला। नहर के आसपास बसे गांवों में मेले सा माहौल दिखा। जगह जगह लोग पानी में फूल बहाते नजर आए।
 
गोदावरी और कृष्णा के इस जुड़ाव से कृष्णा, गुंटूर, चित्तूर, अनंतपुर, कडपा और प्रकाशम जिले के लोगों को खासी राहत मिलेगी। इन इलाकों में बीते एक दशक से पानी की भारी कमी है। पेयजल और सिंचाई के लिए भी हाहाकार सा मचा रहता है। इस परियोजना से 17 लाख एकड़ जमीन पर होने वाली खेती को पानी मिल सकेगा। हजारों गांवों में पीने के पानी की सप्लाई भी सुनिश्चित होगी।
 
भारत के कई इलाके दशकों से जलसंकट से गुजर रहे हैं। राजस्थान, महाराष्ट्र, ओडिशा और उत्तर प्रदेश के कई इलाकों में दशकों से सूखा पड़ा है। बुंदेलखंड, कालाहांडी और महाराष्ट्र के 5,000 गांव तो जलसंकट के लिए विख्यात है। मानसून के दौरान उत्तर और मध्य भारत की नदियां पानी से लबालब रहती हैं, लेकिन यह पानी बहकर बेकार चला जाता है। सिंचाई और दूसरी समस्याओं के चलते देश में हर दिन 41 किसान आत्महत्या कर रहे हैं। बीते दो दशकों में तीन लाख किसान खुदकुशी कर चुके हैं।
 
करीब 200 साल पहले ब्रिटिश इंजीनियर सर आर्थर कॉटन ने भारत में नदियों को जोड़ने का प्रस्ताव तैयार किया। उन्होंने भी सबसे पहले गोदावरी और कृष्णा नदी को जोड़ने का खाका तैयार किया। इसके बाद यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया।
 
1970 के दशक में दक्षिण भारत के प्रमुख नेता और पूर्व सिंचाई मंत्री केएल राव ने नेशनल वॉटर ग्रिड का प्रस्ताव रखा। लेकिन बदलती सरकारों ने एक बार फिर इसे गुमनाम बना दिया। 1999 में एनडीए सरकार ने इस योजना को एक बार फिर शुरू करने की पहल की। जोर शोर से काम शुरू होने लगा। लेकिन केंद्र में सरकार बदलने के बाद परियोजना फिर अधर में लटक गई। 2012 में सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई। अब सुप्रीम कोर्ट समय समय पर जल संसाधन मंत्रालय को इस परियोजना के बारे में जगाता रहता है।
 
- ओएसजे/आईबी (पीटीआई) 

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