तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) : अलग राज्य के आंदोलन से जन्मी पार्टी

आंध्रप्रदेश से तोड़कर अलग तेलंगाना राज्य बनाने की मांग को लेकर कल्वकुंतला चंद्रशेखर राव (केसीआर) ने 27 अप्रैल 2001 को तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) का गठन किया। तेलुगुदेशम पार्टी से अलग हुए राव का पार्टी गठन का एकमात्र एजेंडा तेलंगाना राज्य का गठन था। हैदराबाद को नए राज्य की राजधानी बनाने की मांग भी इसमें शामिल थी।

केसीआर नई पार्टी बनाने से पहले टीडीपी में ही थे, लेकिन तेलंगाना मुद्दे पर चंद्रबाबू नायडू से मतभेद के चलते वे टीडीपी से अलग हो गए। उस समय उन्होंने विधानसभा और विधानसभा उपाध्यक्ष पद से भी इस्तीफा दे दिया था। तेलंगाना के लिए उन्होंने लंबे समय तक आंदोलन चलाया।

2014 के विधानसभा और लोकसभा चुनाव में टीआरएस ने न तो एनडीए से गठबंधन किया और न ही यूपीए से। टीआरएस ने अलग तेलंगाना के मुद्दे पर ही चुनाव लड़ा। उन्होंने 17 में से 11 लोकसभा सीटें जीतीं, जबकि विधानसभा की 119 में से 63 सीटें जीतीं। 2 जून 2014 को राव पहली बार तेलंगाना के मुख्‍यमंत्री बने। 2018 में उनकी जीत का सिलसिला जारी रहा। इस चुनाव में टीआरएस को 119 में से 88 सीटें हासिल हुईं, जो कि पिछली बार की तुलना में ज्यादा हैं।

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