आखिर क्यों छत्तीसगढ़ में अजीत जोगी से पुराने साथियों का हो रहा है मोहभंग?

विकास सिंह

बुधवार, 6 मार्च 2019 (15:36 IST)
छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री का तमगा हासिल करने वाले अजीत जोगी के सामने इन दिनों बड़ा संकट खड़ा  हो गया है। अजीत जोगी के अब पुराने साथी अब धीरे-धीरे उनका साथ छोड़कर जा रहे हैं।
 
मंगलवार को अजीत जोगी को उस वक्त एक और बड़ा झटका लगा जब जोगी कांग्रेस के कद्दावर नेता,पार्टी के संस्थापक सदस्य और पूर्व विधायक सियाराम कौशिक सहित विधानसभा चुनाव लड़े पांच नेताओं बृजेश साहू, चंद्रभान बारमते, चैतराम साहू, संतोष कौशिक ने पार्टी छोड़ दी। यह सभी नेता मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के सामने एक बार फिर कांग्रेस में शामिल हो गए।
 
विधानसभा चुनाव से ठीक पहले बिल्हा सीट के कांग्रेस विधायक रहे सियाराम कौशिक कांग्रेस छोड़ जोगी कांग्रेस के साथ आ गए थे और चुनाव भी जोगी कांग्रेस के टिकट पर लड़ा था। चुनाव में सियाराम कौशिक को कांग्रेस के हाथों हार का सामना करना पड़ा था। वहीं सियाराम कौशिक की कांग्रेस में वापसी को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कहते हैं कि सुबह का भुला शाम को घर लौट आए तो उसे भुला नहीं कहते।
 
वहीं पार्टी से नेताओं के एक-एक कर किनारा करने पर जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी नेताओं की सत्ता की लालसा करार दे रहे हैं। विधानसभा चुनाव में पार्टी ने अच्छा प्रदर्शन किया था। पार्टी के संस्थापक अजीत जोगी समेत पांच उम्मीदवार विधायक चुन विधानसभा पहुंचे थे लेकिन बड़े नेताओं के चुनाव हारने के बाद पार्टी में खींचतान मची हुई है।
 
विधानसभा चुनाव के बाद सैकड़ों की संख्या में जोगी कांग्रेस के नेताओं ने कांग्रेस में घर वापसी की है।इससे बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है कि आखिर जोगी की पार्टी से नेताओं का क्यों मोहभंग हो रहा है।
 
कांग्रेस की मजबूत स्थिति : विधानसभा चुनाव से ठीक पहले जब अजीत जोगी ने जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) नाम से नई पार्टी बनाई थी तब राज्य में सियासी समीकरण अलग थे। उस वक्त जोगी के साथ खुद कांग्रेस के विधायक खड़े नजर आए थे, जिसमें सियाराम कौशिक, आरके राय जैसे नाम प्रमुख थे। उस समय सियासत में अजीत जोगी की भूमिका किंगमेकर के रूप में देखी जा रही थी लेकिन विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने जिस प्रचंड बहुमत के साथ सरकार बनाई उसके बाद कांग्रेस छोड़ जोगी कांग्रेस में शामिल हुए नेताओं का मोहभंग होने लगा है और लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की मजबूत स्थिति देख नेता पार्टी में शामिल हो रहे हैं।
 
पार्टी नेतृत्व से नाराजगी : लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी के संस्थापक अजीत जोगी ने पार्टी में बड़ा फेरबदल करते हुए अपने बेटे अमित जोगी को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया। जिसके बाद पार्टी में अचानक से अंसतोष के सुर फूटने लगे। पार्टी को छोड़ने वाले नेताओं का कहना है कि पार्टी में अब कोई सुनवाई नहीं है जिसके चलते वो पार्टी से किनारा कर रहे हैं।
 
बसपा के साथ गठबंधन : छत्तीसगढ़ में बसपा के साथ जोगी कांग्रेस का गठबंधन भी शुरू से सवालों के घेरे में रहा। इस गठबंधन को लेकर पार्टी के नेता ही सवाल उठाते रहे। अब जब लोकसभा चुनाव नजदीक है ऐसे में टिकट के दावेदार गठबंधन के तहत टिकट न मिलता देख पार्टी से किनारा कर रहे हैं।
 
वेबदुनिया ने इन सवालों को लेकर जब छत्तीसगढ़ की राजनीति को करीब से देखने वाले वरिष्ठ पत्रकार रितेश मिश्रा से बात की तो उनका साफ कहना था कि जो भी नेता जोगी का साथ छोड़कर जा रहे है वो कभी न कभी कांग्रेस के सदस्य रहे हैं।
 
ऐसे में जब कांग्रेस सत्ता में आ गई है तो पुराने नेताओं का कांग्रेस में वापस जाना स्वाभिवक है। रितेश मिश्रा कहते हैं कि अजीत जोगी की पूरी राजनीति का आधार ‘छत्तीसगढ़िया वाद’है। ऐसे में जोगी की ताकत को छत्तीसगढ़ में नकारा नहीं जा सकता है।

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