परिवारवाद से ज्यादा खतरनाक है 'व्यक्तिवाद' : कन्हैया कुमार

Kanhaiya Kumar news: कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार ने आरोप लगाया कि भाजपा भगवान राम का नाम लेकर नाथूराम के सांप्रदायिक और विभाजनकारी एजेंडे को आगे बढ़ाने की 'राजनीतिक चाल' चल रही है, जो देश के लिए खतरनाक है।
 
कुमार ने यह भी दावा किया कि भाजपा हिंदू धर्म की महानता को कम करने का प्रयास कर रही है और कहा कि राम की संकल्पना में किसी के लिए नफरत का कोई स्थान नहीं है।
 
कुमार ने पीटीआई मुख्यालय में समाचार एजेंसी के संपादकों से बातचीत में कांग्रेस पर लगने वाले परिवारवाद के आरोपों को लेकर भाजपा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर निशाना साधा और कहा कि ‘व्यक्तिवाद’ परिवारवाद से ज्यादा खतरनाक है।
 
रामजी की लहर है, बुरी बात नहीं : उनसे सवाल किया गया कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण से देश में राम मंदिर लहर की बात हो रही है जिससे भाजपा को फायदा हो सकता है, तो इस मुद्दे से कांग्रेस कैसे ‘डील’ करेगी?
 
इस पर कुमार ने कहा कि कांग्रेस को इससे डील करने की क्या जरूरत है। अगर राम जी की लहर है तो यह बुरी बात नहीं है। बुरा तब होता जब नाथूराम (महात्मा गांधी की हत्या करने वाले नाथूराम गोड़से) की लहर होती।
 
नाम राम का, काम नाथूराम का : उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि भाजपा जो प्रचार कर रही है, उसमें उसकी कोई भूमिका नहीं है। रामजी त्रेता युग में हुए थे, भाजपा 1980 में बनी है। भाजपा इस काम में लगी है कि राम को मानने वाले लोगों को कैसे ठगा जाए, इसलिए नाम तो राम का लेते हैं लेकिन काम नाथूराम के करते हैं। यह जो खेल है इससे भाजपा को फायदा होता है।
 
कुमार के अनुसार यह देश की संस्कृति, इतिहास और आने वाली पीढ़ी के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि अगर हम राम जी की संकल्पना को देखें तो वह (हर जगह) रचे-बसे हैं। लोगों के नाम और स्थानों के नाम उनके नाम पर हैं। कुछ धर्मों में है कि कोई एक स्थान महत्वपूर्ण होता है, लेकिन हिंदू धर्म में सभी स्थान और सभी भगवान महत्वपूर्ण हैं।
 
उन्होंने कहा कि राम जी भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं, शिवजी भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं, विष्णुजी भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं और ब्रह्माजी भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं। इसलिए हिंदू धर्म दुनिया के दूसरे धर्मों से अलग है।
 
हिन्दुओं के साथ छलावा : जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि देश में हिंदू धर्म के लोगों के साथ छलावा किया जा रहा है तथा धर्म की विराटता, विस्तार को कम करने का प्रयास किया जा रहा है।
 
उन्होंने कहा कि रामजी की संकल्पना में कहीं किसी से नफरत के लिए कोई स्थान नहीं है...चिंताजनक है कि रामजी का नाम लेकर नाथूराम की सांप्रदायिकता, विभाजन, लड़ाने की राजनीतिक चाल चली जा रही है और वो खतरनाक है।
 
कुमार ने कहा कि राम जी का नाम त्रेता युग से चला आ रहा है वो हमेशा रहेगा। भाजपा के पैदा होने से पहले चलता आ रहा है और भाजपा जब खत्म हो जाएगी, उसके बाद भी रहेगा। कांग्रेस पर परिवारवादी पार्टी होने के आरोप से जुड़े सवाल पर कुमार ने कहा कि अगर परिवारवाद जैसी कोई चीज है तो सभी परिवारवादी हैं।
 
भाजपा में भी परिवारवाद : उनका कहना था कि यह एक जानबूझकर किया जाने वाल प्रयास है कि किसी की पहचान को नीचा दिखाया जाए। कांग्रेस के संदर्भ में परिवारवाद की बात होती है तो मैं यह पूछता हूं कि यह सिर्फ गांधी-नेहरू परिवार तक सीमित है या बाकी नेताओं पर भी लागू होती है? अगर बाकी नेताओं पर लागू होती है तो फिर ऐसा क्यों है कि जब तक ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस में थे तब तक परिवारवादी थे और ज्यों ही भाजपा में गए तब राष्ट्रवादी और संघवादी हो गए?
 
कुमार ने रविशंकर प्रसाद, पीयूष गोयल और भाजपा के कुछ अन्य नेताओं का उल्लेख करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस का परिवारवाद गलत है तो भाजपा का भी परिवारवाद गलत है। उन्होंने गांधी-नेहरू परिवार का उल्लेख करते हुए कहा कि दो प्रधानमंत्रियों (इंदिरा गांधी और राजीव गांधी) ने जान दे दी। नेहरू को क्या जरूरत थी 15 साल जेल में रहने की? वह तो मोतीलाल नेहरू के पुत्र थे।
कुमार ने मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का हवाला देते हुए कहा कि चौहान मुख्यमंत्री नहीं रहेंगे, इसका फैसला किसने किया? भाजपा की बैठक में फैसला हुआ था?  क्या व्यक्तिवाद ज्यादा खतरनाक नहीं है? चौहान मोदी जी से ज्यादा बार मुख्यमंत्री रहे। उन्होंने कहा कि परिवारवाद से ज्यादा खतरनाक व्यक्तिवाद है क्योंकि एक व्यक्ति ही फैसला लेता है।
 
मैं इतना बड़ा आदमी नहीं : यह पूछे जाने पर कि क्या तेजस्वी यादव उनसे असहज महसूस करते हैं तो कुमार ने कहा कि मैं इतना बड़ा व्यक्ति नहीं हूं कि जिनके पिताजी, माताजी मुख्यमंत्री रहे हों, कुछ महीने पहले तक वह खद उपमुख्यमंत्री थे, वह हमसे डर जाएंगे। उनको देश के वर्तमान शासन और परिस्थति से डरने की जरूरत है।
 
इस सवाल पर कि क्या वह बिहार के बेगूसराय से ही लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते थे तो कन्हैया कुमार ने कहा कि जो रास्ता मालूम होता है व्यक्ति बार-बार उसी रास्ते पर चलना चाहता है। उन्होंने कहा कि राजनीतिक संघर्ष के लिए मैं अपने आप को किसी स्थान तक सीमित करके नहीं देखता। पार्टी कहेगी कि चुनाव लड़ना है तो 543 सीटों में से कहीं से भी लड़ेंगे। पार्टी के आदेश की कभी अहवेलना नहीं करेंगे, लेकिन यह स्वाभाविक बात है जिस जगह को आप जानते हैं वहां सहज महसूस करते हैं। 
Edited by: Vrijendra Singh Jhala

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