संघर्ष की अनूठी मिसाल शिवाकांत ने पास की सिविल जज परीक्षा, पत्नी सुधारती थीं गलतियां

बाबा साहब अंबेडकर को अपना आदर्श मानने वाले गरीब परिवार के बेटे शिवाकांत कुशवाहा सेल्फ स्टडी के दम पर सिविल जज की परीक्षा में सफलता अर्जित की। कुशवाहा ने ओबीसी वर्ग में पूरे मध्यप्रदेश मे दूसरी रैंक हासिल की है। उनकी इस सफलता में उनकी पत्नी का योगदान भी कम नहीं है। ऐसा नहीं है कि शिवाकांत को असफलता नहीं मिली। चार बार असफल होने के बाद भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और पूरी शिद्दत से तैयारी में जुटे रहे। अंतत: पांचवें प्रयास में सफलता ने उनके कदम चूम ही लिए। 
 
मध्यप्रदेश के सतना जिले के अमरपाटन के रहने वाले शिवाकांत कुशवाहा 4 बार सिविल जज की परीक्षा में बैठे, लेकिन सफलता नहीं मिली। पांचवीं और आखिरी बार सफलता हाथ लगी। इस बार घोषित परीक्षा परिणाम में उन्होंने ओबीसी वर्ग से प्रदेश में दूसरा स्थान प्राप्त किया।
 
कुशवाहा ने बताया कि मेरे घर की हालत अच्छी नहीं है। मेरे माता-पिता मजदूरी करते थे और सब्जी बेचा करते थे, जो पैसे मिलते थे उससे शाम का राशन लाया करता था। उसके बाद घर में चूल्हा जलता था। मैं प्रतिदिन राशन लेने जाता था, एक दिन राशन लेने गया था तभी मौसम खराब हुआ। मैं राशन लेकर आ रहा था अचानक पानी गिरा और मैं फिसल गया। मेरे सिर में चोट लगी और मैं काफी समय वहीं पड़ा रहा। जब देर रात तक नहीं आया तो मां ढूंढते हुए वहां पहुंचीं और मेरे को बेहोशी की हालत में ही घर ले गईं।
 
शिवाकांत की मां शकुन बाई कैंसर के कारण वर्ष 2013 में निधन हो गया। मां का सपना था कि उनका बेटा जज बने। मां के जीते जी तो सपना पूरा नहीं कर सका, लेकिन अब शिवाकांत ने यह उपलब्धि अपनी मां को समर्पित की है। शिवाकांत के पिता कुंजी लाल भी मजदरी करते थे। तीन भाई और एक बहन में शिवाकांत दूसरे नंबर के हैं। 
शिवाकांत को बचपन से ही पढ़ाई में लगन थी, लेकिन घर की दयनीय स्थिति को देखते हुए पढ़ाई के साथ-साथ सब्जी का ठेला लगाना पड़ता है, तब जाकर परिवार का भरण-पोषण होता था, लेकिन हार नहीं मानी और नतीजा सामने है। कुशवाहा की प्रारंभिक शिक्षा से लेकर हाई स्कूल एवं हायर सेकंडरी की परीक्षा सरदार पटेल स्कूल अमरपाटन में हुई, जबकि कॉलेज की पढ़ाई अमरपाटन शासकीय कॉलेज में हुई। बाद में के टीआरएस कॉलेज यानी कि ठाकुर रणमत सिंह महाविद्यालय से LLB  करने के बाद कोर्ट में प्रैक्टिस के साथ-साथ सिविल जज की तैयारी शुरू की। ... और अंतत: पांचवीं बार पूरे प्रदेश में ओबीसी वर्ग में द्वितीय स्थान प्राप्त किया।
 
शिवाकांत की पत्नी मधु पेशे से प्राइवेट स्कूल में टीचर हैं। वह बताती है कि मेरे पति 24 घंटे में 20 घंटे पढ़ाई करते थे। पढ़ाई करने के लिए दूसरे घर चले जाते थे। पहले तो मैं मदद नहीं करती थी, लेकिन उनकी राइटिंग इतनी अच्छी नहीं थी। मैं कॉपी चेक करती थी और जहां गलती होती थी, वहां गोला लगा देती थीं। 

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