Mahabharat Motivetion : जैसी सोच वैसा भविष्य

हमारी सोच का हमारे भविष्य पर गहरा असर पड़ता है। नकारात्मक सोचेंगे तो बुरा और सकारात्मक सोचेंगे तो अच्छा भविष्य होगा और मिश्रित सोच होगी तो मिश्रित भविष्य होगा। महाभारत के अनुसार किस तरह एक सोच हमारे भविष्‍य को प्रभावित करती है जानिए।
 
 
1. महाभारत के अनुसार व्यक्ति जैसा सोचता है वैसा ही हो जाता है। 
 
2. यदि आप सबकुछ खो बैठे हैं तो निश्‍चित हो जाइये क्योंकि आप सबकुछ पाने की क्षमता रखते हो। 
 
3. गीता में कहा गया है कि यह ब्रह्मांड उल्टे वृक्ष की भांति है। अर्थात इसकी जड़ें ऊपर की ओर हैं। आपको नीचे कुछ भी नहीं मिलेगा। ऊपर ही मिलेगा। 
 
4. जिस तरह आपके शरीर की जड़ें भी आपके मस्तिष्क में है उसी तरह आसमान में है अदृश्य जड़ें। विश्वास करो और आसमान से मांगो। सोचो कि मुझे ये चाहिए और वह मिलेगा। नकारात्मक सोच को बाहर निकालकर फिर से शुरुआत करो।
 
5. हिन्दू धर्म मानता है दृश्य जगत का आधार है अदृश्य जगत। अदृश्य जगत के अस्तित्व को नहीं मानना आसान है क्योंकि उसे समझना कठिन है। 
 
6. यह जान लें कि व्यक्ति के जीवन पर प्राकृतिक वातावरण, सामाजिक माहौल, ग्रह-नक्षत्र, देवी-देवताओं और प्रेत आदि अदृश्य गतिविधियों का भी प्रभाव पड़ता है। इसे समझना जरूरी है। 
 
7. महाभारत में युद्ध में गीता का ज्ञान देते वक्त श्रीकृष्ण अर्जुन से यही कहते हैं कि तुझे देखने के लिए आकाश में तेरे पिता सहित देवता भी मौजूद हैं। देवताओं को पूजने वाले देवताओं को और राक्षसों को पूजने वाले राक्षसों को प्राप्त होते हैं। तुझे तय करना है कि तू किस ओर है। तेरी सोच सकारात्मक है तो सभी कुछ सही होगा परंतु राक्षसों के समान है तो वे ही तेरी मदद करेंगे।

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