कांग्रेस को एक और झटका, कर्ण सिंह ने 370 हटाने का किया समर्थन

गुरुवार, 8 अगस्त 2019 (18:38 IST)
नई दिल्ली। कांग्रेस के एक और वरिष्ठ नेता डॉ. कर्ण सिंह ने जम्मू कश्मीर को लेकर सरकार के हाल में उठाए गए कदमों का समर्थन करते हुए कहा है कि इस फैसले में कई बातें बहुत सकारात्मक हैं।
        
डॉ. सिंह ने गुरुवार को यहां जारी एक बयान में कहा कि निजी तौर पर मेरी राय है कि जम्मू-कश्मीर को लेकर हाल के दिनों में सरकार ने जो कदम उठाए हैं उसका आंख मूंदकर विरोध नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि इस फैसले के कई बिंदु बहुत सकारात्मक हैं।
 
संसद में जम्मू कश्मीर में लागू अनुच्छेद 370 को हटाने तथा राज्य पुनर्गठन विधेयक के शानदार ढंग से पारित होने के दो दिन बाद सिंह ने कहा कि संसद में इस विधेयक को मिले जबरदस्त समर्थन के बाद देश में और जम्मू तथा लद्दाख में जो माहौल है मैं इस पूरी स्थिति पर गंभीरता से विचार कर रहा हूं।
 
उन्होंने कहा कि लद्दाख का केंद्र शासित प्रदेश के रूप में सामने आना एक स्वागत योग्य कदम है। वर्ष 1965 में जब मैं सदर-ए-रियासत था तो मैंने भी यह सुझाव दिया था कि लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाया जाना चाहिए। उस समय मैंने भी सार्वजनिक रूप से राज्य के पुनर्गठन की बात की थी।
 
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने सोमवार को राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक और अनुच्छेद 370 हटाने का संकल्प पेश किया, जिसे गहन चर्चा के बाद पारित कर लिया गया। मंगलवार को इस पर लोकसभा की भी मोहर लग गई और अब राष्ट्रपति से भी इसे मंजूरी मिल गई है।
 
लोकसभा में विधेयक पारित होने के बाद मंगलवार को देर रात कांग्रेस की सर्वोच्च नीति निर्धारक इकाई कार्य समिति की एकाएक बैठक बुलाई गई जिसमें सरकार के कदम की कड़ी आलेचाना की गई। समिति ने केंद्र सरकार के इस कदम को राज्यों के मामले में हस्तक्षेप बताया और कहा कि यह संविधान प्रदत्त अधिकारों का उल्लंघन है।
 
इससे पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जनार्दन द्विवेदी, ज्योतिरादित्य सिंधिया, मिलिंद देवड़ा, दीपेंद्र सिंह हुड्डा तथा अन्य ने सरकार के कदम का समर्थन किया था। इस क्रम में अब पार्टी के वरिष्ठ नेता तथा पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. सिहं ने इस कदम के पक्ष में अपना बयान दिया है।
 
राज्य के पूर्व महाराजा हरि सिंह के पुत्र डॉ. कर्ण सिंह ने अनुच्छेद 35ए को लिंग के आधार पर भेदभाव करने वाला करार दिया है, लेकिन सरकार को कहा है कि उसे राजनीतिक वार्ता का रास्ता खत्म नहीं करना चाहिए।

उन्होंने राज्य के दो प्रमुख दलों को राष्ट्रविरोधी बताने को गलत बताया और कहा कि इन दलों के कार्यकर्ताओं ने राज्य के लिए कुर्बानी दी है। इसके साथ ही इन दलों ने समय-समय पर राज्य तथा केंद्र में बड़े दलों के साथ सरकारें चलाई हैं।

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