India-china: भारत के ल‍िए क्‍यों जरूरी है गलवान घाटी?

मंगलवार, 16 जून 2020 (17:33 IST)
सोमवार की रात को भारत और चीन के सैन‍िकों के बीच हिंसक झड़प हुई। इस झड़प में भारत का एक अफसर और दो जवान शहीद हो गए।

दरअसल यह व‍िवाद पूर्व लद्दाख की गलवान घाटी को लेकर है। चारों तरफ बर्फीली वादियों से घिरी इस घाटी में ही श्‍योक और गलवान नदियों का मिलन होता है। गलवान घाटी भारत के लिए बहुत अहम है और चीन भी इस बात को बहुत अच्‍छे से जानता है।

आइए जानते हैं आखि‍र क्‍यों भारत के ल‍िए जरुरी है गलवान घाटी।

भारत ने साल 1961 में पहली बार यहां कब्‍जा किया था और अपनी आर्मी पोस्‍ट बनाई थी। इस घाटी के दोनों तरफ के पहाड़ रणनीतिक रूप से भारतीय सेना के ल‍िए बहुत फायदेमंद है। इसके साथ ही गलवान नदी जिस श्‍योक नदी में मिलती है, उसके ठीक बगल से भारतीय सेना की एक सड़क गुजरती है। 1961-62 के बाद से यह घाटी शांत रही है। पिछले दो दशकों में यहां दोनों सेनाओं के बीच कोई झड़प भी नहीं हुई थी। लेक‍िन 5 मई के बाद चीनी सेना गलवान घाटी में अपनी क्‍लेम लाइन से 2 किलोमीटर आगे चली आई है और वो भारत की सड़क से स‍िर्फ 2 किलोमीटर दूरी पर है।

इस वक्‍त भारत गलवान घाटी में सड़क का न‍िर्माण कर रहा है। इस काम को रोकने ल‍िए ही चीन तरह तरह की चालें चल रहा है। यह रोड काराकोरम पास के नजदीक तैनात जवानों तक सामान और अन्‍य चीजों की सप्‍लाई के लिए भी बेहद अहम भूम‍िका नि‍भाएगी।

ऐसे में भारत अपनी सडक इस इलाके में बनाना चाहता है और चीन उसे रोकना चाहता है। प्राकृत‍िक सौंदर्य से भी यह घाटी बहुत महत्‍वपूर्ण है। हालांक‍ि भारत के ल‍िए इस पर कब्‍जा बनाए रखना युद्ध की रणनीत‍ि तौर पर फायदेमंद है। 

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