हाईकोर्ट के जज ने पीएम मोदी को लिखी चिट्ठी, कहा- वंशवाद और जातिवाद से होती हैं जजों की नियुक्तियां

बुधवार, 3 जुलाई 2019 (12:10 IST)
नई दिल्ली। इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस रंगनाथ पांडेय ने प्रधानमत्री नरेन्द्र मोदी को लिखे पत्र में जजों की नियुक्ति प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने अपनी चिट्ठी में नियुक्तियों में परिवारवाद और जातिवाद का आरोप लगाते हुए लिखा है कि हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों की नियुक्ति का हमारे पास कोई मापदंड नहीं है। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों का चयन बंद कमरों में चाय की दावत पर वरिष्ठ न्यायाधीशों की पैरवी और पसंदीदा होने के आधार पर किया जाता रहा है।
 
रंगनाथ पांडेय ने हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्तियों पर सवाल उठाते हुए गंभीर आरोप लगाए हैं। जस्टिस पांडेय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजे पत्र में लिखा है कि हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में न्यायधीशों की नियुक्तियों में कोई निश्चित मापदंड नहीं है। प्रचलित कसौटी केवल परिवारवाद व जातिवाद है। 
 
उन्होंने प्रधानमंत्री को भेजे खत में कहा कि 'न्यायपालिका दुर्भाग्यवश वंशवाद व जातिवाद से बुरी तरह ग्रस्त है। यहां न्यायधीशों के परिवार का सदस्य होना ही अगला न्यायधीश होना सुनिश्चित करता है। 
 
राजनीतिक कार्यकर्ता का मूल्यांकन उसके कार्य के आधार पर चुनावों में जनता के द्वारा किया जाता है। प्रशासनिक अधिकारी को सेवा में आने के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं की कसौटी पर खरा उतरना होता है। अधीनस्थ न्यायालयों के न्यायाधीशों को भी प्रतियोगी परीक्षाओं में योग्यता सिद्ध कर ही चयनित होने का अवसर मिलता है, लेकिन हाई कोर्ट व सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों की नियुक्ति का हमारे पास कोई मापदंड नहीं है। 
 
पत्र में उन्होंने लिखा कि '34 साल के सेवाकाल में उन्हें कई बार हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट के जजों को देखने का अवसर मिला। उनका विधिक ज्ञान संतोषजनक नहीं है। 
 
जस्टिस पांडेय ने लिखा है कि जब सरकार द्वारा राष्ट्रीय न्यायिक चयन आयोग (एनजेएसी) की स्थापना का प्रयास किया गया तो सुप्रीम कोर्ट ने इसे अपने अधिकार क्षेत्र में हस्तक्षेप मानते हुए असंवैधानिक घोषित कर दिया था। जस्टिस ने बीते साल में हुए सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के विवाद व अन्य मामलों का हवाला देते हुए लिखा है कि न्यायपालिका की गुणवत्ता व अक्षुण्णता लगातार संकट की स्थिति में है। उन्होंने प्रधानमंत्री से अपील की कि न्यायपालिका की गरिमा को पुर्नस्थापित करने के लिए न्याय संगत कठोर निर्णय लिए जाएं। 

Allahabad High Court judge Rang Nath Pandey has written a letter to PM Narendra Modi, alleging “nepotism and casteism” in the appointment of judges to High Courts & Supreme Court. pic.twitter.com/hA1PGyeFIg

— ANI UP (@ANINewsUP) 3 July 2019
जस्टिस पांडेय ने लिखा कि 'कई न्यायधीशों के पास सामान्य विधिक ज्ञान व अध्ययन तक उपलब्ध नहीं था। कई अधिवक्ताओं (वकीलों) के पास न्याय प्रक्रिया की संतोषजनक जानकारी तक नहीं है। कोलिजियम के सदस्यों के पसंदीदा होने की योग्यता के आधार पर न्यायाधीश नियुक्ति कर दिए जाते हैं। यह स्थिति बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।
 
हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों का चयन बंद कमरों में चाय की दावत पर वरिष्ठ न्यायाधीशों की पैरवी और पसंदीदा होने के आधार पर किया जाता रहा है। इस प्रक्रिया में गोपनीयता का पूरा ध्यान रखा जाता है। 
 
प्रक्रिया को गुप्त रखने की परंपरा पारदर्शिता के सिद्धांत को झूठा करने जैसी है। न्यायिक चयन आयोग के स्थापित होने से न्यायाधीशों को अपने पारिवारिक सदस्यों की नियुक्ति करने में बाधा आने की संभावना बलवती हो रही थी। सुप्रीम कोर्ट की इस विषय में अतिसक्रियता हम सभी के लिए आंख खोलने वाला प्रकरण सिद्ध होता है। 

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