पेट्रोल-डीजल की कीमतों में वृद्धि को लेकर मायावती ने साधा कांग्रेस पर निशाना

मंगलवार, 11 सितम्बर 2018 (16:36 IST)
लखनऊ। पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी के लिए भारतीय जनता पार्टी के साथ-साथ कांग्रेस को भी कसूरवार ठहराते हुए बहुजन समाज पार्टी की अध्‍यक्ष सुश्री मायावती ने मंगलवार को कहा कि पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों को नियंत्रित करने में असफल केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार को जनता अगले साल लोकसभा चुनाव में सबक सिखाएगी।


सुश्री मायावती ने यहां जारी बयान में कहा कि पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी के लिए कांग्रेस और भाजपा दोनों ही बराबर की जिम्मेदार हैं। कांग्रेस ने अपने शासनकाल में पेट्रोल को सरकारी नियंत्रण से मुक्त कर गरीब विरोधी नीति की शुरुआत की थी जबकि भाजपा ने एक कदम और आगे बढ़ाते हुए डीजल को भी सरकारी नियंत्रण से मुक्त कर दिया जिसका खामियाजा आज देश की गरीब जनता और किसान को महंगाई की शक्ल में उठाना पड़ रहा है।

उन्होंने कहा कि सच्चाई यह है कि मौजूदा सरकार ने सत्ता संभालते ही पेट्रोल की कीमत की तरह ही डीजल को भी सरकारी नियंत्रण से मुक्त कर दिया था और ग़रीब, मज़दूर और किसान विरोधी फैसले को बड़े आर्थिक सुधार के रूप में देश-दुनिया के सामने पेश किया था। भाजपा सरकार की जनविरोधी नीति का ही परिणाम है कि देश में डीज़ल, पेट्रोल और रसोई गैस जैसी जरूरी वस्तुओं की कीमतें आसमान छू रही हैं, जिससे हर वस्तु की क़ीमत लगातार बढ़ती जा रही है और इस महंगाई से जनता की कमर टूट रही है।

सुश्री मायावती ने कहा कि केन्द्र सरकार जनता की परेशानियों से थोड़ी भी चिन्तित अथवा विचलित नजर नहीं आती है जिससे इस सरकार के जनविरोधी और अहंकारी होने के साथ ही इनके पूंजीपति और धन्नासेठ समर्थक होने का चेहरा भी बेनकाब होता है।

बसपा अध्यक्ष ने कहा कि भाजपा सरकार इस चुनावी साल में अपने उन बड़े-बड़े पूंजीपतियों और धन्नासेठों को कतई भी नाराज करना नहीं चाहती है जिनके धनबल पर वह केन्द्र की सत्ता में आई है और फिर उन्हीं के बूते दोबारा सत्ता में आने का सपना देख रही है।

कांग्रेस पर भड़ास निकालते हुए सुश्री मायावती ने कहा कि कांग्रेस ने जून 2010 में पेट्रोल को सरकारी नियन्त्रण से मुक्त करने का फैसला किया था जबकि भाजपा सरकार ने कांग्रेस पार्टी की आर्थिक नीति को ना केवल जारी रखा बल्कि इसको और आगे बढ़ाते हुए डीज़ल को भी सरकारी नियन्त्रण से मुक्त कर दिया। इससे स्वाभाविक तौर पर फिर महंगाई के बढ़ने के साथ खेती और किसानी भी काफी ज्यादा प्रभावित हुई। (वार्ता)

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