2018 रहा छठा सबसे गर्म वर्ष, मौसम की मार में गई डेढ़ हजार लोगों की जान...

बुधवार, 16 जनवरी 2019 (20:22 IST)
नई दिल्ली। मौसम विभाग ने साल 2018 को 1901 के बाद अब तक का छठवां सबसे गरम साल घोषित किया है। मौसम विभाग के पिछले एक साल के रिपोर्ट कार्ड के अनुसार 2018 के दौरान चक्रवात और बिजली गिरने सहित मौसम की चरम परिस्थितियों के कारण लगभग डेढ़ हजार लोगों की मौत हुई। 
 
विभाग ने बुधवार को 2018 के मौसम के रिपोर्ट कार्ड के आधार पर बताया कि पिछले साल औसत तापमान सामान्य से 0.41 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा। विभाग के अनुसार 1901 के बाद औसत तापमान की अधिकता के लिहाज से 2016 सर्वाधिक गरम साल रहा। इसके बाद 2009, 2010, 2015 और 2017 सबसे गर्म पांच साल रहे। 
 
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम. राजीवन ने रिपोर्ट के हवाले से ट्वीट कर बताया कि पिछले साल देश में चक्रवात, बिजली गिरने, भीषण गर्मी, कड़ाके की ठंड और मूसलाधार बारिश जैसी मौसम की मार से 1428 लोगों की जानें गईं। इनमें सबसे ज्यादा 590 मौत उत्तरप्रदेश में हुई। इनमें 158 मूसलधार बारिश जनित बाढ़ और 166 चक्रवाती तूफान में हुई। 
 
मौसम की चरम परिस्थितियों में हुई कुल मौत में लगभग आधी (688) मौतें बाढ़ के कारण हुई। इनमें केरल में बीते साल मूसलाधार बारिश के कारण आई बाढ़ में 223 लोगों की जान गई। 
 
तापमान बढ़ोतरी के मामले में विभाग ने भारत में पिछले 100 सालों में औसत तापमान में 0.60 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी का हवाला देते हुए कहा कि पिछली एक सदी के दौरान अधिकतम तापमान में एक डिग्री सेल्सियस का तीव्र इजाफा हुआ है, वहीं न्यूनतम तापमान में वृद्धि की दर धीमी रहते हुए पिछले सौ साल में 0.20 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी दर्ज की गई। 
 
देश में बारिश के मामले में पिछला साल सामान्य रहा और इस दौरान देश में औसत बारिश की मात्रा 85 प्रतिशत रही। इसमें उत्तर-पश्चिम मानसून का योगदान 90.6 प्रतिशत रहा।
 
बारिश के क्षेत्रीय वितरण के लिहाज से मध्य भारत में दीर्घकालिक अनुमान की तुलना में सर्वाधिक 93 प्रतिशत बारिश हुई, जबकि पूर्वी और उत्तर पूर्वी क्षेत्र में 76 प्रतिशत बारिश दर्ज की गई। विभाग ने हालांकि अक्टूबर से दिसंबर के बीच उत्तर पूर्वी मानसून में सामान्य से कम बारिश दर्ज होने की जानकारी दी है।
 
पिछले साल उत्तरी हिन्द महासागर क्षेत्र में छ: चक्रवाती तूफान आए। इनमें से तीन तूफानों ‘तितली’, ‘गज’ और ‘फेतई’ ने अरब सागर तक अपनी पहुंच बनाते हुए बंगाल की खाड़ी से होते हुए भारत के तटीय इलाकों में दस्तक दी। इनमें 110 लोग मारे गए। पूरे साल के दौरान कुछ इलाकों में अत्यधिक गर्मी, मूसलाधार बारिश और कड़ाके की ठंड, धूल भरी आंधी और बाढ़ की स्थिति देखने को मिली। (भाषा)

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