सिलक्यारा टनल हादसा, तकनीकी अड़चन दूर, श्रमिकों के लिए ऋषिकेश एम्स भी तैयार

शुक्रवार, 24 नवंबर 2023 (20:25 IST)
Uttarkashi Tunnel Accident: उत्तराखंड में निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग में 12 दिन से फंसे 41 श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए जारी बचाव अभियान के दौरान आई तकनीकी अड़चन के कारण कई घंटों तक रुके रहने के बाद शुक्रवार को ड्रिलिंग फिर शुरू की जाएगी। श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए मशीनरी लगातार काम कर रही है, लेकिन ऑपरेशन में चुनौतियां कम नहीं हैं। 
 
अधिकारियों ने सिलक्यारा में मीडिया को बताया कि उस तकनीकी समस्या को दूर कर लिया गया है, जिसके कारण ड्रिलिंग रोकनी पड़ी थी। उन्होंने कहा कि अब जल्द ही ड्रिलिंग फिर शुरू की जाएगी। उन्होंने कहा कि मलबे में डाले जा चुके स्टील पाइपों में दूसरा पाइप जोड़ने के बाद बोरिंग शुरू कर दी जाएगी। ‘ग्राउंड पेनीट्रेटिंग रडार’ से मिले आंकड़ों से संकेत मिला है कि सुरंग में भेदे जा चुके अवरुद्ध हिस्से के आगे 5 मीटर तक धातु की मौजूदगी जैसी कोई अड़चन नहीं है।
 
4.6 मीटर तक स्टील पाइप डाले : उन्होंने कहा कि ऑगर मशीन में कोई तकनीकी समस्या नहीं है, लेकिन बचावकर्मियों को उस प्लेटफॉर्म को मजबूत करना पड़ा है जिस पर इसे स्थापित किया गया है। सुरंग से 'निकलने का रास्ता' (एस्केप पैसेज) बनाने के लिए मशीन मलबे को 48 मीटर तक ड्रिल कर चुकी थी। राष्ट्रीय राजमार्ग एवं अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (एनएचआईडीसीएल) के प्रबंध निदेशक महमूद अहमद और उत्तराखंड सरकार के नोडल अधिकारी नीरज खैरवाल ने बताया कि ‘एस्केप पैसेज’ बनाने के लिए 46.8 मीटर तक स्टील पाइप डाले जा चुके हैं।
 
उन्होंने बताया कि मलबे के दूसरी ओर फंसे श्रमिकों तक पहुंचने के लिए छह-छह मीटर लंबे दो पाइप और डाले जाएंगे। इससे पहले प्रधानमंत्री कार्यालय के पूर्व सलाहकार भास्कर खुल्बे ने बताया था कि ऑगर मशीन से ड्रिलिंग साढ़े 11 बजे तक शुरू हो जाएगी। उन्होंने कहा था कि हमें अभी 12-14 मीटर और जाना है। मुझे उम्मीद है कि यदि सब कुछ ठीक रहा तो शुक्रवार शाम तक अभियान समाप्त हो सकता है। हालांकि, खुल्बे द्वारा बताए गये समय पर ड्रिलिंग शुरू नहीं हो पाई। उन्होंने कहा कि ड्रिलिंग मशीन के मंच को रात में मजबूत किया गया।
 
अमेरिकी ऑगर मशीन से मलबे को भेदकर 800 मिमी व्यास वाली स्टील की पाइप डाली जा रही है और इसी के जरिए फंसे श्रमिकों को बाहर लाया जाएगा। गढ़वाल परिक्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक केएस नगन्याल ने बताया कि फंसे श्रमिकों के बाहर निकलने के बाद उन्हें एक हरित गलियारे के जरिए अस्पताल तक पहुंचाने हेतु पर्याप्त इंतजाम किए गए हैं। मेडिकल विशेषज्ञों के मुताबिक, बाहर निकलने के बाद कुछ दिनों तक श्रमिकों का अलग रखकर उपचार करना जरूरी है क्योंकि वे बंद जगह पर कई दिन गुजारने के बाद बाहर आ रहे हैं।
धामी और वीके सिंह भी डटे : मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग राज्य मंत्री जनरल (सेवानिवृत्त) वीके सिंह भी बचाव कार्यों की देखरेख के लिए उत्तरकाशी में ही डटे हैं। बुधवार शाम उत्तरकाशी पहुंचे धामी फिलहाल सिलक्यारा के निकट मातली में रह रहे हैं, जहां उन्होंने अपना अस्थाई कैंप कार्यालय स्थापित किया है। जनरल सिंह उत्तरकाशी में स्थित नेहरू पर्वतारोहण संस्थान में ठहरे हुए हैं।
 
रास्ता तैयार होने के बाद राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) श्रमिकों को एक-एक करके पहिए लगे कम उंचाई के स्ट्रेचर के जरिए बाहर लाएगा और इसके लिए पूर्वाभ्यास कर लिया गया है। एनडीआरएफ का एक जवान सुरंग के एक छोर से बंधे पहियों वाले स्ट्रेचर को धक्का देते हुए इस रास्ते के जरिये अंदर गया और पूरा रास्ता तय करने के बाद उसे वापस बाहर खींच लिया गया।
 
जवान ने बताया कि पाइप के अंदर पर्याप्त जगह है और उसे अंदर जाने में कोई परेशानी नहीं हुई। श्रमिकों को बाहर निकाले जाने के बाद की योजना भी तैयार है, जिसके तहत बाहर खड़ी 41 एंबुलेंस के जरिए उन्हें चिन्यालीसौड़ सामुदायिक केंद्र में ले जाया जाएगा जहां 41 ऑक्सीजन युक्त बिस्तरों का एक अलग वार्ड बनाया गया है।
 
एम्स में भी तैयारी : उत्तरकाशी जिला अस्पताल में भी इसी तरह के इंतजाम किए गए हैं। जरूरत पड़ने पर उन्हें ऋषिकेश स्थित भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) पहुंचाए जाने की व्यवस्था की गई है और वहां भी बिस्तर तैयार रखे गए हैं।
 
ऑपरेशन चुनौतीपूर्ण : एनडीएमए के सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) सैयद अता हसनैन ने बचाव कार्यों पर मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि हर हाल में फंसे हुए श्रमिकों को बचाया जाएगा और इसके लिए सभी संसाधनों का इस्तेमाल किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि बृहस्पतिवार से सुरंग में मलबे के रास्ते पाइप डालने के काम में कोई और प्रगति नहीं हुई है और फंसे हुए श्रमिकों तक पहुंचने के लिए लगभग 15 मीटर की ‘ड्रिलिंग’ अभी भी बाकी है।
 
बचाव अभियान का विवरण देते हुए उन्होंने कहा कि यदि किसी तरह की कोई बाधा नहीं आई तो ऑगर मशीन से एक घंटे में लगभग 4-5 मीटर तक की ‘ड्रिल’ की जा सकती है। हसनैन ने मीडिया को सलाह दी कि बचाव अभियान पूरा होने की समय सीमा के बारे में अटकलें न लगाएं, क्योंकि इससे गलत धारणा पैदा होती है। उन्होंने कहा कि यह एक कठिन और चुनौतीपूर्ण अभियान है। यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर बन रही सुरंग का एक हिस्सा 12 नवंबर को ढह गया था, जिससे उसमें काम कर रहे 41 श्रमिक फंस गए थे।
 
प्रधानमंत्री ने जानकारी ली : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से शुक्रवार को सिलक्यारा सुरंग में फंसे श्रमिकों के लिए जारी बचाव अभियान में आ रही बाधाओं के बारे में विस्तार से जानकारी ली तथा उन्हें निर्देश दिए कि उनके बाहर आने पर उनके स्वास्थ्य एवं चिकित्सकीय देखभाल पर विशेष ध्यान दिया जाए। प्रधानमंत्री हर दिन मुख्यमंत्री से फोन पर बचाव अभियान के बारे में अद्यतन स्थिति की जानकारी ले रहे हैं। (भाषा/वेबदुनिया) 

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