'जिंदगी' के जुड़े गीतों से दी विविध भारती ने सुषमा स्वराज को श्रद्धांजलि

हरेक देशवासी की तरह आकाशवाणी का विविध भारती स्टाफ भी पूर्व विदेश मंत्री के यूं अचानक दुनिया से चले जाने के बाद गमगीन था। चूंकि वे पद पर नहीं थीं, लिहाजा राष्ट्रीय शोक की घोषणा नहीं की गई थी। लेकिन इसके बाद भी अंतरराष्ट्रीय मंचों से शेरनी की तरह दहाड़ने वाली सुषमा स्वराज को उसने जिंदगी से जुड़े गीत, भजन और प्रार्थनाओं के जरिए श्रद्धांजलि दी।
 
सुबह इंदौर आकाशवाणी और फिर विविध भारती के स्टाफ ने देश के करोड़ों लोगों का दिल जीत लिया, वह भी ऐसे प्रतिस्पर्धी युग में जब ढेरों निजी रेडियो स्टेशन खुल चुके हैं। इन निजी रेडियो स्टेशनों के बाद भी देश के शहरों से लेकर दूरदराज के गांवों तक विविध भारती की पहुंच वैसी ही है, जैसी कि बरसों पुरानी हुआ करती थी।
 
सुषमा स्वराज ने मंगलवार की रात को दिल्ली के एम्स में आखिरी सांस ली और जैसे ही अस्पताल ने उनके निधन की पुष्टि की, वैसे ही पूरा देश गम के सागर में डूब गया। बुधवार को रेडियो पर सुबह से लेकर अपराह्न 4 बजे तक (आज के मेहमान कार्यक्रम) जो भी कार्यक्रम सुने, वे पूरे के पूरे सुषमाजी को समर्पित थे।
 
फिर चाहे वह गज़ल सम्राट जगजीत सिंह के गाए गीत 'चिट्ठी ना कोई संदेस जाने वो कौन सा देस, जहां तुम चले गए... इस दिल पे लगा के ठेस जाने वो कौन सा देस जहां तुम चले गए...' यह गीत उन्होंने अपने युवा बेटे की विदेश में सड़क दुर्घटना में हुई मौत के बाद बहुत दिल से गाया था। एक तरह से जगजीत सिंह ने बेटे को श्रद्धांजलि दी थी। बहुत दर्द छुपा हुआ है इस गीत में जिसे 1998 में प्रदर्शित फिल्म 'दुश्मन' में भी शामिल किया गया था।
 
बहरहाल, विविध भारती इस मायने में भी संजीदा रहा कि सुषमाजी के जाने के बाद उसने 12 बजे से प्रसारित होने वाले कार्यक्रम 'एसएमएस के बहाने' में भी जिंदगी से जुड़े उन फिल्मों के गीत चुने, जो इंसान को उसकी हैसियत का अहसास करवाते हैं। इन गीतों में उस दर्द का बयान होता है, जो जीते जी आदमी सोचता भी नहीं है...।
 
बुधवार को 'विविध भारती' का मनचाहे गीत रहा हो फिर आपकी फरमाइश का कार्यक्रम, इसमें भजन, प्रार्थना और दर्दभरे गीतों की प्रस्तुति से सुषमाजी को श्रद्धा-सुमन अर्पित किए जाते रहे। 'ज़िंदगी का सफ़र है ये कैसा सफ़र, कोई समझा नहीं कोई जाना नहीं... तू प्यार का सागर है, तेरी इक बूंद के प्यासे हम, लौटा जो दिया तूने चले जाएंगे जहां से हम...कस्मे-वादे प्यार वफ़ा सब बातें हैं बातों का क्या, कोई किसी का नहीं ये झूठे नाते हैं नातों का क्या...' आदि अनेक गीतों की प्रस्तुति हुई, जो सुषमाजी के व्यक्तित्व की याद दिलाती रहीं।
 
इन गीतों में ख्यात गायक मुकेश का फिल्म 'शोर' का एक वो गीत बजा, जो कभी नहीं बजता है...'एक प्यार का  नग़मा है, मौजों की रवानी है, ज़िंदगी और कुछ भी नहीं, तेरी-मेरी कहानी है...'। ये गीत तो हरेक को याद है लेकिन मुकेशजी ने इस गीत के दूसरे बोलों को भी अपनी आवाज दी थी, जो पहली बार सुना गया।
 
दोपहर 3 बजे से शुरू होने वाले लोकप्रिय कार्यक्रम 'सखी-सहेली' में शुरुआत ख्यात उद्घोषक ममता सिंह ने की और उन्होंने भी सुषमाजी की महान शख्सियत को उल्लेखित करते हुए प्रणाम किया। उनकी याद में ममता ने पहला गीत बजाया, 'तू जहां जहां चलेगा, मेरा साया साथ होगा, मेरा साया...मेरा साया...'।
 
ईश्वर ने 6 चीजें अपने पास रखीं और वो शायद जानता था कि ये 6 चीजें इंसान को दीं तो वह उसका दुरुपयोग करने से बाज नहीं आएगा...। ये 6 चीजें हैं- हानि-लाभ, यश-अपयश और जीवन-मरण।
 
इसमें कोई शक नहीं कि दुनिया की सबसे ताकतवर महिला मानी जाने वालीं सुषमा स्वराज की कमी कभी पूरी नहीं होगी...। उनके महान कर्म यादों में रहकर हमेशा जिंदा रहेंगे...! 

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