इसकी मुख्य वजह है कि गोरखपुर सीट से योगी 5 बार सांसद चुने जा चुके हैं और दूसरी तरफ सपा-बसपा गठजोड़ भी बीजेपी के लिए चिन्ता का कारण बना हुआ है। गोरखपुर सीट पर अगर नजर हालें तो 1952 में पहली बार गोरखपुर लोकसभा सीट के लिए चुनाव हुआ और कांग्रेस ने जीत दर्ज की। इसके बाद गोरक्षनाथ पीठ के महंत दिग्विजयनाथ 1967 में निर्दलीय चुनाव जीता।