संयुक्त राष्ट्र में मोदी के भाषण की प्रमुख बातें

नरेन्द्र मोदी, संयुक्त राष्ट्र में नरेन्द्र मोदी का भाषण, नरेन्द्र मोदी सरकार का एक वर्ष, संयुक्त राष्ट्र महासभा भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र में हिन्दी में भाषण दिया।संयुक्त राष्ट्र महासभा में किसी भी देश के  प्रतिनिधि को अपनी बात रखने के लिए 15 मिनट का वक्त दिया जाता है, लेकिन नरेंद्र मोदी 34 मिनट तक डटे रहे।
 
इस 34 मिनट में उन्होंने कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर बात की।इससे पहले पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी भी करीब  13 मिनट तक हिन्दी में भाषण दे चुके हैं।मोदी ने जब हिन्दी में भाषण दिया तब दुनिया के 193 प्रतिनिधियों ने  उनके अनुवादित भाषण को सुना।भारत अपने अधिकार से नहीं करेगा समझौता :  नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में दो टूक कहा कि भारत अपने  अधिकार से समझौता नहीं करेगा।उन्होंने यूएन के विस्तार की बात कही।उन्होंने स्पष्ट किया कि संयुक्त राष्ट्र जैसा  संगठन होने के बावजूद कई जी समूह बना लिए गए हैं।
 
हालांकि भारत भी कई समूहों में शामिल है लेकिन क्या यह बेहतर नहीं होगा कि अलग-अलग समूहों के बजाय एक ही  'जी ऑल' हो जाए।संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने पहले भाषण में मोदी ने सवाल किया, 'क्या हम इंटर डिपेंडेंट होने के  बाद भी एकजुट हो पाए हैं?'
 
भारतीय दर्शन और परंपरा की शक्ति :  भारत में हमेशा से 'वसुधैव कुटुम्बकम' की परंपरा रही है।प्रधानमंत्री ने अपने  संबोधन में भारतीय दर्शन और परंपरा पर बल दिया।प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत एक ऐसा देश है जिसकी परंपरा हमेशा  से 'वसुधैव कुटुम्बकम' की रही है।भारत एक ऐसा राष्ट्र है जिसने दुनियाभर में न्याय, गरिमा, अवसर और समृद्धि के हक  में आवाज उठाई है।
 
भारत में दुनिया का छठा हिस्सा रहता है और यह देश सामाजिक आर्थिक बदलाव के दौर से गुजर रहा है।उन्होंने यहां  योग के महत्व को भी समझाया और अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मानने की अपील की।योग को 'प्राचीन परंपरा का बहुमूल्य उपहार' बताते हुए उन्होंने प्रकृति के अंदर अपनत्व की भावना तलाशने की बात कही।उन्होंने कहा कि योग 'जीवनशैली में  बदलाव करके और चेतना पैदा करके यह जलवायु परिवर्तन से निपटने में हमारी मदद कर सकता है।'
 
लोकतंत्र का महत्व :  संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने संबोधन के दौरान प्रधानमंत्री ने लोकतंत्र के महत्व पर भी चर्चा की। उन्होंने लोकतंत्र की पैरवी करते हुए कहा कि पूरी दुनिया में लोकतंत्र की लहर है। अफगानिस्तान, नेपाल और भूटान में  लोकतंत्र की सफलता दिखाई दे रही है।मोदी ने कहा कि अफ्रीका सहित दुनिया के कई देशों में स्थिरता की नई उम्मीद  दिख रही है।लैटिन अमेरिका स्थिरता के लिए एकजुट हो रहा है और यह विश्व के लिए उदाहरण हो सकता है।लोकंतत्र  के आधार में एकता और शांति की शक्ति समाहित है।इसके महत्व को समझना चाहिए।
 
गरीबी हटाने का संकल्प  :  नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में गरीबी जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे पर भी अपनी बात रखी।उन्होंने गरीबी हटाने और सभी देशों को एकसाथ मिलकर चलने की बात कही।दुनिया में अरबों लोग अभी भी गरीब है।प्रगति और विकास में अंतरराष्ट्रीय भागीदारी की बेहद जरूरत है।हमें एक-दूसरे के चिंताओं और जरूरतों का ध्यान रखना होगा।
 
पाकिस्तान को जवाब : प्रधानमंत्री नरेंद मोदी ने पाकिस्तान द्वारा उठाए गए कश्मीर के मु्द्दे पर करारा जवाब दिया।उन्होंने साफतौर पर कहा कि संयुक्त राष्ट्र में मुद्दा उठाने से इसका हल नहीं निकलेगा।इस मुद्दे को द्विपक्षीय वार्ता के माध्यम से ही दूर किया जा सकता है।इसके लिए पाकिस्तान को शांति और आतंकवादरहित रास्ता बनाना होगा।नरेंद्र मोदी अपने भाषण के शुरुआत में ही पाकिस्तान के मुद्दे पर आ गए।
 
उन्होंने कहा कि भारत अपने पड़ोसियों से मित्रता चाहता है कि इसका परिचय देते हुए उनकी सरकार ने सबसे पहले अपने पड़ोसियों से दोस्ताना व्यवहार को बढ़ावा दिया।मोदी ने यहां कश्मीर में आई आपदा का भी जिक्र करते हुए कहा कि जब कश्मीर में बाढ़ का कहर था तब भी हमने पाकिस्तान के सामने मदद की बात रखी थी।हम पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में भी सेवा करना चाहते हैं।
 
यूएन अपने सफर का आकलन करे :  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूएन के अगले साल 70 वर्ष के पूरे होने पर इसे अपने सफर के आकलन का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि अगले वर्ष 70 साल हो जाएंगे, क्या हम तब तक प्रतीक्षा करें जब हम 80 या 100 के ना हो जाएं।उन्होंने कहा कि यूएन के लिए अगला साल एक सुनहरे मौके की तरह है।70 साल की यात्रा के बाद हमें यह देखना चाहिए कि हम कहां से चले थे, कहां पहुंचे और कहां जाना चाहते हैं।यह लेखा-जोखा का साल है, इस पर विचार मंथन हो।आइए हम सुरक्षा परिषद में विस्तार की बात को पूरा करें।हम 2015 के विकास लक्ष्य को आगे बढ़ाएं।
 
आतंकवाद बड़ी समस्या :  संयुक्त राष्ट्र महासभा में आतंकवाद जैसे गंभीर मुद्दे को उठाते हुए उन्होंने पाकिस्तान को इशारों में कहा कि कई देश आतंकवाद को पनाह दे रहे हैं और इसे मजबूत हथियार मानते हैं।दुनिया अभी महत्वपूर्ण समय से गुजर रही है, बड़े युद्ध नहीं हो रहे हैं लेकिन कई समस्याएं मौजूद हैं।आतंकवाद नित कई रूपों में हमारे सामने आ रहा है। इससे लड़ने के लिए सभी को साथ आना चाहिए।उन्होंने आतंकवाद को एक गंभीर समस्या बताते हुए कहा कि हम अपने क्षेत्र में 40 साल से आतंकवाद झेल रहे हैं, आतंकवाद से निपटने के लिए हम सभी को एक साथ आना होगा।
 
नई पीढ़ी को जोड़ें :  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र में नई पीढ़ी को जोड़ने, उनके विचार और सुझाव को समझने की बात कही।उन्होंने कहा कि समय के साथ हमें बदलाव लाना होगा।21 वीं सदी में हमारे सामने कौन सी चुनौती है, इसे समझने के लिए हमें विश्वविद्यालयों को जोड़ना होगा।हमें इस कार्य में नयी पीढ़ी को जोड़ना चाहिए जो हमारे कार्यकाल का मूल्यांकन करे।इस पर पूरा अध्ययन करे, अपने विचार दे।हम नयी पीढ़ी को अपनी नयी यात्रा के लिए किस तरह जोड़ सकते हैं, इस पर ध्यान देना चाहिए।

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