शिव चतुर्दशी व्रत आज, जानें महत्व, मुहूर्त और पूजा विधि

chaturdashi 2023: हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रत्येक मास में दो बार चतुर्दशी तिथि आती है। हर माह पड़ने वाली 14वीं तिथि को चतुर्दशी/चौदस कहते हैं। यह तिथि एक पूर्णिमा के बाद और दूसरी अमावस्या के बाद पड़ती है। हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुसार पूर्णिमा के बाद आने वाली चतुर्दशी को कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी और अमावस्या के बाद आने वाली चतुर्दशी को शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी कहते हैं। 
 
चतुर्दशी तिथि के स्वामी भगवान शिव हैं। इस दिन शिव जी के साथ गणेश, कार्तिकेय तथा माता पार्वती का पूजन किया जाता है। जीवन में सुख एवं शांति की कामना से मासिक शिवरात्रि तथा चतुर्दशी के दिन शिव का पूजन किया जाता है। इस दिन पूरे विधि-विधान से शिव की पूजा तथा मंत्र जाप करने से मनुष्य सांसारिक बंधन से मुक्त हो जाता है। 
 
इस वर्ष अगहन यानी मार्गशीर्ष मास का चतुर्दशी व्रत रखा रखा जा रहा है। 
 
इस बार 10 दिसंबर 2023, रविवार से मार्गशीर्ष कृष्ण चतुर्दशी का प्रारंभ 10:40 पी एम से हो रहा है और इसकी समाप्ति 11 दिसंबर 2023, दिन सोमवार को 09:54 पी एम पर होगी। 
 
आइए जानें चतुर्दशी पूजन विधि
 
- चतुर्दशी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करके भगवान शिव का ध्‍यान करें तथा व्रत का संकल्‍प लें।
 
- पूजन के दौरान शिवलिंग पर जल, दूध, गंगाजल (यदि उपलब्ध हो तो) शकर, घी, शहद और दही अर्पित करके पूजन करें। 
 
- पुष्प, बिल्वपत्र, धतूरा आदि भी चढ़ाएं। 
 
- भगवान शिव के साथ देवी पार्वती की आरती करें।
 
- मिठाई का भोग लगाएं। 
 
- शिव मंत्र- 'ॐ नम: शिवाय' का जाप अधिक से अधिक करें। 
 
- शिव-पार्वती की पूजा करने के बाद रात्रि जागरण करें।
 
- अगले दिन प्रात: स्नानादि से निवृत्त होकर पूजन करके ब्राह्मण को दान-दक्षिणा दें।
 
- तत्पश्चात पारण करके व्रत को पूर्ण करें।
 
इसके अलावा मंत्र- 'शिवाय नम:'। 'ॐ नमः शिवाय शुभं शुभं कुरू कुरू शिवाय नमः ॐ'। आदि का भी जाप करना फलदायी रहता है। 

ALSO READ: Weekly Panchang 2023 : साप्ताहिक शुभ मुहूर्त, जानें 11 से 17 दिसंबर 2023 तक

ALSO READ: मोक्षदा एकादशी कब है, क्या है इसका महत्व?

वेबदुनिया पर पढ़ें

सम्बंधित जानकारी