सीपी जोशी हारकर भी ताकतवर

-कपिल भट्

भाग्य के हाथों का खिलौना बने राजस्थान प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी विधानसभा चुनाव चाहे एक वोट से भल ही हार गए हों लेकिन उनकी मेहनत और अपने इलाके उदयपुर संभाग में लोकप्रियता ही इन चुनावों में कांग्रेस की जीत का प्रमुख आधार बनी है।

चुनाव परिणामों को देखें तो पता चलता है कि जोशी की हार के बावजूद उदयपुर संभाग में कांग्रेस को मिला समर्थन ही उसको चुनाव वैतरणी पार करा गया। मेवाड़-वागड़ के नाम से प्रसिद्ध इस संभाग में कांग्रेस ने भाजपा का सफाया करते हुए 28 में से 20 सीटों पर जीत दर्ज की है, जबकि भाजपा को मात्र 6 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा है। सीपी जोशी का चुनाव क्षेत्र नाथद्वारा इसी संभाग में आता है।

इस नेता ने अपना राजनीतिक जीवन उदयपुर में पढ़ते हुए ही शुरू किया। इसके बाद 1985 में पहली बार विधायक बनने के बाद से वे निरंतर इस इलाके में सक्रिय रहे हैं। एक साल पहले जब जोशी को राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया था तब इस संभाग में उनका भव्य स्वागत किया गया।

इसके बाद जोशी ने डूँगरपुर जिले में स्थित आदिवासियों के तीर्थस्थल बेणेश्वरधाम में सोनिया गाँधी की विशाल रैली आयोजित कर अपनी संगठनात्मक क्षमता और इस इलाके में अपनी पकड़ को साबित भी किया।

जानकारों का मानना है कि सीपी जोशी के पार्टी की कमान संभालने के बाद इस संभाग में एक भावना फैल गई कि मुख्यमंत्री का पद इस संभाग में फिर से आ सकता है।

उल्लेखनीय है कि राजस्थान के सोलह साल तक लगातार मुख्यमंत्री रहे मोहनलाल सुखाड़िया उदयपुर के ही थे। इसके बाद तीन बार मुख्यमंत्री रहे हरिदेव जोशी भी इसी संभाग के बाँसवाड़ा के थे।

हरिदेव जोशी के बाद उदयपुर संभाग से कोई कांग्रेसी मुख्यमंत्री नहीं बना। कांग्रेस की राजनीति में हमेशा से मेवाड़ और मारवाड़ गुटों के बीच राजनीतिक खींचतान चली आ रही है।

पिछले बार पाँच साल तक मुख्यमंत्री रहे अशोक गहलोत जोधपुर संभाग जिसे मारवाड़ कहते हैं, से आते हैं। इस बार जोशी के रूप में मेवाड़ अपने यहाँ के नेता को मुख्यमंत्री के रूप में देख रहा था।

यही वजह रही कि कांग्रेस को इस इलाके से इतना समर्थन मिला। उदयपुर के अलावा शेखावाटी ने ही कांग्रेस को अच्छी बढ़त दी। जोधपुर संभाग में तो भाजपा और कांग्रेस के बीच मुकाबला बराबरी का रहा। (नईदुनिया)

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