Ram Mandir Ayodhya : भगवान श्रीराम ने किस उम्र में क्या किया था, जानिए

WD Feature Desk

गुरुवार, 18 जनवरी 2024 (10:59 IST)
Ram mandir ayodhya: प्रभु श्री राम की उम्र को लेकर विद्वानों में मतभेद है। श्री राम के पिता दशरथ माता कौशल्य, भाई लक्ष्मण, भारत, शत्रुघ्न थे। सौतेली माता सुमित्रा और कैकयी थीं और पत्नी का नाम सीता, पुत्रों के नाम लव और कुश थे। नाना नानीजी का नाम सुकौशल और अमृतप्रभा था। उनके गुरु विश्‍वामित्र और वशिष्ठ थे। आओ जानते हैं मान्यता और शोध के अनुसार यह कि उन्होंने किस उम्र में क्या कार्य किया था।
 
 
प्रभु श्रीराम बहुत कम उम्र में ही अस्त्र शस्त्र चलाना सीख गए थे। करीब 13 वर्ष की उम्र में ही उन्हें विश्‍वामित्र जी अपने आश्रम इसलिए ले गए थे क्योंकि उनके आश्रम पर राक्षसों का आतंक था। वे उनके यज्ञ को ध्वस्त करके परेशान करते थे। एक दिन विश्‍वामित्रजी दशरथ के महल आए और श्रीराम एवं लक्ष्मण को अपने आश्रम ले गए। वहां रामजी ने सभी राक्षसों का वध करके ताड़का का भी वध कर दिया था।
 
विवाह की उम्र: इसके बाद प्रभु श्रीराम और लक्ष्मण को विश्वामित्र जनकपुर सीता स्वयंवर में ले गए वहां रामजी ने शिवजी का पिनाक धनुष तोड़ दिया था। तब उनकी उम्र करीब साढ़े 14 वर्ष की थी। इसके बाद वाल्मीकि रामायण के अनुसार विवाह के समय भगवान राम की आयु 15 वर्ष और माता सीता की आयु 6 वर्ष थी। परंतु अन्य जगहों पर यह वर्णन भिन्न मिलता है- 
 
जब महर्षि विश्वामित्र श्रीराम एवं लक्ष्मण के साथ मिथिला जाते हैं तो रास्ते में राजा सुमति के यहां रुकते हैं, उस समय राजा सुमति विश्वामित्र जी से श्री राम और लक्ष्मण के विषय में पूछते हुए उन्हें युवावस्था को प्राप्त कहते हैं। (बालकांड सर्ग 48-03)।
 
पतिसंयोगसुलभं वयो दृष्टाव् तु मे पिता।
चिंतामभ्यगमद् दीनो वित्तनाशादिवाघन:।। 34।।
माता सीता अनुसूया जी को बताती हैं कि विवाह के समय मेरी उस समय पतिसंयोगसुलभा अवस्था अर्थात् विवाह के योग्य अवस्था थी। यह जानकर पिता को चिंता होने लगी तब उन्होंने विवाह करने का निश्चय किया।
 
कई प्रमाणों से श्रीराम जी व माता सीता का बालविवाह नहीं हुआ था। सीता स्वयंवर और सीता विवाह तो अलग अलग घटनाएं हैं। कहते हैं कि सीता जी का विवाह हो रहा था तब उनकी उम्र 16 और श्रीराम जी की उम्र  25 के करीब थी।
 
जब राम जी वन चले जाते हैं तो कौशल्या जी रोते हुए महाराज दशरथ को उपालम्भ देती हैं, उसमें से एक श्लोक इस प्रकार है-
सा नूनं तरुणी श्यामा सुकुमारी सुखोचिता।
कथमुष्णं च शीतं च मैथिली प्रसहिष्यते।।- (वा. रा. अयो. का. स. 61 श्लो. 4)
यहां कौशल्या जी ने सीता जी को तरूणी कहा है। तरूणी का अर्थ होता है युवावस्था को प्राप्त महिला।
 
दश सप्त च वर्षाणि जातस्य तव राघव।
अतीतानि प्रकाडांक्ष्नत्या मया दु:खपरिक्षयम।। 45।।
रघुनंदन, तुम्हारे उपनयनरूप द्वितीय जन्म लिए सत्रह वर्ष बीत गए (अथार्त तुम अब सत्ताईस वर्ष के हो गए)। अब तक में यही आशा लगाए चली आ रही कि अब मेरा दु:ख दूर होगा।। 45।
यहां कौशल्या जी कहती हैं कि रामजी का उपनयन 17 वर्ष पूर्व हुआ था। तथा पश्चिमोत्तर व बंगाल संस्करण के अनुसार 18 वर्ष पूर्व हुआ था।
27 की उम्र में वनवास : विवाह के बाद प्रभु श्रीराम और सीता शोधानुसार मात्र 1 वर्ष तक साथ में रहे। कहते हैं कि जब उनके राज्याभिषेक की तैयारी चल रही थी तब उनकी उम्र 27 होने वाली थी। इसी दौरान कैकयी ने दशरथ से अपने दो वरदान मांग लिए। पहले में राम को वनवास और दूसरे में भरत को अयोध्या का राजा बनाना। कुछ जगहों पर यह बताया गया है कि 25 की उम्र में उन्हें वनवास हुआ था। लेकिन रामचरित और अन्य जगहों पर उम्र में मतभेद है-
 
रामचरितमानस में लिखा है- 'वर्ष अठ्ठारह की सिया, सत्ताईस के राम।। कीन्हो मन अभिलाष तब, करनो है सुर काम।।' 
 
वाल्मीकि रामायण के अरण्यकांड में सीता, साधु के रूप में आए रावण को अपना परिचय इस प्रकार देती हैं-
 
उषित्वा द्वादश समा इक्ष्वाकूणां निवेशने। 
भुंजना मानुषान् भोगान् सर्व कामसमृद्धिनी।4। 
तत्र त्रयोदशे वर्षे राजामंत्रयत प्रभुः। 
अभिषेचयितुं रामं समेतो राजमंत्रिभिः।5।
परिगृह्य तु कैकेयी श्वसुरं सुकृतेन मे। 
मम प्रव्राजनं भर्तुर्भरतस्याभिषेचनम्।10।
द्वावयाचत भर्तारं सत्यसंधं नृपोत्तमम्। 
मम भर्ता महातेजा वयसा पंचविंशक:। 
अष्टादश हि वर्षाणि मम जन्मनि गण्यते।।
 
अर्थात:- सीता रावण से कहती हैं कि विवाह के बाद इक्ष्वाकुवंशी महाराज दशरथ के महल में रहकर मैंने अपने पति के साथ सभी सुख भोगे हैं। तेरहवर्ष के प्रारंभ में समर्थशाली महराज दशरथ ने राज्यमंत्रियों से मिलकर सलाह दी और श्रीरामचंद्रजी को युवराजपद पर अभिषेक करने का निश्चय किया। मैं वहां सदा मनोवांछित सुख-सुविधाओं से संपन्न रही हूं। वन जाते समय मेरे पति की आयु 25 साल से उपर की थी और मेरे जन्म काल से लेकर वन के लिए प्रस्थान के वक्त तक मेरी अवस्था वर्ष गणना के अनुसार 18 साल की हो गई थी।
 
41 की उम्र में वनवास से लौटे : माता सीता 32 वर्ष की और श्रीराम 41 वर्ष के थे तब वे 14 वर्ष के वनवास काल से अयोध्या लौट आए थे।
 
कितनी थी श्री राम की उम्र : 'वाल्मीकि रामायण' में बताया गया है कि भगवान राम की आयु 10,000 वर्ष थी। यह किस आधार पर बताई गई है, यह शोध का विषय हो सकता है। इसके अलावा, अथर्ववेद में श्री राम की आयु 100 वर्ष बताई गई है। राम के चरित्र को लिखने वाले कल्हंड के अनुसार राम की आयु 11,000 वर्ष थी। कुछ शोध के अनुसार उनकी आयु 151 वर्ष की थी।
 
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