महादई नदी जल विवाद : बंद से जनजीवन प्रभावित

गुरुवार, 25 जनवरी 2018 (14:28 IST)
बेंगलुरु। कर्नाटक और गोवा के बीच महादई नदी जल विवाद सुलझाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हस्तक्षेप की मांग करते हुए कन्नड़ समर्थक संगठनों ने गुरुवार को बंद किया जिससे कर्नाटक के विभिन्न हिस्सों में जनजीवन प्रभावित रहा।
 
कर्नाटक में सुबह से शाम तक के लिए बुलाए गए बंद का सबसे अधिक असर मालप्रभा नदी बेसिन के अंतर्गत आने वाले उत्तरी जिलों में दिखाई दिया। कुछ सार्वजनिक सेवाओं के ठप पड़ने से अन्य इलाकों में भी जनजीवन प्रभावित हुआ। सरकारी बसें सड़कों से नदारद रहीं जिससे शहर के बाहर से आए लोग यहां प्रमुख बस अड्डे पर ही फंस गए। मैसूर, गडग, धारवाड़ और हासन से भी इसी तरह की रिपोर्टें मिल रही हैं।
 
ऑटोरिक्शा और कैब भी कम संख्या में सड़कों पर दिखाईं दीं। कैब और ऑटोरिक्शा चालकों का कहना है कि अधिकतर कार्यालयों के बंद होने के कारण गुरुवार को यात्री कम हैं। एहतियाती तौर पर राज्य के अधिकतर हिस्सों में पहले ही स्कूल और कॉलेज की छुट्टी कर दी गई है। कई परीक्षाओं की तारीखों में भी फेरबदल किया गया है।
 
कर्नाटक में विपक्षी दल भाजपा ने बंद को राजनीति से प्रेरित करार देते हुए इसमें सत्तारूढ़ कांग्रेस की भूमिका होने का आरोप लगाया। उसने कहा कि यह जान-बूझकर ऐसे दिन किया जा रहा है, जब गुरुवार को भाजपा अध्यक्ष अमित शाह यहां पार्टी रैली को संबोधित करने वाले हैं। इसी तरह बेंगलुरु में 4 फरवरी को बंद बुलाया गया है जिस दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की यात्रा है।
 
भाजपा के सांसद प्रताप सिम्हा ने मैसूर में पत्रकारों से बात करते हुए इसे सरकार प्रायोजित बंद करार दिया, दूसरी ओर गोवा के सरकारी कंदब ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (केटीसीएल) ने बंद को देखते हुए कर्नाटक के लिए अपनी बस सेवाएं निलंबित कर दी हैं। केटीसीएल की  बसें कर्नाटक की बेलगांवी, हुबली, बागलकोट, बेंगलुरु और अन्य स्थानों पर अपनी बसों का परिचालन करती हैं। बंद के मद्देनजर उसने अपनी बस सेवाएं निलंबित कर रखी हैं।
 
केटीसीएलके प्रबंध निदेशक डेरिक नात्तो ने कहा कि हड़ताल के चलते सेवाएं निलंबित की गई हैं। हड़ताल खत्म होने के बाद बस सेवाएं बहाल कर दी जाएंगी तथा रोजाना कर्नाटक जाने वाली 23 बसों का परिचालन अगले आदेश तक बंद रहेगा।
 
महाराष्ट्र तथा कर्नाटक की ओर से नदी के पानी का रुख मोड़ने के लिए उठाए जा सकते संभावित कदमों की निगरानी के लिए गोवा सरकार ने 4 सदस्यीय समिति का गठन भी किया है। (भाषा)

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