1 अप्रैल से नेशनल ई-वे बिल व्यवस्था, लगेगा टैक्स चोरी पर अंकुश

शुक्रवार, 30 मार्च 2018 (11:29 IST)
हमीरपुर। इसी 1 अप्रैल से शुरू होने वाली ई-वे बिल व्यवस्था के लिए उत्तरप्रदेश में सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। टैक्स चोरी रोकने की कवायद के तहत शुरू की जा रही इस व्यवस्था में अब एक प्रांत से दूसरे प्रांत में माल ले जाने में व्यापारी को टैक्स इन्वॉइस के साथ साथ ई-वे बिल यानी ऑनलाइन बिल लेकर चलना अनिवार्य होगा।
 
वाणिज्य कर विभाग के असिस्टेंट कमिश्नर प्रदीप सिंह ने बताया कि अभी तक उत्तरप्रदेश और अन्य प्रांतों से वाहनों में माल लेकर आने वाले व्यापारी टैक्स इन्वॉइस लेकर चलते थे यदि कोई जांच दल नहीं मिला तो उस इन्वॉइस को नष्ट कर देते थे। इससे टैक्स चोरी की घटनाएं बढ़ रही थीं जिससे राजस्व का नुकसान हो रहा था।
 
नई व्यवस्था में अब व्यापारी की जो भी टैक्स इन्वॉइस बनेगी, वह ऑनलाइन दिखाई  पडेगी। कितना माल, माल की कीमत, टैक्स का उसमे साफ-साफ विवरण रहेगा। जैसे जांच  दल वाहन संख्या देखेगा, वह व्यापारी द्वारा टैक्स इन्वॉइस को कोई महत्व न देकर ऑनलाइन कर बीजक से सारा विवरण पढ़ लेगा। इसके बाद भी टैक्स में कमी की गई है तो उस पर पैनल्टी लगाकर धन की वसूली की जाएगी।
 
सिंह ने बताया कि यदि व्यापारी चाहें तो अपने मोबाइल पर ई-वे बिल का मैसेज लेकर चल सकते हैं। जांच दल को मैसेज दिखाने के बाद जांच-पड़ताल की जा सकती है। सरकार ने यह भी कहा है कि ई-वे बिल प्रक्रिया लागू होने के बाद वाणिज्य कर विभाग के आला  अफसर व्यापारियों व अधिकारियों की कार्यशाला आयोजित करें और इस मामले की  व्यापारियों को विधिवत जानकारी दें। जीएसटी लागू होने के बाद नेशनल ई-वे बिल व्यवस्था लागू होने से व्यापारियों में बेचैनी देखी जा रही है।
 
वाणिज्य कर कमिश्नर कामिनी चौहान रतन (उत्तरप्रदेश) ने विभागीय उच्चाधिकारियों से कहा है कि इस व्यवस्था को लागू करने में प्रवर्तन अधिकारी की देखरेख में 24 घंटे कंट्रोल रूम चलेगा। ई-वे बिल व्यवस्था लागू होने के पहले यानी 31 मार्च तक विभागीय दफ्तर खुले रहेंगे। कोई भी अधिकारी अवकाश पर नहीं जाएगा।
 
असिस्टेंट कमिश्नर सिंह ने बताया कि ई-वे बिल व्यवस्था से हमीरपुर जिले को कम से कम  हर माह लाखों रुपए के अतिरिक्त राजस्व की प्राप्ति होने लगेगी। इस व्यवस्था से छोटे से छोटा व्यापारी भी प्रभावित होगा। हालांकि विभाग में सभी कार्यविधियां ऑनलाइन की जा रही हैं जिससे विभागीय अधिकारियों का काम कम होता जा रहा है। (वार्ता)

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