जटवारी व फालैन की रोमांचक होली

गुरुवार, 20 मार्च 2008 (15:38 IST)
तीन लोक सेन्यारी मथुरा नगरी के जटवारी और फालैन गाँवों की होली का लुत्फ उठाने के लिए पर्यटकों और श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ने लगा है।

जटवारी और फालैन दोनों ही गाँव कोसी शेरगढ़ मार्ग पर हैं तथा इन स्थानों पर निजी साधन से ही पहुँचा जा सकता है, जबकि कोसीकलाँ, दिल्ली, आगरा राजमार्ग पर दिल्ली से लगभग 100 किमी दूर है। इन गाँवों में जलती होली से निकलने वाले पंडे को देखने के लिए बड़ी तादाद में लोग जुटते हैं।

जटवारी गाँव में होली की गगनचुम्बी लपटों से पंडा निकलता है, जबकि फालैन गाँव में पंडा होली की लपटें कुछ हल्की हो जाने पर धधकती आग से निकलता है।

इस मौके पर उमड़ने वाली भीड़ की सुरक्षा के लिए जिला प्रशासन ने दोनों ही स्थानों पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक आर.के.चतुर्वेदी ने बताया कि दोनों गाँवों में थाने के पुलिस बल के अलावा अतिरिक्त पुलिस बल व पी.ए.सी. लगाई गई है। जेबकटी, जंजीर खींचना आदि घटनाओं को रोकने के लिए प्रमुख स्थानों पर सादा वर्दी में पुलिसकर्मी लगाए गए हैं।

जटवारी की होली की विशेषता के बारे में गाँव के पूर्व प्रधान रामहेत ने बताया कि इस गाँव में होली की लपटों से निकलने वाले पंडे को आजीवन अविवाहित रहना होता है 118 वर्षीय विष्णु दूसरी बार होली की लपटों से निकलेगा।

उन्होंने बताया कि गाँव का तुलीराम पंडा लगातार 20 वर्ष तक होली की लपटों से निकला था। उसको इतना अधिक भगवत आशीर्वाद मिला था कि होली की लपटों से निकलने के बाद यदि उससे कोई कह देता कि उसने नहीं देखा तो वह तुरन्त ही दूसरी बार निकल जाता था।

उन्होंने बताया कि वैसे तो होली का मुहर्त निकालने के लिए उत्तरप्रदेश, दिल्ली, हरियाणा और हिमांचल प्रदेश के ज्योतिषाचार्य गाँव में होली के दिन ही एक साथ बैठते हैं और मुहर्त निकालते है मगर होली जलने के सही समय का निर्धारण पंडा द्वारा ही किया जाता है।

इस गाँव की यह होली पूरे गाँव की होली बन जाती है और कई दिन पहले से पंडे के साथ गाँव के अन्य लोग भी पंडे के कुशलता से होली की लपटों से निकलने की कामना करते है।

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