सिखों का तीर्थस्थल ननकाना साहिब, क्यों जरूरी है करतारपुर कॉरिडोर?

पाकिस्तान में ऐतिहासिक गुरुद्वारे को भारत के सीमावर्ती जिले गुरदासपुर से जोड़ने वाले प्रस्तावित करतारपुर गलियारा को बनाए जाने की सिख समुदाय की लम्बे समय से लंबित मांग पर गुरु नानक देवजी के 550वीं जयंती के मद्देनजर केंद्र की मोदी सरकार ने 2018 में पंजाब के गुरदासपुर जिले में डेरा बाबा नानक से अंतरराष्ट्रीय सीमा तक कॉरिडोर बनाने के प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी और कार्य शुरू भी कर दिया।
 
 
यह देखते हुए पाकिस्तान की इमरान खान सरकार ने भी 28 नवम्बर 2019 को इससे संबंधित सुविधाओं के निर्माण की आधारशिला रखने का दिखावा किया। भारत के पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि करतारपुर गलियारा भारत और पाकिस्तान के लोगों के बीच एक सेतु का काम करेगा। इसे पूरी तरह से 12 महीने के लिए सिखों के लिए खोल दिया जाना चाहिए।
 
 
लेकिन पाकिस्तान ने करतारपुर गलियारा चालू करने के लिए कई नियम एवं शर्तें तय की हैं और सिखों के सबसे पवित्र स्थलों में शामिल इस स्थान को पूरे साल खुला रखने के भारत के प्रस्ताव का विरोध किया है। इस्लामाबाद ने या तो शर्तें लगाई हैं या नई दिल्ली के सभी प्रस्तावों का विरोध किया है और कहा है कि सिर्फ 700 श्रद्धालु ही गुरुद्वारा दरबार साहिब, करतारपुर का दर्शन कर सकते हैं। पाकिस्तान ने विशेष दिनों में 10,000 लोगों को यात्रा की इजाजत देने के भारत के प्रस्ताव का भी जवाब नहीं दिया है। आओ जानते हैं कि करतारपुर कॉरिडोर क्यों जरूरी है?
 
 
भारत का बंटवारा हुआ तो उसमें सबसे ज्यादा नुकसान पंजाबी, बंगाली, कश्मीरी और सिंधी लोगों को हुआ। बंटवारे के समय पंजाब का भी बंटवारा किया गया जिसके चलते सिखों के आधे पवित्र तीर्थ स्थल पाकिस्तान में रह गए और आधे भारत में। पाकिस्तान में करतारपुर में गुरुद्वारा दरबार साहिब के दर्शन के लिए सिख श्रद्धालुओं को बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इस पर भी बहुत कम संख्या में वीजा देना भी एक समस्या है। पाकिस्तान वर्ष में सिर्फ एक बार भारतीय श्रद्धालुओं को पाकिस्तान आने देता है। दूसरी समस्या यह है कि गुरुद्वारा दरबार साहिब के आसपास और उस तक पहुंचने के मार्ग पर बहुत सारा अतिक्रमण हो चला है।

 
सिखों के दो पवित्र स्थल:-
पाकिस्तान में सिखों के दो पवित्र तीर्थ स्थल है। एक ननकाना साहिब जो पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में लाहौर से लगभग 75 किलोमीटर दूर है जबकि दूसरा तीर्थ स्थल करतारपुर है जो लाहौर से लगभग 117 किलोमीटर स्थित है। भारत के तीर्थ यात्री पहले करतारपुर साहिब फिर ननकाना साहिब जाते हैं। करतारपुर साहिब, पाकिस्तान के नारोवाल जिले में स्थित है। यह जगह भारतीय सीमा से महज 3 किमी. दूर स्थित है। सिख इतिहास के अनुसार, गुरुनानक देवजी ने अपनी 4 प्रसिद्ध यात्राओं को पूरा करने के बाद 1522 में करतारपुर साहिब में रहने लगे थे। नानक साहिब ने अपने जीवन काल के अंतिम 17 वर्ष यहीं बिताए थे।
 
 
गुरुनानक अवरतरण:-
भारतीय संस्कृति में गुरु का महत्व आदिकाल से ही रहा है। सिख धर्म के दस गुरुओं की कड़ी में प्रथम हैं गुरु नानक। कार्तिक मास की पूर्णिमा के दिन 1469 को राएभोए के तलवंडी नामक स्थान में, कल्याणचंद (मेहता कालू) नाम के एक किसान के घर गुरु नानक का जन्म हुआ। उनकी माता का नाम तृप्ता था। तलवंडी को ही अब नानक के नाम पर ननकाना साहब कहा जाता है, जो पाकिस्तान में है।
 
 
माना जाता है कि 16 वर्ष की आयु में उनका विवाह हुआ। श्रीचंद और लक्ष्मीचंद नाम के दो पुत्र भी उन्हें हुए। 1507 में वे अपने परिवार का भार अपने श्वसुर पर छोड़कर यात्रा के लिए निकल पड़े। 1521 तक उन्होंने भारत, अफगानिस्तान, फारस और अरब के प्रमुख स्थानों का भ्रमण किया। कहते हैं कि उन्होंने चारों दिशाओं में भ्रमण किया था। लगभग पूरे विश्व में भ्रमण के दौरान नानक देव के साथ अनेक रोचक घटनाएं घटित हुईं। 1539 में उन्होंने देह त्याग दी।  
 

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