हर तरह के पितृदोष की शांति करते हैं पिशाच मुक्तेश्वर महादेव

कुंडली में पितृदोष कब बनता है : सूर्य और राहु की युति कुंडली में किसी भी भाव में हो तो पितृदोष बनता है साथ यह युति अगर द्वितीय भाव पंचम भाव, नवम भाव, दशम भाव में हो गहरा पितृ दोष बनता है। 


 
पितृदोष होने पर व्यक्ति के जीवन में कठिनाइयां आती है। समय पर कार्य नहीं होते हैं। संतान सुख नहीं मिल पाता है। संतान हो जाए तो भी संतान से सुख नहीं मिलता है। भाग्य में कमी रहती है। पिता, राज्य और सरकारी नौकरी का सुख नहीं मिलता है। जीवन संघर्षमय बीतता है, पैतृक संपत्ति में कठिनाई आती है। कर्ज, रोग, शत्रु, पीड़ा, भय आदि बने रहते हैं।
 

क्या है अचूक उपाय : किसी भी व्यक्ति को यदि पितृदोष है तो उज्जैन स्थित 84 महादेव के अंतर्गत 68वें नंबर पर आने वाले श्री पिशाचमुक्तेश्वर महादेव का पूजन व अभिषेक करें। इससे शीघ्र ही इस दोष से मुक्ति मिलती है। साथ ही माता के कुल के पूर्वज, पिता के कुल के पूर्वज यदि पितृ पिशाच योनि में हैं तो उनका भी मोक्ष होता है।

इन महादेव के स्पर्श से सात कुल पवित्र होते हैं। इनके दर्शन करने से व्यक्ति ऐश्वर्यशाली, कीर्तिमान, पराक्रमी और अपार धन संपदा का स्वामी बनता है। श्राद्ध पक्ष के 16 दिनों में इनका पूजन व अभिषेक कर पितृ मोक्ष की कामना करनी चाहिए। 

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